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ठाणे के 17 अस्पतालों ने कोरोना इलाज के नाम पर मरीजों से वसूल किया 1.82 करोड़ रुपये

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ठाणे के 17 निजी अस्पतालों ऑडिट रिपोर्ट में पता चला है कि इन 17 अस्पतालों ने COVID-19 उपचार के लिए भर्ती मरीजों से इलाज के नाम पर काफी अधिक शुल्क वसूल किया है।

ठाणे के 17 अस्पतालों ने कोरोना इलाज के नाम पर मरीजों से वसूल किया 1.82 करोड़ रुपये
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सरकार और प्रशासन द्वारा अस्पतालों से बार बार अपील करने के बाद भी अस्पताल कोरोना मरीजों से कोरोना इलाज के नाम पर अधिक शुल्क ले रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ठाणे के 17 निजी अस्पतालों ऑडिट रिपोर्ट में पता चला है कि इन 17 अस्पतालों ने COVID-19 उपचार के लिए भर्ती मरीजों से इलाज के नाम पर काफी अधिक शुल्क वसूल किया है।

बताया जाता है कि इन सभी अस्पतालों ने रोगियों से सामूहिक रूप से कुल 1.82 करोड़ तक का अधिक शुल्क वसूल किया है।

अस्पताल के ऑडिट रिपोर्ट से जब यह मामला सामने आया तो ठाणे नगर निगम (टीएमसी) ने सभी उल्लंघन करने वाले अस्पतालों को कोरोना मरीजों की वसूले हुए अधिक शुल्क को वापस देने के लिए कहा है।

सूत्रों के मुताबिक TMC को इस बात की शिकायत कई दिनों से मिल रही थी कि, कई अस्पताल कोरोना मरीजों से इलाज के नाम पर अधिक शुल्क वसूल कर रहे हैं, जिसके बाद

TMC ने एक 8 सदस्यीय टीम नियुक्त किया, जिसके बाद इस टीम ने 10 जुलाई से 21 अगस्त के बीच अस्पताल ऑडिटरों की आठ टीमों को नियुक्त किया गया।

लेखा परीक्षकों को 17 अस्पतालों से COVID-19 रोगियों के 4,106 बिल मिले। जांच करने पर, 1,362 बिल अधिक पाए गए। इसके अतिरिक्त, 3,347 बिलों की लेखा परीक्षकों द्वारा जांच की गई।

जिन अस्पतालों द्वारा शुल्क बढ़ाये गए हैं उनमेंवेदांत हॉस्पिटल, टाइटन हॉस्पिटल, सिद्धि विनायक मैटरनिटी हॉस्पिटल, आरोग्य मल्टी-स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशल्या हॉस्पिटल, ठाणे हेल्थ केयर हॉस्पिटल, मेट्रोपोल मल्टी-स्पेशलिटी हॉस्पिटल, लाइफ केयर हॉस्पिटल, पानंडीकर हॉस्पिटल, स्वस्तिक हॉस्पिटल, एकता हॉस्पिटल, बेथनी हॉस्पिटल, नीलम हॉस्पिटल,  कालसेकर अस्पताल, वेलम अस्पताल, स्वयं अस्पताल और दीया मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल शामिल हैं।

जून महीने में सबसे पहले स्वास्तिक अस्पताल की शिकायत सामने आई, इसके बाद तमाम शिकायतें मिलने के बाद राज्य सरकार ने मई के अंत में

इलाज की दर सुनिश्चित की, साथ ही सभी अस्पतालों को कोरोना मरीजों के लिए 80 फीसदी बेड आरक्षित रखने का भी आदेश दिया।

निर्देश भेजे कि उपचार के मूल्यों को छायाबद्ध किया गया था, जबकि कोरोनोवायरस रोगियों के लिए अस्पताल के बेड का 80% हिस्सा भी जलाया गया था।

इसी शिकायत के आधार पर TMC ने होरिजन प्राइम अस्पताल को एक महीने के लिए सील भी किया।

अस्पताल के ऑडिट से पता चला था कि अस्पताल ने पीपीई और अन्य सुरक्षात्मक उपकरणों के लिए रोगियों को ओवरचार्ज किया था।

इस बारे में टीएमसी के आयुक्त, डॉ. विपिन शर्मा ने कहा - “हमारा उद्देश्य इन अस्पतालों को कार्य करने से रोकना नहीं है, क्योंकि स्वास्थ्य संसाधनों पर भारी बोझ है।  हमने अस्पतालों को मरीजों को पैसे वापस करने का निर्देश दिया है, जो कि अधिक महत्वपूर्ण है। ”

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