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कैसा रहा बीजेपी सरकार का इन चार सालों का सफर


कैसा रहा बीजेपी सरकार का इन चार सालों का सफर
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केंद्र और राज्य में बीजेपी सरकार ने चार साल का सफर पूरा कर लिया है। जहां केंद्र में 10 साल बीजेपी और उनके सहयोगियों की सरकार बनी तो वहीं दूसरी ओर राज्य में यानी की महाराष्ट्र में भी 15 साल के बाद एक बार फिर से बीजेपी की सरकार बनी। लेकिन तब के और अब हालाता में बीजेपी में जमीन आसमान का फर्क आ चुका है। 1999 के लोकसभा चुनावों में जहां बीजेपी अपनी सहयोगी पार्टियों को साथ में लेकर सरकार बनाने पर निचार करती थी , तो वही मौजूदा सरकार पूर्ण बहूमत पर विश्वास करती है।

महाराष्ट्र में भी तब के और अब के हालात में जमीन आसमाना का फर्क आ गया है। जहां पहले के समय में बीजेपी की सरकार होने के बाद भी सरकार का रिमोट कंट्रोल शिवसेना के पास था , लेकिन 2014 में बीजेपी की सरकार एक बार फिर से बनने के बाद , शिवसेना लगातार बीजेपी के साथ अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ती रही। जहां एक ओर बीजेपी ने अपने आप को शिवसेना से अलग करते हुए राज्य में मजबूत करना शुरु किया तो वही कई मौको पर शिवसेना ने भी बीजेपी पर पलटवार करने का ऐक भी मौक नहीं छोड़ा।

स्वर्गिय बालासाहेब ठाकरे के समय की शिवसेना मे जहां बीजेपी अपने आप को छोटा भाई कहती थी , तो वीह अब बीजेपी शिवसेना का छोटा भाई बनाने पर अड़ी हुई है। बीजेपी ने समय समय पर अपने पैर राज्य के साथ साथ पूरे देश में फैलाने का एक भी मौका नहीं खोया। बीजेपी के इस अभियान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सारथी की तरह आगे बढ़ाया। आज हालात ऐसे है की बीजेपी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही सबसे असरदार चेहरा बनकर उभरे है।

कैसे बनी बीजेपी

भारतीय जनता पार्टी का मूल श्यामाप्रसाद मुखर्जी द्वारा १९५१ में निर्मित भारतीय जनसंघ है। १९७७ में आपातकाल की समाप्ति के बाद जनता पार्टी के निर्माण हेतु जनसंघ अन्य दलों के साथ विलय हो गया। इससे १९७७ में पदस्थ कांग्रेस पार्टी को १९७७ के आम चुनावों में हराना सम्भव हुआ। तीन वर्षों तक सरकार चलाने के बाद १९८० में जनता पार्टी विघटित हो गई और पूर्व जनसंघ के पदचिह्नों को पुनर्संयोजित करते हुये भारतीय जनता पार्टी का निर्माण किया गया। यद्यपि शुरुआत में पार्टी असफल रही और १९८४ के आम चुनावों में केवल दो लोकसभा सीटें जीतने में सफल रही। इसके बाद राम जन्मभूमि आंदोलन ने पार्टी को ताकत दी। कुछ राज्यों में चुनाव जीतते हुये और राष्ट्रीय चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करते हुये १९९६ में पार्टी भारतीय संसद में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। इसे सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया जो १३ दिन चली।

राज्य में बीजेपी की स्थापना वैसे तो 1980 में ही हो गई थी, लेकिन इस पार्टी को महाराष्ट्र में फैलाने का काम किया बीजेपी के दो दिवंगत नेताओं ने, प्रमोद महाजन और गोपीनाथ मुंडे। इन दोनों नेताओं की कड़ी मेंहनत की वजह से ही बीजेपी राज्य में अपने आप को स्थापित कर पाई। साल १984 में बीजेपी ने जब पहली बार चुनाव लड़ा तो सिर्फ दो ही लोकसभा सीटों पर उन्हे संतोष करना पड़ा। लेकिन १९८० के दशक के पूर्वार्द्ध में विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने अयोध्या में बाबरी ढांचा के स्थान पर हिन्दू देवता राम का मन्दिर निर्माण के उद्देश्य से एक अभियान की शुरूआत की थी। इस मुद्दे के बाद जब 1989 में फिर से लोकसभा चुनाव हुए तो बीजेपी को 86 सीटें मिली। 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 183 सीटें मिली और फिर साल 2014 के चुनाव में बीजेपी ने अपने दम पर 282 सीट पर कब्जा किया।

बीजेपी बनी और ताकतवर

कभी लोकसभा में सिर्फ 2 सीट जीतनेवाली पार्टी औज के दौर में दुनियां की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में पार्टी ने केंद्र के साथ साथ लगभग 20 राज्यों में अपनी सरकार बनाई और आज पार्टी के 10 करोड़े से भी ज्यादा सदस्य है। राजनीतिक चंदा मिलने के मामले में भी पार्टी , भारत के और राजनीतिक पार्टियों से काफी आगे है। बीजेपी की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की २०१६ के अनुसार यह राष्ट्रीय संसद और राज्य विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व के मामले में देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है और प्राथमिक सदस्यता के मामले में यह दुनिया का सबसे बड़ा दल है।

चार साल में कैसी रही राज्य बीजेपी सरकार

बीजेपी ने 15 साल के बाद फिर से महाराष्ट्र की सत्ता पर अपना कब्जा जमाया। हालांकी विधानसभा चुनाव बीजेपी और शिवसेना ने अलग अलग मिलकर लड़ा था , लेकिन परिणाम आने के बाद बीजेपी और शिवसेना ने आपस में मिलकर सरकार बना ली। पिछलें चार सालों में राज्य में बीजेपी सरकार के सामने कई तरह के मुद्दे आए , जिनमें सबसे बड़ा मुद्दा किसानों की आत्महत्या और मराठा आरक्षण का था। इसके साथ ही ऐसे कई मुद्दो पर सरकार को लोगों के कई सवालों से निपटना पडा।
राज्य सरकार के सामने समस्याएं-

1) मराठा आरक्षण
2) किसानों की आत्महत्या
3) राज्य सरकार पर बढ़ता कर्ज
4) अकाल या फिर सुखा
5) बेरोजगारी

शिवसेना ने नहीं छोड़ा विरोध का एक भी मौका

भले ही शिवसेना , बीजेपी के साथ मिलकर सत्ता में उसका साथ दे रही हो लेकिन शिवसेना ने एक भी ऐसा मौका नहीं खोया है जहां उसे बीजेपी पर निशाना साधने का मौका मिले। सत्ता में लगभग साढ़े चार साल एक साथ रहने के बाद भी शिवसेना ने राज्य के मुख्यमंत्री के साथ साथ केंद्र की मोदी सरकार पर भी निशाना साधा है। साल 2018 की दशहरा रैली में शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने यहा तक ऐलान कर दिया की शिवसेना अब कोई भी चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर नहीं लड़ेगी।

किसानों का महामार्च
राज्य में किसानों की स्थिती काफी गंभीर होती जा रही है , अपनी मांगो को लेकर किसान अभी तक दो बार मुंबई में विधानसभा पर मार्च कर चुके है। राज्य में किसानों को उनकी फसल का सही दाम नहीं मिल रहा है। जिसके कारण किसानों में सरकार को लेकर अच्छी खासी नाराजगी है। इसी साल मार्च और फिर नवंबर में राज्य के अलग अलग इलाको से किसान इकठ्ठा हुए और मुंबई में अपना विरोध प्रदर्शन किया।

नगर निकाय चुनाव में पार्टी का बढ़ा दबदबा
राज्य और केंद्र में सत्ता मिलने के साथ ही राज्य के नगर निकाय चुनावों में भी बीजेपी को अच्छा खासा फायदा हुआ है। पूरे महाराष्ट्र में 27 शहरी नगर निकायों में कुल 2,735 सीटों में से भाजपा की झोली में 1,100 सीटें आईं हैं।पिछले तीन साल में भाजपा ने लातूर, सोलापुर और सांगली नगर निकायों में कांग्रेस को शिकस्त दी और पुणे एवं पिंपरीचिंचवाड़ नगर निगमों में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को हराया जो की इन पार्टियों का गढ़ माना जाता था।

बीजेपी सरकार के लिए सत्ता के ये चार साल अभी तक मिले जुले शामिल हुए है। भले ही अलग अलग मौके पर शिवसेना ने बीजेपी पर निशाना साध हो लेकिन अभी भी शिवसेना सत्ता में बीजेपी के साथ ही है। इसके अलावा पार्टी ने ना ही सिर्फ राज्य और देश के स्तर पर अपने आप को बढ़ाया बल्की स्थानिय स्तर पर भी पार्टी को मजबूत किया।

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