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मोदी सरकार का चुनावी दांव, गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण को कैबिनेट की मंजूरी

मराठा समाज को तो आरक्षण दे दिया गया लेकिन धनगर और मुस्लिम समाज अभी भी आरक्षण के नाम पर आक्रामक रवैया अपनाये रहते हैं। जबकि अभी तक गुजरात के पाटीदारों और राजस्थान, हरियाणा के गुज्जरों का आरक्षण का मुद्दा अटका पड़ा है।

मोदी सरकार का चुनावी दांव, गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण को कैबिनेट की मंजूरी
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महाराष्ट्र में मराठा समाज को मिले 16 फीसदी आरक्षण का मामला जहां हाई कोर्ट में अभी विचाराधीन है तो वहीँ केंद्र की मोदी सरकार ने भी ठीक चुनाव से पहले सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए सरकारी नौकरी और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब अगर इस 10 फीसदी आरक्षण को भी मिला दिया जाए तो महाराष्ट्र में आरक्षण का कोटा बढ़ कर 78 फीसदी हो जाएगा, जबकि अब केंद्र के आरक्षण का कोटा 49.5 से बढ़ कर 59.5 पर आ गया है। बता दें कि भारतीय संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में सरकार इसे अमलीजामा पहनाने के लिए संविधान संशोधन ही एकमात्र रास्ता है। 

आरक्षण की शर्तें
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इस आरक्षण का लाभ EWS यानी आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को मिलेगा। इसके लिए जो शर्तें तय की गयीं हैं वे इस प्रकार है-

  • जिनकी पारिवारिक आय 8 लाख रुपये सालाना से कम है।
  • शहर में 1000 स्क्वेयर फीट से छोटे मकान हो 
  • 5 एकड़ से कम की कृषि भूमि हो आदि।

दूर होगी सवर्णों की नाराजगी 
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मोदी सरकार द्वारा लागू किये गये एससी/एसटी ऐक्ट से सवर्ण जातियों में नाराजगी फैली थी। इसी का परिणाम हाल ही में तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव में मिली हार के मद्देनजर इसे सवर्णों को अपने पाले में लाने की कोशिश के तौर पर देखा जा सकता है। 

अभी भी कई लोग लाइन में 
इस चुनावी समर में आरक्षण का मुद्दा अपने चरम पर है। राज्य में काफी समय से मुस्लिम, धनगर और मराठा समाज आरक्षण की मांग कर रहे हैं। मराठा समाज को तो आरक्षण दे दिया गया लेकिन धनगर और मुस्लिम समाज अभी भी आरक्षण के नाम पर आक्रामक रवैया अपनाये रहते हैं। जबकि अभी तक गुजरात के पाटीदारों और राजस्थान, हरियाणा के गुज्जरों का आरक्षण का मुद्दा अटका पड़ा है।


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