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गुड न्यूज! मुंबई महानगर के लिए अब अलग से ‘एसआरए’


गुड न्यूज! मुंबई महानगर के लिए अब अलग से  ‘एसआरए’
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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (uddhav thackeray) की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट की बैठक हुई। जिसमें मुंबई महानगर क्षेत्र (MMR region) में 8 नगर निगमों और 7 नगर पालिकाओं के लिए एक स्वतंत्र स्लम पुनर्वास प्राधिकरण स्थापित करने का निर्णय लिया गया। अब तक इस MMR क्षेत्र में मुंबई भी शामिल था, लेकिन अब इसे अलग कर दिया गया है। मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी (MMR-SRA) का मुख्यालय ठाणे में होगा।

इन नगर पालिकाओं का होगा समावेश

झोपडपट्टी पुनर्वसन योजना (SRA) के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए मुंबई महानगर क्षेत्र (सिडको और नैना क्षेत्र सहित), ठाणे, पनवेल, कल्याण-डोंबिवली, भिवंडी-निजामपुर, वसई-विरार, मीरा-भायंदर और उल्हासनगर सहित कुल 8 महानगर पालिका और अंबरनाथ, बदलापुर, अलीबाग, पेन, खोपोली, माथेरान और कर्जत सहित 7 नगर पालिका / नगर परिषद शामिल हैं।

इसमें मुंबई महानगर क्षेत्र के लिए एक अलग स्लम पुनर्वास प्राधिकरण (ग्रेटर मुंबई नगर निगम क्षेत्र को छोड़कर) को लागू करने के लिए मंजूरी दी गई है।

बढ़ते हुए झोपड़े

इस नगर पालिका/ नगर परिषद क्षेत्र में बड़ी संख्या में झुग्गियां बनी हुई हैं। इन बस्तियों में लोग कई सालों से रह रहे हैं, जहां मूलभूत सुविधाओं का हमेशा अभाव रहता है। जिसके बाद इन इलाकों के डेवलोपमेन्ट की आवश्यकता महसूस की गई। नए स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी की स्थापना के साथ, इस क्षेत्र में स्लम पुनर्वास के लिए स्थानीय लोगों को एक बेहतर घर में रहने का सपना साकार तो होगा ही साथ ही जीवन स्तर में भी सुधार आएगा।

सिफारिश को किया गया स्वीकार

मुंबई महानगर प्रदेश क्षेत्र के लिए अलग से झुग्गी पुनर्वास प्राधिकरण (बीएमसी क्षेत्र को छोड़कर) को लागू करने के लिए विशेषज्ञों की सिफारिश को सिद्धांत रूप में स्वीकार कर लिया गया। इसी तरह, राज्य के अन्य प्रमुख शहरों में झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों के लिए एक झोपड़पट्टी पुनर्वसन योजना को लागू करने के लिए प्रमुख सचिव (आवास) की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र अध्ययन समूह की नियुक्ति की गई है।

200 करोड़ का प्रावधान

प्रस्तावित मुंबई महानगर क्षेत्र स्लम पुनर्वास प्राधिकरण के लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में आई.ए.एस अधिकारियों के साथ-साथ प्रशासनिक और तकनीकी मामलों की नियुक्ति विभाग द्वारा अलग से की जाएगी।  इस प्राधिकरण के लिए 200 करोड़ रुपये का वित्तीय प्रावधान किया गया है।

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