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गैरों पे करम, अपनों पे सितम....


गैरों पे करम, अपनों पे सितम....
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मुंबई – गैरों पे करम, अपनों पे सितम...मशहूर गीतकार साहिर लुधियानवी का लिखा यह गीत इस समय कांग्रेस के ऊपर सबसे फिट बैठता है। अब जब चुनावी घमासान थम गया है तो सबको परिणाम का इंतजार है। इस बार बीजेपी और शिवसेना के अलग लड़ने के बाद भी कांग्रेस को कुछ भी फायदा नहीं हुआ।

एक्जिट पोल के अनुमान के मुताबिक इस बार कांग्रेस को अधिक सीट आने की उम्मीद जताई जा रही थी। राजनीति के जानकारों की मानें तो ऐसा इसलिये कहा जा रहा है कि 1992 में भी जब बीजेपी और शिवसेना की युति टूटी थी तब इसका सबसे बड़ा लाभ कांग्रेस को ही मिला था। लेकिन इस बार बदली परिस्थितियों में मद्देनजर कांग्रेस रेस में बहुत पीछे हैं।

इसके अलावा बीजेपी और शिवसेना ने प्रचार में भी अन्य पार्टियों से आगे रही जबकि कांग्रेस इनके आसपास भी नहीं फटक सकी। जानकारों के अनुसार इस बार कांग्रेस की दुर्गति की प्रमुख वजह उनका आपसी विवाद रहा। उनके बड़े-बड़े नेताओं ने खुद को प्रचार से अलग कर लिया था। इतना ही नहीं जब कांग्रेस ने अपना मैनिफेस्टो जारी किया तो उस समय कांग्रेस का कोई भी बड़ा नेता नजर नहीं आया।

आशंका जताई जा रही है कि शायद कांग्रेस 50 सीट से ऊपर जाएं। यही नहीं कांग्रेस को एक तरफ बड़े नेताओं की नाराजगी तो दूसरी तरफ टिकट वितरण में कार्यकर्ताओं की भी नाराजगी झेलनी पड़ी। प्रचार के पहले ही दिन नेता एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करते नजर आए।

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