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“कोविड के दौरान भी फंड नहीं रुका”, फडणवीस की मौजूदगी में चीफ जस्टिस ने की उद्धव ठाकरे की तारीफ

एक कार्यक्रम में जब फडणवीस मंच पर मौजूद थे, तब चीफ जस्टिस ने सार्वजनिक तौर पर और जोश से उद्धव ठाकरे की तारीफ की

“कोविड के दौरान भी फंड नहीं रुका”, फडणवीस की मौजूदगी में चीफ जस्टिस ने की उद्धव ठाकरे की तारीफ
प्रतिकात्मक फोटो
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महाराष्ट्र की राजनीति में एक-दूसरे के धुर विरोधी रहे पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और मौजूदा उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। हालांकि इस बार इसकी वजह सीधे तौर पर देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस भूषण गवई का बयान है। हाल ही में नागपुर में एक कार्यक्रम में जब फडणवीस मंच पर मौजूद थे, तब चीफ जस्टिस ने सार्वजनिक तौर पर और जोश से उद्धव ठाकरे की तारीफ की। खास बात यह रही कि उन्होंने कई बार सकारात्मक तरीके से उद्धव ठाकरे का नाम लिया, जिससे उपस्थित लोगों में चर्चा भी हुई। (Chief Justice praises Uddhav Thackeray in chief minister Fadnavis presence)

राजनीतिक संबंधों का सफर, सहयोग से टकराव तक

2014 में भाजपा और शिवसेना अलग-अलग चुनाव लड़कर सत्ता में साथ आए थे। देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने और शिवसेना सत्ता में साझेदार थी। उस दौरान कुछ राजनीतिक मतभेद तो थे, लेकिन सहयोग का भाव था। हालांकि, 2019 में फिर से गठबंधन के साथ चुनाव लड़ने के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर टकराव पैदा हो गया और शिवसेना ने भाजपा पर विश्वासघात का आरोप लगाया और कांग्रेस और एनसीपी के साथ महा विकास अघाड़ी का गठन किया। उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने और उसके बाद फडणवीस-ठाकरे के रिश्ते में हमेशा के लिए तनाव आ गया।

"लॉ यूनिवर्सिटी के लिए फंड की कमी नहीं"

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस भूषण गवई ने कहा की "कोरोना काल में सब कुछ ठप हो गया, लेकिन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने लॉ यूनिवर्सिटी के लिए फंड की कमी नहीं आने दी, जब 2016 में इस विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी गई थी, तब फडणवीस मुख्यमंत्री थे,  दूसरे चरण में वे विपक्ष के नेता बने, तीसरे चरण में उन्होंने उपमुख्यमंत्री के रूप में भाग लिया और अब जब काम पूरा हो रहा है, तो वे फिर से मुख्यमंत्री हैं।"

उद्धव ठाकरे की खुलकर तारीफ 

उनकी इस मजेदार टिप्पणी से उपस्थित लोगों में हंसी की लहर भी दौड़ गई। एक कार्यक्रम में दो विरोधी धाराएं इस कार्यक्रम की खासियत यह रही कि फडणवीस और मुख्य न्यायाधीश एक साथ एक मंच पर मौजूद थे और वहां उद्धव ठाकरे की खुलकर तारीफ की गई। राजनीतिक दृष्टि से यह एक उल्लेखनीय घटना बन गई है। शिवसेना से टकराव के बाद सार्वजनिक मंच पर उद्धव ठाकरे का नाम इस रूप में लिया जाना, खासकर तब जब फडणवीस मौजूद थे, एक अलग राजनीतिक रंग ले आया। राजनीति अलग है, काम की पहचान है

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