मराठा समाज को आरक्षण देने के मुद्दे पर गठित राज्य पिछड़ावर्ग आयोग ने गुरूवार को एक बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में 30 फीसदी आबादी मराठा है और उन्हें सरकारी नौकरी में आरक्षण देने की जरूरत है। अगर सरकार मराठाओं को उनकी मांग के मुताबिक 16 प्रतिशत आरक्षण दे देती है तो आरक्षण का प्रतिशत बढ़ कर 68 जाएगा, अभी राज्य में अलग-अलग वर्ग को मिलाकर 52 प्रतिशत आरक्षण है।
सभी जातियों का समर्थन
आपको बता दें कि पिछले 15 महीनों में आयोग ने महाराष्ट्र के कई हिस्सों का दौरा किया। इस दौरान आयोग ने दो लाख मराठा समुदाय के सदस्यों की शिकायतें सुनीं। इस दौरान आयोग ने 45 हजार परिवारों का सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण करने के बाद जो रिपोर्ट तैयार हुई उसके मुताबिक 98.30 मराठा परिवारों को आरक्षण मिलना चाहिए, 89.56 फीसदी मराठाओं का मानना है कि मराठा समाज को आरक्षण मिलना चाहिए। जबकि 90.83 फीसदी ओबीसी और 89.39 फीसदी अन्य जातियों ने मराठा आरक्षण को अपना समर्थन दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक इसी के साथ यह भी कहा गया है कि मराठों को आरक्षण देने के दौरान ओबीसी कोटे में कोई परिवर्तन नहीं किया जाए।
बदहाल जीवन यापन
सर्वेक्षण में शामिल 45 हजार परिवारों के पास उपलब्ध सरकारी कागजों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गयी है। रिपोर्ट में कहा गया है पहले कई मराठा परिवारों के पास जमीनें थीं, लेकिन पारिवारिक विघटन और आर्थिक परिस्थियों के चलते कई परिवार जमीन विहीन हो गए। कई परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने को मजबूर हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि 70.56 फीसदी मराठा परिवार कच्चे घरों में रहते हैं, 62.74 प्रतिशत मराठा समाज के पास नाम मात्र की जमीन है। 74.4 फीसदी मराठा युवा नौकरी के लिए शहरों में स्थांतरित हुए हैं। पिछले 10 सालों में कई किसानो ने आत्महत्या की है, मराठा समाज आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक दृष्टि से पिछड़े हुए हैं, उन्हें 16 फीसदी आरक्षण दिया जाना चाहिए।