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यह मामला केवल अनिल देशमुख तक ही सीमित नहीं है, इसमें और भी लोग हैं, फडणवीस का दावा

विपक्षी दल के नेता ने कहा, इस मामले की जांच से बहुत कुछ सामने आएगा। पूछताछ केवल एक मामले तक सीमित नहीं है। यह तो एक मोहरे हैं जिनकी जड़ों की जांच करना है।

यह मामला केवल अनिल देशमुख तक ही सीमित नहीं है, इसमें और भी लोग हैं, फडणवीस का दावा
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महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख (anil deshmukh) के इस्तीफे के बाद BJP और भी आक्रमक होकर सरकार को घेरने में लगी है। BJP नेता और विपक्ष प्रमुख देवेंद्र फडणवीस (devendra fadnavis) ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (uddhav thackeray) पर सीधे तौर पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, गृहमंत्री के इस्तीफे के बावजूद मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर अभी तक चुप क्यों हैं? यह सरकार लोगों के मन से उतर गई है। यह सरकार अपनी ही नकारात्मकता के कारण गिर जाएगी।

देवेंद्र फड़नवीस ने मीडिया से बात करते हुए आगे कहा, यह उम्मीद थी कि राज्य के गृहमंत्री अदालत के फैसले के बाद इस्तीफा दे देंगे। वास्तव में, मुझे लगता है कि इस्तीफा देने में बहुत देर हो चुकी है। हमारी उम्मीद यह थी कि अनिल देशमुख को मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह (parambeer singh) के पत्र के बाद इस्तीफा दे देना चाहिए था। तत्कालीन खुफिया विभाग की आयुक्त रश्मि शुक्ला (rashmi shukla) की रिपोर्ट और सचिन वझे (sachin Waze) की जांच के बाद से जो कुछ आश्चर्यजनक तथ्य बाहर आए, उसी समय देशमुख को यह कदम उठाना चाहिए था। लेकिन इसके लिए हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार करना पड़ा।

फडणवीस ने कहा, मैं एक सवाल पूछना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री इन मुद्दों पर अभी तक चुप क्यों हैं? जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ा, यह और अधिक जटिल हो गया, और अधिक से अधिक चीजें प्रकाश में आईं। सरकार और राज्य की छवि को धूमिल करने वाली घटनाओं के बावजूद, मुख्यमंत्री इन सभी मामलों पर चुप रहे।

देवेंद्र फड़नवीस ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा, मुझे मुख्यमंत्री का आखिरी वाक्य याद है कि, वझे बिन लादेन है क्या? इस तरह से मुख्यमंत्री ने वझे का समर्थन किया था। मुख्यमंत्री ने तब से इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है। सरकार को बचाने के लिए मुख्यमंत्री को लगातार समझौता करना पड़ता है।लेकिन वे महाराष्ट्र की गरिमा और सम्मान के साथ ये समझौता कर रहे हैं। उन्हें इसका जवाब देना होगा।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, पुलिस का उपयोग प्राइवेट आर्मी की तरह वसूली के लिए किया जा रहा है। सिंडिकेट राज का गठन करके पुलिस का उपयोग हफ्ता की वसूली के लिए किया जाएग, तो यही निष्कर्ष निकलेगा।  इसके लिए पुलिस जिम्मेदार नहीं है। यह एक प्रणाली है। लेकिन यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि सिस्टम को चलाने वाली सरकार इसका उपयोग कैसे करती है। यदि इस अत्याचारी शक्ति का उपयोग किया जाता है, तो लोग पीड़ित होंगे। यह वह स्थिति है जो हमने महाराष्ट्र में देखी है। यह सरकार की पूरी जिम्मेदारी है।

विपक्षी दल के नेता ने कहा, इस मामले की जांच से बहुत कुछ सामने आएगा। पूछताछ केवल एक मामले तक सीमित नहीं है। यह तो एक मोहरे हैं जिनकी जड़ों की जांच करना है। इसलिए, यह कहानी केवल अनिल देशमुख के साथ नहीं रुकेगी। इसमें कई नामों के शामिल होने की संभावना है।

उन्होंने कहा, किसी भी पुलिस अधिकारी की नियुक्ति मुख्यमंत्री के आदेश पर होती है। न केवल IPS की नियुक्ति, बल्कि अन्य पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति पर आयोग की रिपोर्ट भी मुख्यमंत्री और गृह मंत्री को सौंपी जाती है। शिवसेना इस मुद्दे से भाग नहीं सकती है।

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