मुंबई - शहर में वड़ा पाव, सैंडविच और पानीपूरी के लिए बढ़ती दीवानगी के बीच ईरानी कैफे तेजी से नदारद होते जा रहे हैं। कुछ साल पहले तक ईरानी कैफे मुंबई की शान में चार चांद लगाते थे।
ईरानी कैफे ईरानी चाय (चाय) के लिए बहुत लोकप्रिय हैं। 1950 के दशक में मुंबई में करीब 350 ईरानी कैफे थे। अब इनकी संख्या केवल 25 रह गई है। इनमें से कुछ कैफे 100 साल से भी अधिक पुराने हैं।
ये कैफे मुंबई में ‘बॉम्बे’ की झलक दिखाते हैं। कई कारणों से इन कैफे की संख्या कम हुई है, जैसे काम करने वाले न मिलना, ऊंची कर दरें और इस कारोबार को लेकर युवा पीढ़ी की अरुचि आदि।
ज्यादातर ईरानी कैफे दक्षिण मुंबई के धोबी तालाब के आसपास थे और हैं। जिनके नाम ‘बस्तानी’, ‘बरबन’, ‘मेरवां’ और ‘लाइट ऑफ एशिया’ 'कयानी' आदि हैं। कभी इन कैफों में लोग घंटे बैठते थे, बातचीत करते थे या अखबार पढ़ते थे। पृष्ठभूमि में संगीत बजता था।
कयानी होटल का इतिहास 113 साल पुराना है। जो आज भी किसी तरह अपना अस्तित्व बचाने की जद्दोजहद कर रहा है।