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महाराष्ट्र में भी मंकीपॉक्स वायरस लक्षणों वाली जैसी बीमारियों से चिंता

महाराष्ट्र में भले ही मंकिपॉक्स का एक भी मामला सामने ना आया हो लेकिन मंकीपॉक्स वायरस लक्षणो वाली जैसी बीमारियो से लोग परेशान है।

महाराष्ट्र में भी मंकीपॉक्स वायरस लक्षणों वाली जैसी बीमारियों से चिंता
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देश में मंकीपॉक्स वायरस ( MONKEYPOX) के मामले मिलने के बाद अब इसका संक्रमण महाराष्ट्र में भी देखने को मिल रहा है।  बच्चों में हाथ-पैर-मुंह के संक्रमण में भारी वृद्धि हुई है। बच्चों में मंकीपॉक्स जैसे लक्षणों ने माता-पिता में चिंता बढ़ा दी है। 

मुंबई, ठाणे शहर में बच्चों के हाथ, पैर और मुंह में वायरल संक्रमण अधिक है।  माता-पिता चिंतित हैं क्योंकि इसके लक्षण मंकीपॉक्स के समान हैं। हाथ-पैर-मुंह की बीमारी एक वायरल संक्रमण है जिसमें बच्चों को हाथ, पैर और मुंह के पास चकत्ते के साथ बुखार हो जाता है। इससे मुंह में छाले भी हो जाते हैं।

जिस प्रकार वायरल संक्रमण से मानसून के दौरान बुखार, सर्दी और खांसी होती है, वैसे ही यह संक्रमण मानसून के दौरान भी होता है। पिछले सात-आठ साल से यह संक्रमण बच्चों में हर मानसून सीजन में देखा गया है।  

आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को कहा कि देश में मंकीपॉक्स वायरस पर कड़ी निगरानी रखने और बीमारी को फैलने से रोकने के लिए बड़े फैसले लेने के लिए मंकीपॉक्स पर एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है। इस बीच, भारत में अब तक कुल पांच मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं।

WHO ने मंकीपॉक्स को वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है।

मंकीपॉक्स के लक्षण

  • मंकीपॉक्स एक वायरल बीमारी है और इस बीमारी के मुख्य लक्षण बुखार, शरीर पर दाने, खांसी और सूजी हुई लिम्फ नोड्स हैं। 
  • इसकी मृत्यु दर 1 से 10 प्रतिशत है।
  •  इस रोग की व्यापकता 7 से 14 दिनों की होती है। 
  • यह जानवर से इंसान में और इंसान से इंसान में फैलता है। 
  • वायरस संक्रमित त्वचा या श्वसन पथ को संक्रमित करता है। 
  • मंकीपॉक्स एक ऐसी बीमारी है जो शरीर के अन्य हिस्सों में फैलती है। जब वायरस शरीर के तरल पदार्थों के संपर्क में आता है, जैसे घावों से स्राव, शरीर के तरल पदार्थ आदि।
  • यह रोग संक्रामक है और यह 1 से 2 दिनों में एक रोगी से दूसरे रोगी में फैल सकता है।

मंकीपॉक्स से बचाव के लिए क्या करें?

  • साबुन और पानी से हाथ धोएं।
  • रोगी रोगी के कपड़े, चादर, तौलिये, बर्तन आदि का प्रयोग न करें।
  • मांस खाते समय मांस को पूरी तरह से पकाना चाहिए।
  • मरीजों की देखभाल करते समय आवश्यकतानुसार पीपीई का प्रयोग करें। उदा. मास्क, दस्ताने आदि। 
  • बीमार व्यक्ति को जंगली जानवरों के संपर्क में नहीं आना चाहिए।
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