महाराष्ट्र में गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की संख्या पिछले दो वर्षों में 2023 में 80,248 से घटकर 2025 में 29,107 हो गई है। इसी तरह, इसी अवधि में मध्यम रूप से कुपोषित बच्चों की संख्या 2.12 लाख या 5.09 प्रतिशत से घटकर 1.49 लाख या 3.11 प्रतिशत हो गई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस उपलब्धि का श्रेय विभिन्न राज्य विभागों और कल्याण एजेंसियों के समन्वित प्रयासों को दिया। (Cases of severe malnutrition among children reduced by 51,000 in Maharashtra in last 2 years)
कुछ सालो मे आई कमी
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राज्य में गंभीर रूप से कुपोषित (एसएएम) बच्चों का प्रतिशत पिछले दो वर्षों में 1.93 प्रतिशत से घटकर 0.61 प्रतिशत हो गया है, पीटीआई की रिपोर्ट। मार्च 2025 में राज्य सर्वेक्षणों के तहत कुल 48 लाख से अधिक बच्चों की ऊंचाई और वजन मापा गया, जबकि 2023 में यह संख्या 41.6 लाख थी। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2023 में 80,248 की तुलना में मार्च 2025 तक एसएएम बच्चों की संख्या घटकर 29,107 हो गई।
कुपोषण से निपटने के लिए कई पहलों को लागू किया जा रहा है
मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा कि राज्य सरकार कुपोषण से निपटने के लिए कई पहलों को लागू कर रही है, जिसमें एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) भी शामिल है, जो छह महीने से तीन साल की उम्र के बच्चों के लिए घर ले जाने वाला राशन और 3 से 6 साल की उम्र के बच्चों के लिए गर्म पका हुआ भोजन प्रदान करती है।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, आदिवासी क्षेत्रों में 'भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम अमृत आहार योजना' जैसी विशेष पहल लागू की जा रही है, जिसके तहत गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को भरपेट भोजन दिया जा रहा है।
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