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'मुंबई मेट्रो मेरे परिवार के हर सदस्य को हर दिन दे 10 हजार रुपए'


'मुंबई मेट्रो मेरे परिवार के हर सदस्य को हर दिन दे 10 हजार रुपए'
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रॉबिन जयसिंघानिया अपने अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ कफ परेड में रहते हैं। उनके घर के सामने है वाली सड़क पर ही मेट्रो-3 का कार्य चल रहा है। लेकिन इस परिवार के लिए मेट्रो-3 किसी बुरे अनुभव से कम नहीं साबित हो रहा है। फरवरी महीने से ही यानी जब से मेट्रो-3 का कार्य शुरू हुआ है तब से इस परिवार के दिन का चैन और रातों की नींद उड़ गई है। मेट्रो-3 के काम के दौरान जो मशीनों की काफी तेज तेज आवाजें आती हैं उससे यह सिंघानिया परिवार काफी परेशान हो गया है।


मेट्रो-3 का काम इस इलाके में दिन रात चलता है जिससे यहां भारी भरकम मशीने भी कार्यरत हैं। इन मशीनों से कानफोडू आवाजें आती है। रॉबिन कहते हैं कि इन आवाजों के कारण वे और उनका परिवार पिछले कई दिनों से अच्छी तरह से नहीं सो पा रहा है। वे कहते हैं कि हमेशा आवाज आने के कारण परिवार वालों को सिर दर्द, सर्दी, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा जैसी कई बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। रॉबिन का कहना है कि उनके बच्चों को और भी परेशानी हो रही है। वे ठीक से सो नही पा रहे हैं जिसे उनकी पढाई प्रभावित हो रही है।


अब रॉबिन ने इस मेट्रो-3 के काम के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया है। उन्होंने एक याचिका दायर कर मांग की है कि उनके परिवार के हर सदस्य को हर दिन 10 हजार रुपए मुआवजे के तौर पर दिए जाए।

मुंबई लाइव से बात करते हुए रॉबिन जयसिंघानिया कहते हैं कि कोई कितनी भी बड़ी योजना हो सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सुबह 6 से रात 10 बजे तक ही कार्य कर सकते हैं। साथ ही कोर्ट ने रिहायशी इलाको में काम करने को लेकर भी आवाज की उचित मानक तय किए हुए हैं बावजूद इसके मेट्रो-3 इन सभी नियमों के खिलाफ काम कर रही है।


जयसिंघानिया ने आरोप लगाया कि उन्होंने हो रही इस तकलीफ को लाकर कई बार पुलिस में भी शिकायत की लेकिन पुलिस नहीं सुन रही है। यही नहीं उन्होंने कहा कि वे कई संबंधित अधिकारियों और कई नेताओं से भी मिले लेकिन किसी ने भी उनकी नहीं सुनी इसीलिए उन्होंने कोर्ट का रुख किया।


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जयसिंघानिया के द्वारा दायर याचिका के अनुसार एमएमआरसी, ठेकेदार और संबंधित विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हुए कई बार और कई दिनों से ध्वनी प्रदुषण कर रहे है जिससे उनके जैसे और कई पिरवार वालों को काफी परेशानी हो रही है।


फरवरी महीने से अब तक मैंने न जाने कितनी बार और कितने ही लोगो से इसकी शिकायत की. पुलिस के पास गया, ठेकेदार से मिला, सोसायटी की तरफ से एमएमआरसी को पत्र भी लिखा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. विरोध करने पर मुझ धमकी दी जाती है. इसीलिए मैंने कोर्ट की शरण ली. रात के समय काम बंद हो यही मेरी मांग है.

रॉबिन जयसिंघानिया, याचिकाकर्ता


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