चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव की तर्ज पर मतदान केंद्रों पर मोबाइल फोन ले जाने पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को साफ किया कि यह फैसला किसी भी तरह से गैरकानूनी नहीं है। इस बार कोर्ट ने चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली मनसे की जनहित याचिका खारिज कर दी। (Bombay High Court dismisses plea to allow mobile phones inside polling booths, finds no illegality in EC ban)
केंद्रीय चुनाव आयोग को मतदान और चुनाव के सुचारू संचालन के लिए सभी आवश्यक उपाय लागू करने का अधिकार है। मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा।यह याचिका एमएनएस कार्यकर्ता उजाला श्यामबिहारी यादव ने दायर की थी, जिसे हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया।
चूंकि चुनाव प्रक्रिया बहुत जटिल है, इसलिए याचिकाकर्ताओं ने मांग की कि आईडी कार्ड को डिजीलॉकर ऐप की मदद से प्रदर्शित करने की अनुमति दी जानी चाहिए। लेकिन, किसी भी व्यक्ति को डिजिलॉकर ऐप वाले मोबाइल के जरिए सबूत के तौर पर दस्तावेज दिखाने का अधिकार नहीं है। इस कारण से, पीठ ने इस तथ्य को रेखांकित करते हुए याचिका खारिज कर दी कि मतदान केंद्र पर मोबाइल फोन ले जाने पर प्रतिबंध लगाने का चुनाव आयोग का निर्णय किसी भी तरह से अवैध नहीं था।
यदि मोबाइल फोन को मतदान केंद्र पर ले जाने की अनुमति दी जाती है, तो नागरिकों को फ़ोटो या वीडियो के माध्यम से दूसरों को यह दिखाने की संभावना होगी कि उन्होंने किस पार्टी को वोट दिया है। अदालत ने चुनाव आयोग के नियम को बरकरार रखते हुए कहा कि इससे मतदान की गोपनीयता और निष्पक्ष चुनाव प्रभावित होने की संभावना है।
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