अमृता ने बुधवार को ट्वीट किया, और कहा कि महाराष्ट्र में बार (bar) और शराब (liquor shop) की दुकानों को खोलने की छूट है, लेकिन मंदिर खतरनाक जोन में हैं। भरोसा न कर पाने वाले लोगों को सर्टिफिकेट देकर खुद को साबित करना होता है, ऐसे लोग स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SoP) को लागू करवाने में नाकाम रहते हैं।
बता दें कि अमृता फडणवीस ने उस बात को लेकर तंज कसा था जिसमें, उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी (bhagatsingh koshyari) को एक पत्र का जवाब देते हुए लिखा था कि, उन्हें हिंदुत्व (hindutva) के लिए किसी से सर्टिफिकेट लेने की कोई जरूरत नहीं है।
इससे पहले मंगलवार को महाराष्ट्र में मंदिर न खोले जाने पर राज्यपाल (governor) भगत सिंह कोश्यारी और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बीच चिट्ठीबाजी हुई थी। राज्यपाल ने अपनी चिट्ठी में उद्धव को लिखा था कि 'यह विडंबना है कि एक तरफ सरकार ने बार, होटल और रेस्त्रां खोल दिए हैं, लेकिन मंदिर नहीं खोल रही है। क्या आपको मंदिर नहीं खोलने के लिए भगवान ने कहा है, या आप अचानक से सेक्युलर (secular) हो गए है, जिससे आप नफरत करते थे।
इसके बाद उद्धव ने भी राज्यपाल की इस चिट्ठी का तुरंत जवाब दिया था, जिसमें उन्होंने लिखा कि, उन्हें उनसे यानी राज्यपाल से हिंदुत्व के लिए सर्टिफिकेट नहीं चाहिए। उनकी सबसे पहली प्राथमिकता राज्य के लोगों की कोरोना (Covid-19) से रक्षा करना है।
गौरतलब है कि, अमृता फडणवीस इससे पहले भी कई मुद्दों को लेकर राज्य की उद्धव सरकार की आलोचना कर चुकी हैं। अभी कुछ महीने पहले ही उनके पति और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राहुल गांधी को लेकर एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने लिखा था कि, 'गांधी' सरनेम लगाने से हर कोई गांधी नहीं हो जाता। इसी ट्वीट को लेकर अमृता ने भी लिखा, बिलकुल सही देवेंद्र जी! अपने नाम के आगे 'ठाकरे' उपनाम लगाने से कोई भी 'ठाकरे' नहीं बन सकता!