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जानिए 15 अगस्त से जुड़े इतिहास के कई रोचक तथ्य

आपको पता है गांधीजी आजादी कि जश्न में शामिल नहीं थे? आखिर पंडित जवाहरलाल नेहरु ने आधी रात को ही आज़ादी की स्पीच क्यों दी सुबह के समय क्यों नहीं? मुंबई लाइव आपको ऐसे ही 15 अगस्त से जुड़ कई रोचक तथ्यों से कराएगा रूबरू।

जानिए 15 अगस्त से जुड़े इतिहास के कई रोचक तथ्य
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स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) हर साल 15 अगस्त को मनाया जाता है। 15 अगस्त (15 August) 1947 को भारत को अंग्रेजों के शासन से आजादी मिली थी और यही कारण है कि 15 अगस्त का दिन हर किसी के लिए बेहद खास है। भारत में ही नहीं बल्कि विदेश में भी रहने वाला भारतीय इस दिन को बेहद खास मनाता है और अपनी आजादी का जश्न मनाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अंग्रेजों ने हमे आजादी 15 अगस्त को ही क्यों दी, 14 या 16 अगस्त को क्यों नहीं? आपको पता है गांधीजी आजादी कि जश्न में शामिल नहीं थे? आखिर पंडित जवाहरलाल नेहरु ने आधी रात को ही आज़ादी की स्पीच क्यों दी सुबह  के समय क्यों नहीं? मुंबई लाइव आपको ऐसे ही 15 अगस्त से जुड़ कई रोचक तथ्यों से कराएगा रूबरू।

15 अगस्त को क्यों मिली आजादी
जैसा की आप जानते हैं कि अंग्रेजों को भारत से भगाने के लिए कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राण की आहुति दी थी। इसके अलावा 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के ख़त्म होने के समय पर अंग्रेज़ों की आर्थिक हालत बद से बदतर हो गयी थी। दूसरे देशों की बात छोड़ दो, वो अपने देश पर शासन करने में ही असमर्थ हो गए थे। साथ ही ब्रिटिश चुनावों में लेबर पार्टी की जीत ने आज़ादी के द्वार खोल दिए थे क्योंकि उन्होंने अपने चुनावी मैनिफेस्टो में भारत जैसी दूसरी इंग्लिश कॉलोनियों को भी आज़ादी देने की बात कही थी। तमाम परिस्थियां ऐसी बनी की अंग्रेजों को मजबूरन भारत को आजाद करने की घोषणा करना पड़ा।

लेकिन क्या आपने सोचा है कि देश की आजादी के लिए अंग्रेजों ने 15 अगस्त की तारीख को ही क्यों चुना गया, 14 अगस्त या फिर 16 अगस्त को क्यों नहीं? हालांकि पाकिस्तान अपना स्वतंत्रता दिवस भारत के एक दिन पहले यानी 14 अगस्त के दिन मनाता है। खैर 15 अगस्त को लेकर अलग-अलग इतिहासकारों की अलग-अलग मान्यताएं  हैं। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि सी. राजगोपालाचारी के सुझाव पर माउंटबेटन ने भारत की आजादी के लिए 15 अगस्त की तारीख चुनी। सी. राजगोपालाचारी ने लॉर्ड माउंटबेटन को कहा था कि अगर 30 जून 1948 तक इंतजार किया गया तो हस्तांतरित करने के लिए कोई सत्ता नहीं बचेगी. ऐसे में माउंटबेटन ने 15 अगस्त को भारत की स्वतंत्रता के लिए चुना।

तो वहीं, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि माउंटबेटन 15 अगस्त की तारीख को शुभ मानते थे इसीलिए उन्होंने भारत की आजादी के लिए ये तारीख चुनी थी। लॉर्ड माउंटबेटन का 15 अगस्त की तारीख पर अड़े रहने का एक खास कारण और भी था। ये कारण था जब माउंटबेटन बर्मा में ब्रिटिश सेना का नेतृत्व कर रहे थे जब जापान ने उनके सामने बिना किसी शर्त के आत्मसमर्पण कर दिया था। साथ ही दूसरे विश्व युद्ध के दौरान 1945 में 15 अगस्त के दिन ही जापान ने ब्रिटेन के सामने आत्मसमर्पण किया था। लॉर्ड माउंटबेटन उस समय ब्रिटिश सेना के कमांडर थे,  इसीलिए इस दिन को माउंटबेटन लकी मानते थे। माउंटबेटन जापान के आत्मसमर्पण को अपनी विजय के रूप में देखते थे। उन्हें लगा कि इस खास विजय की दूसरी वर्षगांठ के मौके पर भारत को आजाद किया जाए। और इस तरह वह दिन तय हुआ जब भारत को आजादी मिली। यानी एक तरह से जहां भारतीय 15 अगस्त को खुशियां मनाते हैं तो दूसरी तरफ जापानी इस दिन को अपने लिए काला दिन मानते हैं।

आधी रात को पंडित नेहरु ने क्यों दिया था स्पीच
15 अगस्त को देश आजाद होने की बाद जब भारत के ज्योतिषियों को पता चली तो उनमें हड़कप मच जाता है। और वे सभी इस तारीख का जबरदस्त विरोध करते हैं। दरअसल 15 अगस्त को शुक्रवार था और ज्योतिषियों का मानना था कि यदि इस दिन भारत आजाद होता है तो कोहराम मच जाएगा, नरसंहार होंगे, ये तारीख बहुत ही अपशकुन हैं।

इसके बाद कलकत्ता (कोलकाता) के ज्योतिषों ने तो लॉर्ड माउंटबेटन को चिट्ठी लिख डाली और कहा कि आप 15 अगस्त को तय की भारत की आजादी की तिथि को बदल दें, या आप ये तिथि आगे या पीछे कर दें, लेकिन लॉर्ड माउंटबेटन नहीं माने।

ख़ैर, इसके बाद ज्योतिषियों ने एक उपाय निकाला। उन्होंने 14 और 15 अगस्त की रात 12 बजे का समय तय किया साथ ही पंडित जवाहरलाल नेहरु जी को  कहा गया कि उन्हें अपनी आज़ादी की स्पीच अभिजीत मुहूर्त में 11:51 PM से 12:39 AM के बीच ही देनी होगी। इसमें एक और शर्त ये भी थी कि नेहरू जी को अपनी स्पीच रात 12 बजे तक ख़त्म कर देनी होगी।

महात्मा गांधी आजादी के जश्न में क्यों नहीं हुए शामिल?
दरअसल भारत की आजादी के जश्न में महात्मा गांधी शामिल नहीं हुए थे। जब भारत को आजादी मिली थी तब महात्मा गांधी बंगाल के नोआखली में हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच हो रही सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए अनशन कर रहे थे।

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