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विश्व मधुमेह दिवस विशेष - गर्भवती महिलाएं बरते ये सावधानियां !


विश्व मधुमेह दिवस विशेष - गर्भवती महिलाएं बरते ये सावधानियां !
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मुंबई में रहनेवाले कामकाज के सिलसिले में इतने व्यस्त हो जाते है की कई बार वह अपने सेहत पर भी ध्यान नहीं दे पाते है। खासकर कॉरपोरेट क्षेत्र से संबंधित लोग दिन में 10 से 12 से भी अधिक घंटे काम कर रहे हैं जो तनाव और जीवनशैली के रोगों का कारण बन रहा है। मधुमेह बीमारी उन बीमारियों मे से एक है जो लंबे समय तक रहता है लेकिन अगर कोई कुछ सावधानियां बरते तो उसे नियंत्रित किया जा सकता है। किसी और से ज्यादा, यह गर्भवती महिला के साथ साथ गर्भ में पल रहे बच्चे को प्रभावित करता है।

14 नवंबर को हर साल विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर मुंबई लाइव ने स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ राजश्री कटके से एक खास मुलाकात की, और जानने की कोशिश की कि गर्भवती महिलाओं को मधुमेह के दौरान किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिये।

पूर्व-गर्भनिरोधक परामर्श
सावधानी हमेशा इलाज से बेहतर होती है, हम हमेशा मधुमेह से पिड़ित महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचने के लिए पूर्व-गर्भनिरोधक परामर्श के लिए जाने की सलाह देते हैं। साथ ही पति और पत्नी दोनों को ब्लड शुगर लेवल की भी जांच करने के लिए कहा जाता है। इस टेस्ट को जग्लाइसेमिक कंट्रोल भी कहा जाता है। जब ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रण में आता है, तो दंपत्ति को ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन परीक्षण के लिए कहा जाता है। अगर यह परिक्षण तीन महिने के पहले का रिकॉर्ड दिखाता है तो दंपत्ति को बच्चे की प्लानिंग ना करने की सलाह दी जाती है। क्योंकि यह माता और बच्चे दोनों के लिए हानिकारक होता है।

गर्भ में बच्चे को यह कैसे प्रभावित करता है?
मधुमेह की बीमारी , बच्चे के सिर और पीठ को प्रभावित कर सकती है। दरअसल बच्चे को रक्त के माध्यम से मां का शुगर मिलता है, जो बच्चे के अग्न्याशय को भी प्रभावित करता है। जिसके बाद बच्चे का वजन बढ़ने लगता है और बच्चे की नॉर्मल डिलवरी होने की संभावना कम रहती है।

डिलवरी के समय भी आती है समस्या
प्रसव के दौरान, बच्चे के सिर या बाहों की आकार बढ़ जाता है, जिससे डिलवरी के दौरान मां को और भी अधिक दर्द होता है। जो मां के साथ साथ बच्चे के लिए भी जोखिम भरा होता है। इसके अलावा, प्रसव के बाद, शिशु को कई तरह की समस्या हो सकती है।

माँ को कैसे प्रभावित करता है?
प्रसव के बाद ,मां का वजन बढ़ जाता है। जिससे उच्च या निम्न रक्तचाप होने की संभावना रहती है। अगर मधुमेह नियंत्रण से बाहर हो जाता है तो मां को कई और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

व्यायाम या योग का ले सहारा
प्रसव के बाद मां को व्यायाम और योग करना चाहिए। इसके अलावा, आंख, गुर्दा और हृदय की नियमित रूप से जांचना करानी चाहिए।

आहार पर नियंत्रण होना आवश्यक
मधुमेह से पिड़ित महिलाओं को खाना खाने के मामले में खआस ध्यान देना चाहिए। खाने में उन्हे शुगर कम खानी चाहिए। हरी पत्तेदार सब्जियां, मसूर का सेवन ज्यादा करे, तेल के खानों से बचे और डॉक्टरों की सलाह ले।

सकारात्मक रहे
किसी भी बीमारी से लड़ने के लिए मानसिक शक्ति होना काफी जरुरी होता है, अगर आप सकारात्म सोचेंगे और सावधानियां बरतेंगे तो बीमारियों पर समय रहते काबू पाया जा सकता है।

कामा अस्पताल की प्रसूतिशास्री राजश्री कटके का कहना है की महिला को गर्भवती होने पर 20 सप्ताह की गर्भावस्था तक 3 डी या 4 डी सोनोग्राफी करा लेनी चाहिए , जिससे बच्चे के विकास के बारे में पता चलता है। अगर बच्चे में किसी तरह की कोई भी समस्या है तो वह गर्भावस्था को समाप्त करने का विकल्प चुन सकती है।

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