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कॉन्ट्रैक्ट पद्धति लाकर बेस्ट को बर्बाद कर दिया

शिवसेना सचिव किरण पावसकर की आदित्य ठाकरे पर तीखी आलोचना

कॉन्ट्रैक्ट पद्धति लाकर बेस्ट को बर्बाद कर दिया
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मुंबई महापालिका में 25 साल सत्ता में रहने के बावजूद उबाठा ग्रुप ने बेस्ट कर्मचारियों के लिए कुछ नहीं किया। उल्टा, कॉन्ट्रैक्ट पद्धति से नई बसें और कर्मचारियों की भर्ती करके मुंबईकरों की लाइफलाइन मानी जाने वाली बेस्ट को बर्बादी की कगार पर धकेल दिया। ऐसी कड़ी आलोचना शिवसेना सचिव किरण पावसकर ने आदित्य ठाकरे पर की । वे बालासाहेब भवन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे। (BEST was ruined by introducing the contract system alleged eknath shinde shiv sena)

इसी बीच, दि बेस्ट एम्प्लॉईज को-ऑप क्रेडिट सोसायटी के पंचवार्षिक चुनाव में शिवसेना की राष्ट्रीय कर्मचारी सेना के संतोष चतुर और राजेंद्र गोरे ये दोनों उम्मीदवार विजयी हुए। इस मौके पर मिठाई बांटकर और ढोल-ताशे बजाकर जश्न मनाया गया। मराठी होने का दिखावा करने वालों को बेस्ट के मराठी कामगारों ने करारा जवाब दिया, ऐसी तीखी आलोचना किरण पावसकर ने की। उन्होंने कहा कि मुंबई और महाराष्ट्र में अगर कोई एक ब्रांड है तो वह केवल हिंदुहृदयसम्राट बाला साहेब ठाकरे ह

दि बेस्ट एम्प्लॉईज को-ऑप क्रेडिट सोसायटी के पंचवार्षिक चुनाव में सहकार समृद्धि पैनल के नेतृत्व में राष्ट्रीय कर्मचारी सेना की ओर से पाँच उम्मीदवार खड़े किए गए थे। इनमें से संतोष चतुर और राजेंद्र गोरे विजयी हुए, जबकि सुधीर पाटिल और उत्तम माने बहुत कम अंतर से हार गए। केवल तीन साल में राष्ट्रीय कर्मचारी सेना को जो सफलता मिली है, वह शिवसेना के मुख्य नेता और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जी की देन है, ऐसा पावसकर ने कहा।

उन्होंने याद दिलाया कि मुख्यमंत्री रहते हुए एकनाथ शिंदे जी ने मुंबई महापालिका के कर्मचारियों के साथ-साथ बेस्ट कर्मचारियों को 29 हज़ार रुपये बोनस देने का फैसला किया था। इसके अलावा महापालिका के सफाई कर्मचारियों के लिए घर बनाने का भी निर्णय लिया था। लेकिन जिनके पास 25 साल तक महापालिका की सत्ता थी, उन्होंने कामगारों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया। बेस्ट के कामगार कॉलोनियों की हालत खराब कर दी। कॉन्ट्रैक्ट पद्धति से बसें लाईं, हज़ारों कर्मचारियों की भर्ती की और यह सब केवल चार ठेकेदारों के माध्यम से किया गया, जो आदित्य ठाकरे के नजदीकी थे, ऐसा बड़ा खुलासा पावसकर ने किया।

उन्होंने आगे कहा कि पिछले 25 सालों में 21 ठेकेदारों को मुंबई महापालिका के काम दिए गए, जिनमें से 16 से 18 ब्लैकलिस्टेड थे और सभी अमराठी थे। चुनाव आते ही मराठी होने की बात करना और कॉन्ट्रैक्ट अमराठी दोस्तों को देना, यह आदित्य ठाकरे की असली नीति है, ऐसी आलोचना पावसकर ने की। 

पावसकर ने कहा कि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जी ने वरळी के मछुआरों की समस्याओं का समाधान किया और उन्हें 132 करोड़ रुपये का मुआवज़ा दिलाने का काम किया। लेकिन आदित्य ठाकरे वरळी के विधायक होने के बावजूद और उनके पिता मुख्यमंत्री रहते हुए भी मछुआरों की समस्याएं क्यों नहीं सुलझा पाए? ऐसा सवाल पावसकर ने उठाया।

इसके साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि मिठी नदी की सफाई का ठेका अभिनेता डिनो मोरिया को किस आधार पर दिया गया?

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