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लक्ष्मी-कुबेर पूजन का फल


लक्ष्मी-कुबेर पूजन का फल
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मुंबई - वर्षों से मनुष्य का सर्वप्रथम उद्देश्य रहा है लक्ष्मी अर्थात श्री की प्राप्ति। जिस व्यक्ति पर लक्ष्मी की कृपा होती है, उस पर दरिद्रता, दुर्बलता, कृपणता, असंतुष्टि और पिछड़ापन कभी नहीं टिकता। वर्तमान समय में जीवन में अर्थ के बिना सफलता असंभव है। जीवन में धन का होना सौभाग्य, शक्ति और वैभव का प्रतीक है, लेकिन धन को बनाये रखना एक बड़ी समस्या है, क्योंकि लक्ष्मी चंचला होती हैं। हिंदू पूजा और तंत्र शास्त्र में धनी व्यक्ति का अर्थ केवल सांसारिक रूप से ही धनी होना नहीं है, मानसिक और पारिवारिक रूप से संपन्न, समृद्ध और शांति प्राप्त करनेवाला होना भी है। मां लक्ष्मी धन की देवी हैं, तो कुबेर धन के संरक्षक हैं। धन प्राप्ति के लिए लक्ष्मी और कुबेर दोनों की कृपा जरूरी है। इनकी पूजा से भक्तों की मनोकामना पूरी होकर धनपुत्रादि की प्राप्ति सहज हो जाती है। मानव जीवन में चारों पुरूषार्थो में अर्थ का विशेष महत्व है। धन के बिना मनुष्य जीवन कष्टमय व्यतीत होता है। जिनके पास धन है, उनके यहां सभी तरह की सुख-सुविधाएं भोगने को मिलती हैं। जिस तरह भगवान श्रीगणेश सिद्धि-बुद्धि के स्वामी हैं। उसी तरह निधिपति राजाधिराज कुबेर धनदान के स्वामी हैं। इन्हें धनाध्यक्ष एवं नवनिधियों का स्वामी भी कहा जाता है। इस बार रविवार 30 अक्टूबर को शाम 6.05 से रात 8.36 तक प्रदोषकाल में लक्ष्मीपूजन का मुहूर्त है।

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