कोरोना वायरस ने निपटने के लिए देश मे 21 दिनों का कर्फ्यू लगा हुआ है। तालाबंदी के कारण महाराष्ट्र में कारोबार ठप हो गया है। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी बड़ा प्रभाव पड़ा है। राज्य की उद्धव ठाकरे सरकार ने इस आर्थिक मंदी से बाहर निकालने के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस निर्णय के अनुसार, राज्य के सभी प्रतिनिधियों के वेतन में 60 फीसदी की कमी होगी और उन्हें केवल 40 फीसदी वेतन ही दिया जाएगा।
कोरोनावायरस वायरस के प्रकोप ने राज्य में स्वास्थ्य संकट पैदा कर दिया है। वायरस के कारण राज्य की वित्तीय आय को भी कम हो गई है। उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजीत पवार ने मंगलवार को कहा कि सरकारी अधिकारियों, और सभी प्रतिनिधियों ने मार्च में वेतन में कटौती का फैसला किया है। निर्णय के अनुसार, मुख्यमंत्री, उप-मुख्यमंत्रियों, विधानमंडल के सदस्यों के साथ-साथ स्थानीय स्वराज संस्थानों के सदस्यों के सभी प्रतिनिधियों के वेतन में मार्च महीने में कटौती की जाएगी। इसके साथ ही ‘अ’और ‘ब’ वर्ग के अधिकारी कर्मचारी के वेतन में 50 फीसदी तो वही क वर्ग के कर्मचारियों की सैलरी में 25 फीसदी की कटौती की जाएगी। हालांकि ड वर्ग के किसी भी कर्मचारी की कोई भी सैलरी नही काटी जाएगी।
इससे पहले, वित्त मंत्री अजीत पवार ने केंद्र सरकार को एक पत्र भेजा था जिसमें कहा गया था कि महाराष्ट्र को 25000 करोड़ रुपये का पैकेज दिया जाए।