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ब्लैक फंगस के 111 मरीज मुंबई में मिले

प्रशासन की ओर से अतिरिक्त आयुक्त काकानी ने बीमारी के बारे में स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने कहा, कोविड अस्पतालों के डॉक्टरों को बीमारी के बारे में प्रशिक्षित किया गया है। इस बीमारी के इलाज के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम बनाई गई है।

ब्लैक फंगस के 111 मरीज मुंबई में मिले
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कोरोना (Coronavirus) के बाद अब एक और नई बीमारी 'ब्लैक फंगस' (black fungus) का डर लोगों को सता रहा है। इस बीमारी की चपेट में कई लोग आ चुके हैं। अब इस बीमारी ने मुंबई  (Mumbai) में भी दस्तक दी ही।

मुंबई महानगर पालिका (bmc) के अतिरिक्त आयुक्त सुरेश काकानी ने बुधवार को स्थायी समिति को बताया कि, ब्लैक फंगस यानी म्यूकोरमायकोसिस (Mucormycosis) से पीड़ित 111 मरीज मुंबई में पाए गए हैं। इनमें सायन अस्पताल में 32, केईएम में 34, नायर में 38 और कूपर अस्पताल में 7 मरीज शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर मरीज मुंबई के बाहर के हैं। हालांकि यह बीमारी फंगल थी, संक्रामक नहीं। 

कोरोना से ठीक होने के बाद, कुछ मरीज ब्लैक फंगस की चपेट में आ रहे हैं। BMC में भाजपा (bjp) के गट नेता प्रभाकर शिंदे ने बुधवार को इस मुद्दे को उठाया और कहा कि, क्या बीएमसी की स्वास्थ्य प्रणाली इस बीमारी के इलाज के लिए तैयार है? और इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए क्या उपाय किए गए हैं? जहां कोविड का इलाज चल रहा है, वहीं म्यूकोमाइकोसिस के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है! यह बीमारी कान, नाक, गले और आंखों को प्रभावित करती है।

शिंदे ने प्रशासन को बताया कि म्यूकोमाइकोसिस के इलाज के लिए मिलने वाला इंजेक्शन और उपचार महंगे हैं।

प्रशासन की ओर से अतिरिक्त आयुक्त काकानी ने बीमारी के बारे में स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने कहा, कोविड अस्पतालों के डॉक्टरों को बीमारी के बारे में प्रशिक्षित किया गया है। इस बीमारी के इलाज के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम बनाई गई है। यह बीमारी और लोगों को हो इसके लिए, उचित एक प्रोटोकॉल निर्धारित किए गए हैं।

काकानी ने आगे बताया कि सभी अस्पताल प्रशासन को बीमारी से बचाव के लिए बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया गया है।

काकानी ने यह भी सुझाव दिया गया कि, कोविड के उपचार में स्टेरॉयड और टॉक्सिलिज़ुमाबके अतिरिक्त सेवन से बचा जाना चाहिए, खासकर मधुमेह रोगियों को।

इस बीमारी में यूज होने वाली 'एम्फो टेरेसीन बी' इंजेक्शन और अन्य दवाइयों की खरीदी प्रक्रिया BMC द्वारा की जा रही है, तब तक अस्पताल प्रबंधन को स्थानीय स्तर पर दवा मंगवाने के निर्देश दिए गए हैं। इस बीमारी की चपेट में आने वाले मरीजों को 12 हफ्ते तक डॉक्टरों की निगरानी में रखने के आदेश दिए गए हैं।

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