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आम आदमी ...बजट और 'बचत' !

चाहें कांग्रेस हो या बीजेपी , किसी भी सरकार ने आम आदमी के सवालों के जवाब को सही समय पर देना कभी भी जरुरतमंद नही समझा ,हां लेकिन सवालों के घूमा फिरा के जवाब देकर आम जनता को लॉलीपॉप जरुर दिया है।

आम आदमी ...बजट और 'बचत' !
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केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साल 2018-19 के लिए आम बजट की घोषणा की । जहां इस बजट में पूरा जोर स्वास्थ और कृषि क्षेत्र पर रहा तो वही दूसरी ओर बुजुर्गों के लिए भी बजट में काफी लुभावने वादे किये गये।  बुजुर्गो के इलाज की रकम में टैक्स की छूट दी गई तो वही बुजुर्गो के सेविंग्स में लगनेवाले टैक्स में भी छुट दी , लेकिन इस सब के बीच अगर कोई रह गया तो वह आम आदमी यानी की मध्यम वर्ग। आम आदमी देश का वह नागरिक है जो अपना टैक्स तो समय पर देता है लेकिन उसके सवालों के जवाब कभी भी किसी सरकार ने समय पर नहीं दिया है। चाहें कांग्रेस हो या बीजेपी  , किसी भी सरकार ने आम आदमी के सवालों के जवाब को सही समय पर देना कभी भी जरुरतमंद नही समझा ,हां लेकिन सवालों के घूमा फिरा के जवाब देकर आम जनता को लॉलीपॉप जरुर दिया है।  




जहां साल 2014 में जनता ने भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी यूपीए सरकार को हटाकर एक नई उम्मीद के साथ नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार को लाया , तो वही दूसरी ओर इस सराकर इतना बहुमत दिया की सरकार ठोस फैसले ले सके। सरकार ने ठोस फैसले लिये तो सही लेकिन उससे जनता को क्या मिला अाज तक उसपर चर्चा हो रही है, यहां तक की देश के अर्थशास्त्रियों ने भी सरकार के ठोस कदम पर अलग अलग राय रखी है।  


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5 लाख तक की इनकम पर टैक्स छूट क्यों नहीं?

अब बात करते है बजट 2018 की,  जहां विपक्ष में रहते हुए अरुण जेटली ने ये मांग की थी सरकार को 5 लाख तक की आय़कर में इनकम टैक्स फ्री होना चाहिए तो वही चार साल की बीजेपी की सत्ता में खुद अरुण जेटली ये नहीं कर पाये।  बजट के बाद जेटली जी अलग अलग टीवी टैनलों पर बजट की बारिकियों को समझाते नजर आ रहे है लेकिन साहब को ये कौन बताये की जिस तरह से आपने विपक्ष में रहते हुए बड़े ही आसान भाषा में आयकर छूट की मांग की थी , उतनी ही आसान भाषा में आपने ये टैक्स की छूट क्यों नहीं दी?  




रद्द किये पहले के ट्रैवलिंग और मेडिक्लेम अलाउंसेस

सरकार ने दावा किया की सैलरिड क्साल लोगों को 40 हजार का स्टैडर डिडक्शन मिलेगा, लेकिन ये नहीं बताया की पहले से ही सैलरिड क्लास के लिए मौजूद 19,200 का ट्रैवलिंग और 15000 का मेडिक्लेम अलाउंस सरकार ने रद्द कर दिया । यानी की सैलरिड क्लास को पहले से ही लगभग 35 हजार का स्टैडर्ड  डिडक्शन मिलता था, जिसमें इस साल सिर्फ 5000 रुपये की बढ़ोत्तरी की गई है।  यानी की इस बजट के बाद सालाना आय पर एक सैलरिड कर्मचारी को 100 रुपये के आसपास की सालान बचत होगी।






सेस की मार

इस बार के बजट में केंद्र सरकार ने सेस को 3 फिसदी से बढ़ाकर 4 फिसदी कर दिया। सरकार के इस फैसले के बाद  कई सामान महंगे जरुर हो जाएंगे और जिसकी मार सीधे पड़ेगी आम जनता पर क्योकी कोई भी मैनुफैक्टरिंग कंपनी किसी भी तरह का अतिरिक्त बोझ सीधे जनता पर डालती है तो इस हिसाब से आपकी जो थोड़ी बहुत बचत हो रही थी वह भी इस सेस के जरिए खत्म होती दिख रही है।


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रोजगार और नौकरियों पर कोई पक्का आकड़ा नही


भले ही सरकार ये दावे कर रही है की उन्होने पिछलें कई सालों में रोजगार और नौकरी पैदा की हो लेकिन सच्चाई ये ही की सरकार के पास नौकरियों के पक्के आकड़े नहीं होते है।  दरअलस श्रम मंत्रालय की ओर से देश के सिर्फ 9 सेक्टरों के नौकरी के आकड़े जाहीर किय़े जाते है और इसी के आधार पर सरकारें देशभर में औसतन नौकरी के आकड़े पेश करती है।   आपको बता दे की देशभर मेे 100 से भी ज्यादा अलग अलग रोजगार और नौकतरी के क्षेत्र है लेकिन इनमें से सिर्फ 9 क्षेत्रों के ही आकड़े पेश किये जाते है।  




शेयर मार्केट और म्युचल फंड की कमाई पर भी टैक्स

आम आदमी सेविंग के लिए एफडी, आरडी, बैंक में पैसे जमा करता है और इसके साथ ही कुछ अच्छे रिटर्न पाने के लिए शेयर मार्केट और म्युचल फंड में भी डालता है , लेकिन सरकार के बजट में इस साल शेयर मार्केट के लॉन्ग टर्म निवेश पर भी टैक्स लगा दिया है यानी की अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करते है ओर एक साल के बाद पैसे निकालते है तो आपको 10 फिसटी टैक्स देना होगा , जो की पहले मुफ्त था। पहले सिर्फ यही नियम था की अगर आप शेयर मार्केट में पैसे डालते है और एक साल के अंदर निकालते है तो आपको 15 फिसदी टैक्स देना होगा। शेयरा मार्केट में टैक्स के साथ साथ सरकार ने म्युटल फंड से होनेवाली कमाई पर भी टैक्स लगा दिया है।  




सेविंग पर ब्याज हुआ कम

गौरतलब हो की सरकार ने कुछ महीनों पहले अपने कई छोटी सेविंग स्कीम पर ब्याज दरों में 0.50 फिसदी की कटौती की थी, ये वो छोटी स्किमें थी जिसमें आम आदमी हर महीने थोड़ थोड़ी रकम जमा करता है।  



गरीबों के लिए " आयुष्मान स्वास्थ योजना"

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस साल के बजट में  भाषण में 50 करोड़ लोगों को 5 लाख के स्वास्थ बीमा देने का ऐलान किया।  जो की वाकई में एक सराहनीय कदम है। लेकिन विपक्षी पार्टियां इस पर भी सरकार के सामने सवाल खड़े कर रही है की इसके लिए प्राथमिक तौर पर जिस 2000 करोड़ का आवंडन किया गया है वो का फी कम है। और 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ बीमा का योजना का लाभ पहुंचाने के लिए काफी बड़े रकम की जरुरत है सरकार कहां से लाएंगी , इस बारे में सरकार ने कोई भी जिक्र नहीं किया है।   इसके साथ ही निती आयोग ने भी ये साफ किया की इस योजना को लागू करने में कम से कम 6 महिने का समय लगेगा। हालांकी सरकार की ओर से  कहां जा रहा है की सेस और शेयर मार्केट में जो टैक्स लगाए गये है उससे इस रकम का बंदोबस्त किया जाएगा।  



शेयर मार्केट में गिरावट

1 फरवरी को सरकार के बजट के बाद   शेयर बाजार में 800 अंकों तक की गिरावट आई । सोमवार को भी बाजार खुलते ही 500 अंक नीचे गिरा हालांकी बाद में बाजार धीरे धीरे संभलता दिखा।  


ईपीएफ में होगा इजाफा

बजट घोषणा के मुताबिक केंद्र सरकार अब नए कर्मचारियों के ईपीएफ में 12 फीसदी योगदान देगी। इससे पहले सरकार 8.33 फीसदी का ही योगदान देती थी।


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