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बकरीद क्यों मनाई जाती है? मुंबई में कैसे हैं इंतजाम? जानें मुंबई लाइव पर


बकरीद क्यों मनाई जाती है? मुंबई में कैसे हैं इंतजाम? जानें मुंबई लाइव पर
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पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ ईद-उल-अजहा यानी बकरीद की खुशियां मनाई जा रही है। साथ ही यह 'बकरीद' का त्योहार मुंबई में भी धूमधाम से मनाया जा रहा है। कुर्बानी के इस त्योहार को लेकर पूरे देश में जबरदस्त उत्साह है। मुंबई में मस्जिद बंदर, भिंडी बाजार, बेहरामपाडा, डोंगरी, बांद्रा, कुर्ला, और जोगेश्वरी सहित अन्य मुस्लिम बहुल इलाको की मस्जिदों में विशेष नमाज अदा की गई। नमाज अदा करने के बाद शुरू हुआ कुर्बानी देने का सिलसिला। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को इस पाक पर्व की बधाई दी है।


पूरे मुंबई में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

त्योहार शांतिपूर्वक संपन्न हो, इसके लिए पुलिस ने कमर कस रखी है। शहर में मुंबई पुलिस ने कड़ा बंदोबस्त कर रखा है. जगह जगह पुलिस की तैनाती की गयी है. इनमे वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक, सहायक पुलिस निरीक्षक, कई पुलिस कर्मचारियों के साथ महिला पुलिस कर्मचारी भी शामिल हैं। साथ ही होमगार्ड, एसआरपी की कंपनी के साथ साथ रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों को भी तैनात किया गया है। इसके अलावा कई स्थानों पर सीसीटीवी की सहायता से भी निगरानी की जा रही है।पुलिस के अलावा ट्रैफिक पुलिस भी जगह जगह तैनात होकर ट्राफिक व्यवस्था को दुरुस्त कर रहे हैं। साथ ही मस्जिदों के बाहर भी पुलिस की तैनाती की गई है।


सायबर सेल विभाग भी चौकन्ना

स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हए सायबर सेल भी चौकन्ना हुआ है। सोशल मीडिया पर कोई भड़काऊ पोस्ट या कमेंट न करें इस बात का भी ध्यान दिया जा रहा है।


बीएमसी ने किया विशेष इंतजाम

बीएमसी द्वारा कुर्बानी केंद्रों पर साफ-सफाई की विशेष व्यवस्था की गई है। बीएमसी ने विभिन्न विभिन्न प्रभाग समितियों में कई केंद्र कुर्बानी के लिए कई अस्थायी कुर्बानी केंद्र भी बनाये हैं,साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने सभी केंद्रों की साफ-सफाई कराकर कीटाणुनाशक दवाओं के छिड़काव की विशेष व्यवस्था की है। कुर्बानी केंद्रों से कचरा उठाने के लिए 50 से अधिक डंपर और टेंपो के साथ साथ जेसीबी की भी व्यवस्था की गयी है।



इस दिन का है विशेष महत्व


इसी दिन होता है हज

इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक ईद-उल-अजहा 12वें महीने धू-अल-हिज्जा के 10वें दिन मनाई जाती है। बकरीद का त्योहार केवल बकरों की कुर्बानी देने का ही नाम नहीं हैं बल्कि कुर्बानी का मकसद है अल्लाह को राजी करने के लिए अपनी सबसे प्यारी चीज को भी त्याग कर देना है। इसी दिन दुनिया भर के मुसलमान अरब पहुंच कर हज करते हैं। हज की वजह से भी इस पवित्र त्योहार की अहमियत बढ़ जाती है।


क्यों दी जाती है कुर्बानी?

इस्लाम धर्म में इब्राहीम नाम के एक पैगंबर गुजरे हैं, जो मुहम्मद साहब से हजारों साल पहले पैदा हुऐ थे। जिन्हें ख्वाब में अल्लाह का हुक्म हुआ कि वे अपनी सबसे प्यारी चीज को अल्लाह की राह में कुर्बान कर दें। अल्लाह को राजी करने के लिए इब्राहीम ने बकरे से लेकर ऊंट तक की कुर्बानी दी लेकिन अल्लाह ने हर बार ख्वाब में सबसे प्यारी चीज को कुर्बान करने का हुक्म दिया।

अंत में इब्राहीम को लगा कि उसका बेटा बेटे इस्माईल ही सबसे प्यारा है। अल्लाह उसकी ही कुर्बानी मांग रहे हैं। यह इब्राहीम अलैही सलाम के लिए एक इंतिहान था, जिसमें एक तरफ थी अपने बेटे से मुहब्बत और एक तरफ था अल्लाह का हुक्म। इब्राहीम अलैही सलाम ने अल्लाह के हुक्म को पूरा करने के लिए अपने बेटे इस्माईल नबी की कुर्बानी देने को तैयार हो गए।

जैसे ही इब्राहीम अलैही सलाम अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर छुरी से अपने बेटे को कुर्बान करने लगे, वैसे ही अल्लाह ने फरिश्तों के सरदार जिब्रील अमीन को जमीन पर भेजकर इस्माईल को छुरी के नीचे से हटाकर उनकी जगह एक मेमने को रख दिया। इस तरह इब्राहीम अलैही सलाम के हाथों मेमना कुर्बान हो गया।

जैसे ही इब्राहीम ने अपनी आंखें खोली तो वहां इस्माईल की जगह भेड़ का बच्चा कटा हुआ था तो फरिश्ता जिब्रील अमीन ने इब्राहीम को खुशखबरी सुनाई कि अल्लाह ने आपकी कुर्बानी कुबूल कर ली है। कयामत तक आने वाले सभी इसलाम के मानने वाले मालदारों पर हर साल कुर्बानी करना जरूरी कर दिया। तभी से अल्लाह को राजी करने के लिए बकरा या अन्य पशुओं की कुर्बानी दी जाती है। कुर्बानी का अर्थ है अपने परिवार अपने देश की रक्षा करना पड़े तो पीछे नहीं हटना अपने देश की रक्षा करते हुए उसमे किसी अपने ही किसी प्रिय की कुर्बानी देना पड़े लेकिन वह पीछे नहीं हटे।

 


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