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जानिए खतरनाक हो चुकीं इमारतों के लक्षण

आपका घर, बोल नहीं सकता, वह अपनी स्थिति नहीं बता सकता लेकिन इसके अलग-अलग लक्षण दिखने से आप अपने घर की स्थिति परख सकते हैं कि वह खतरनाक स्थिति में है या नहीं। इस पर हमारी नजर होना जरूरी है।

जानिए खतरनाक हो चुकीं इमारतों के लक्षण
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मुंबई में हर साल बारिश के मौसम में जर्जर हो चुकी इमारतों के गिरने की घटनाएं सामने आती हैं। इन घटनाओं में लोग असमय ही काल के गाल में समा जाते हैं। अभी हाल ही में मुंबई के डोंगरी इलाके में एक जर्जर इमारत गिर पड़ी जिससे 13 लोगों की मौत हो गयी थी, इसके बाद मालाड इलाके में एक दीवार गिरने से करीब 32 लोगों की मौत हो गयी थी। अक्सर ये घटनाएं प्रशासन द्वारा खतरनाक इमारतों पर कोई कार्रवाई नहीं करने के कारण होती हैं, भले ही खतरनाक हो चुकीं इन इमारतों में निवासियों को रहना पड़ता हो। पुरानी इमारतों में रहने वाले निवासियों को अधिक जोखिम होता है, उन्हें अधिक सावधान रहने की जरूरत होती है।

आपका घर, बोल नहीं सकता, वह अपनी स्थिति नहीं बता सकता लेकिन इसके अलग-अलग लक्षण दिखने से आप अपने घर की स्थिति परख सकते हैं कि वह खतरनाक स्थिति में है या नहीं। इस पर हमारी नजर होना जरूरी है। सही समय पर ध्यान देने से जोखिम से बचा जा सकता है। इसलिए यह जरुरी है कि दुर्घटना घटने से पहले ही आने वाले संभावित खतरे को आप पहचान लें, हम आपको 10 ऐसी बातें बताएँगे जिससे आप खतरनाक इमारतों की पहचान कर अपना आप को बचा सकते हैं।

1) सोसायटी को एक फ़ाइल बनाना चाहिए और इमारत से संबधित सभी बातों का रिकॉर्ड रखना चाहिएमसलन भवन कितना पुराना हैअंतिम संरचनात्मक ऑडिट कब किया गया थाउस संरचनात्मक ऑडिट से क्या निकलाइन सभी बिंदुओं को फ़ाइल में उल्लेख किया जाना चाहिए।

2) भवन के साथ आसपास के क्षेत्र का निरीक्षण करना भी आवश्यक है। यदि भवन के चारों ओर की जमीन इमारत की जमीन से ऊँची है तो घर में पानी भरने की पूरी संभावना हो सकती है। इसीलिए ऐसे जमीन में घर बनाने से बचना चाहिए।

3) बारिश के मौसम में जब सभी स्थानों पर पानी भरा होता है तो चूहे आपके घर को अपना निवास स्थान बना सकते हैं। ये चूहे बिल खोद कर नींव को कमजोर कर सकते हैंऔर बिल के रास्ते पानी भी घुसने की संभावना होती है। इसीलिए नींव कमजोर हो जाती है। 

4) बारिश के मौसम में अकसर ग्राउंड फ्लोर की दीवारें भीगने के कारण गीली हो जाती हैं। इससे प्लास्टर कमजोर होकर गिरने लगता है और दीवारों की ईंट नजर आने लगती है। इस पर भी ध्यान देना चाहिए।

5) आंतरिक निर्माण करते समय कभी भी बिल्डिंग की मूल संरचना से छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए। निर्माण करते समय यह ध्यान देना चाहिए कि बिल्डिंग के पीलर को कोई नुकसान या उस पर अतिरिक्त वजन तो नहीं पड़ रहा है। 

6) बालकनी में लगे लोहे की जालियों पर भी समय समय पर ध्यान देते रहना चाहिए। गर्मीऔर बारिश से उनके जोड़ कमजोर हो जाते हैं और उनके गिरने का खतरा बना रहता है।

7) अगर बिल्डिंग की आंतरिक और बाहरी कॉलम और पिलर के अंदर के लोहे दिखने शुरू हो रहे है तो यह इस बात का लक्षण है कि वे कमजोर हो चुके हैं। अगर दीवारों के प्लास्टर गिरना शुरू हो गये हैंदीवारें की ईंटे मोसम की मार से झरने लगे हैं तो यह दीवार के कमजोर होने का संकेत है।

8) यदि प्लास्टर पर काई जम गयी होड्रेनेज पाइप के जोड़ों पर पौधे या घास उग आई होड्रेनेज लाइन में जंग लग गयी हो या फिर पाइप फट गयी हो तो समझ लें कि ये घर में हो रहे पाइप लाइन के लीकेज की तरफ आपका ध्यान नहीं है। इसके लिए ड्रेनेज पाइप के रिसाव को तत्काल ठीक किया जाना चाहिए। 

9) हर 2-3 साल बाद बिल्डिंग संरचना का ऑडिट कराते रहना चाहिए। इससे इमारत की सही स्थिति का पता चलता रहता है। 

10) वैसे तो बीएमसी द्वारा खतरनाक हो चुकीं इमारतों की सूची हर साल जारी की जाती है। बुद्धिमानी इसी में है कि अगर आपकी इमारत खतरनाक वाली लिस्ट में शामिल है तो उसे तत्काल खाली कर देंक्योंकि कैसे भी करके घर दूसरा बन जायेगा लेकिन एक बार जान चली गयी तो उसका कुछ नहीं हो सकता।

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