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दवाइयों की कीमतों में हुई 40 फीसदी तक की वृद्धि

आशंका जताई जा रही है कि तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होने के बाद इनके दाम और भी बढ़ सकते हैं। जिससे आम आदमी को और भी बड़ा झटका लग सकता है।

दवाइयों की कीमतों में हुई 40 फीसदी तक की वृद्धि
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कमरतोड़ महंगाई से लड़ रही आम जनता हर मोर्चे पर आर्थिक लड़ाई से जूझ रही है। इसी महंगाई से स्वास्थ्य सेवा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र भी अछूते नहीं हैं। हृदय रोग और मधुमेह की दवाओं के दाम भी करीब 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं। इसके अलावा, एंटीबायोटिक दवाओं (antibiotics medicine) के साथ-साथ टॉनिक और खांसी की दवाओं की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है। आशंका जताई जा रही है कि तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होने के बाद इनके दाम और भी बढ़ सकते हैं। जिससे आम आदमी को और भी बड़ा झटका लग सकता है।

कोरोना वायरस (coronavirus) के संक्रमण की वजह से दवाओं के निर्माण में लगने वाले सामानों की आपूर्ति में बाधा पैदा हुई। नतीजतन, पैरासिटामॉल सहित अन्य दर्द निवारक, एंटीफंगल, कार्डियक और एंटीबायोटिक्स सहित आवश्यक दवाओं की कीमतों में भारत में 40 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। आवश्यक दवाओं की कीमतों में औसतन 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। साथ ही कुछ घटकों के दाम तो 140 फीसदी तक बढ़ गए हैं।

मेडिकल क्षेत्र में सक्रिय फार्मास्युटिकल घटकों या एपीआई कहे जाने वाले मूल्य में वृद्धि के कारण दवाएं अधिक महंगी हो गई हैं।

भारत अपने कच्चे माल का लगभग 70 प्रतिशत सक्रिय दवाओ की सामग्री या एपीआई के लिए चीन से आयात करता है। वर्तमान में हमारा देश हृदय रोग, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों की वैश्विक राजधानी बन गया है। इसलिए इन दवाओं की मांग ज्यादा है।

ब्लड प्रेशर की दवा प्रति 10 टैबलेट की कीमत करीब 172 रुपये थी। जो बढ़ कर अब 190 की हो गई है। तो वहीं मधुमेह के दवा की एक स्ट्रिप यानी 10 टैबलेट की कीमत पहले 11.30 रुपये थी जो बढ़कर अब 18 रुपये 50 पैसे हो गई है।

एंटासिड की 15 गोलियों की कीमत 24 रुपये से बढ़कर 37 रुपये हो गई है। झंडूबम जो पहले 35 रुपये था वह भी बढ़कर 40 रुपये हो गया है। तो वहीं विक्स इनहेलर की कीमत भी पहले 50 रुपये थी, जो अब यह 59 रुपये में मिल रही है।

खांसी की दवाई यानी एक शीशी की कीमत मात्र छह महीने में बढ़कर 40-50 रुपये हो गई है। जबकि डेटॉल की 105 रुपये की बोतल अब 116 रुपये हो गई है। कैल्शियम की गोलियों की कीमत 99 रुपये से बढ़कर 110 रुपये हो गई है। तो वहीं चर्म रोगों की दवा 37 रुपए में आती थी, जो अब 46 रुपए में मिल रही है।

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