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स्लम से अधिक गैर स्लम इलाकों में रहने वाले लोगों में एंटीबॉडी अधिक

सर्वेक्षण के पहले चरण में झुग्गी झोपड़ों में 57 प्रतिशत और गैर-स्लम क्षेत्रों से 16 प्रतिशत लोगों में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी पाए गए।

स्लम से अधिक गैर स्लम इलाकों में रहने वाले लोगों में एंटीबॉडी अधिक
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बीएमसी (BMC), नीति आयोग (NITI ayog) और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) द्वारा किए गए सेरो सर्विस (Cero service) में यह रिपोर्ट सामने आई है कि, चाहे स्लम इलाकों में रहने वाले हों या ऊँची इमारतों में रहने वाले लोग, इनमें से सबसे अधिक प्रभावित 41 साल से लेकर 60 साल तक की उम्र वाले लोग हैं।

इसके अलावा टीआईएफआर द्वारा प्रकाशित निष्कर्षों से पता चलता है कि स्लम में रहने वाले 41 से लेकर 60 वर्ष की आयु के कुल 1,060 लोगों का सेरो सर्वेक्षण किया गया।

जिसमें से 50.3 प्रतिशत लोगों की रिपोर्ट कोरोना वायरस (Clronavirus) के खिलाफ एंटीबॉडी (antibody) के लिए सकारात्मक टेस्ट आया। जबकि गैर स्लम इलाकों में रहने वाले 964 लोगों में यह सर्वे किया गया तो 18.6 फीसदी टेस्ट पॉजिटिव आया। इनमें से अधिकांश लोग या तो कंटेन्मेंट जोन (Contenment zone) में रहने वाले लोग हैं या ऐसे लोग हैं जो काम की सिलसिले में अक्सर बाहर निकलते थे।

इससे पहले, सर्वेक्षण के पहले चरण में झुग्गी झोपड़ों में 57 प्रतिशत और गैर-स्लम क्षेत्रों से 16 प्रतिशत लोगों में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी पाए गए। 

इस सर्वे में यह भी पाया गया कि, जहां पहले यह माना जाता था कि, झुग्गियों में रहने वाले लोगों में अधिक लोगों में एंटीबॉडी पाया जाता है, जबकि इस सर्वे में गैर स्लम इलाकों में रहने वाले लोगों में एंटीबॉडी अधिक पाया गया।

इस बीच सोमवार, 5 अक्टूबर को महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के 10,244 ताजा मामले दर्ज किए गये। जिसके बाद राज्य के COVID-19 के कुल केस बढ़कर 14 लाख 53 हजार 653 तक हो गए हैं। वर्तमान में, राज्य में 2 लाख 52 हजार 277 सक्रिय मामले हैं। साथ ही एक दिन में 12 हजार 982 COVID-19 रोगियों को ठीक होने के बाद उन्हें घर जाने की अनुमति दे दी गई।

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