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कोरोना की तीसरी लहर, जानें बचने के तरीके

कोरोना की दूसरी लहर डेल्टा ने भारत में जिस तरह से तांडव मचाया उसे पूरी दुनिया ने देखा। जिसके बाद आशंका अब तीसरी लहर को लेकर भी जताई जा रही है।

कोरोना की तीसरी लहर, जानें बचने के तरीके
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देश में इस समय कोरोना की दूसरी लहर (second wave of covid19) का असर अब कम हो रहा है, लेकिन विशेषज्ञों द्वारा कोरोना की तीसरी लहर (third wave of coronavirus) की चेतावनी दी जा रही है, जो कि काफी खतरनाक भी मानी जा रही है। इस तीसरी लहर को वायरस के नए वैरिएंट डेल्टा प्लस (delta plus) नाम दिया गया है, जबकि दूसरी लहर के वैरिएंट का नाम डेल्टा था।

इस नए वैरिएंट डेल्टा प्लस ने एक्सपर्ट और आम लोगों की चिंता बढ़ा दी है। क्योंकि बताया जा रहा है कि यह लगातार अपना रूप बदल रहा है।हालांकि अब इसे लेकर नई जानकारी सामने आई है।

डेल्टा प्लस वैरिएंट कितना खतरनाक?

कोरोना की दूसरी लहर डेल्टा ने भारत में जिस तरह से तांडव मचाया उसे पूरी दुनिया ने देखा। जिसके बाद आशंका अब तीसरी लहर को लेकर भी जताई जा रही है।

हालांकि हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप के चेयरमैन डॉ. एनके अरोड़ा का कुछ और ही कहना है। उन्होंने कहा कि, कोरोना के नए डेल्टा प्लस वैरिएंट को तीसरी लहर के साथ पूरी तरह जोड़ना सही नहीं है। फिर भी तीसरी लहर से नए वैरिएंट के संबंध को पूरी तरह खारिज भी नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि नए वैरिएंट के अब तक सिर्फ 51 मामले आए हैं और ऐसे में तीसरी लहर इसी वैरिएंट पर निर्भर करेगी, ऐसा कहना अभी जल्दबाजी होगी।

डॉक्टर अरोड़ा आगे कहते हैं कि, अकेले सिर्फ डेल्टा प्लस वैरिएंट से ज्यादा असर पड़ना वाला नहीं है, इसके अलावा भी तीन अलग फैक्टर होंगे जो कि तीसरी लहर को प्रभावित करेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि, पहला कारक देश में कितने लोग दूसरी लहर की चपेट में आए हैं, यह रहेगा। तो ऐसे में पहले से संक्रमित हो चुके लोगों को हल्की परेशानी हो सकती है लेकिन उनमें गंभीर लक्षण देखने को नहीं मिलेंगे।

दूसरा कारण बताते हुए डॉक्टर अरोड़ा का कहना है कि, कोरोना वायरस (coronavirus) को रोकने का सबसे कारगर उपाय है टीकाकरण (vaccination)। टीकाकरण का असर भी तीसरी लहर पर देखने को मिलेगा। अगर बड़ी तादाद में लोगों को टीका लग जाता है और उनमें इम्युनिटी (immunity) तैयार हो जाती है, भले ही वह टीके की एक डोज ही क्यों न हो। तो ऐसे में तीसरी लहर का असर काफी हद तक कम हो सकता है।

तीसरा, जो फैक्टर है वह आम लोगों के रहन-सहन पर निर्भर करेगा। डॉक्टर ने बताया कि मास्क के इस्तेमाल और सोशल डिस्टेसिंग (social distance) के पालन से हम तीसरी लहर के प्रकोप से बच सकते हैं। साथ ही सोशल डिस्टेंस का भी पालन करना होगा। यानी कोरोना (covid19) से जुड़े सभी प्रोटोकॉल को अपनाना होगा, इसमें कोई गफलत नहीं होनी चाहिए। डॉ. अरोड़ा का कहना है कि अगर इन सभी फैक्टर पर नजर डालें तो उम्मीद है कि तीसरी लहर को टाला जा सकता है।

हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि, तीसरी लहर के आने में अभी थोड़ा समय लग सकता है। तो ऐसे में दिसंबर तक उसने आने की आशंका है। उस स्थिति में हमारे पास वैक्सीनेशन के लिए ज्यादा समय होगा। उन्होंने बताया कि सरकार ने रोजाना एक करोड़ डोज देने का लक्ष्य रखा है और हम तेजी से लोगों का वैक्सीनेशन कर रहे हैं।

गौरतलब है कि इससे पहले अक्टूबर तक देश में तीसरी लहर आने के कयास लगाए जा रहे थे।इसके साथ ही लोगों को ज्यादा सावधानी बरतने की सलाह भी दी गई है। माना जा रहा है कि तीसरी लहर का असर बच्चों पर पड़ेगा, हालांकि इसे लेकर अभी तक एक्सपर्ट में आम राय नहीं बन पाई है।

इसके बदलते स्वरूप को देखते हुए बताया जा रहा है कि, यह न केवल बच्चों को अधिक प्रभावित करेगी बल्कि इसकी चपेट में जवान पुरुष महिला के अलावा वृद्ध भी आ सकते हैं।

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