राज्य में विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के लगभग 12 दिनों के बाद भी अभी तक राज्य में नई सरकार की तस्वीर साफ नहीं हो पा रही है। एक तरफ जहां बीजेपी सरकार बनाने की बात कर रही है तो वही दूसरी ओर शिवसेना भी लगातार बीजेपी के साथ मुख्यमंत्री के पद को लेकर जुबानी जंग लड़़ती दिख रही है। सोमवार को राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के मुलाकात के बाद कहा की राज्य में बीजेपी की ही सरकार बनेगी तो वही मंगलवार की सुबह शिवसेना सांसद और प्रवक्ता संजय राउत ने एक बार फिर से साफ कहा की अगला मुख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा। हालांकी इस बीच ऐसी भी खबरें आ रही है कांग्रेस और एनसीपी चाहती है की शिवसेना पहले बीजेपी के साथ गठबंधन टूटने का आश्वासन दे।
शरद पवार सक्रिय
भले ही एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अभी तक शिवसेना को समर्थन देने की बात पर अपना रुख साफ नहीं किया है लेकिन राजनीतिक गलियारों में खबरें है की अगर शिवसेना शरद पवार को गठबंधन के लिए प्रस्ताव भेजती है तो शरद पवार इस पर जरुर विचार करेगे। इसी बीच सोमवार को शरद पवार ने कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात की। बताया जा रहा है की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी महाराष्ट्र में हो रही राजनीतिक गतिविधियों पर बारिकी से नजर रखी हुई है।
बीजेपी को रोकने की कोशिश
दरअसल राज्य में कांग्रेस और एनसीपी शिवसेना को इस बात पर भी समर्थन दे सकते है ताकी बीजेपी की सरकार को बनने से रोका जा सका। कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने राज्य में शिवसेना को समर्थन देने की इच्छा भी जाहीर की है। अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात भी की और उन्हे शिवसेना को समर्थन देने के प्रस्ताव के बारे में बताया। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने पहले ही साफ कर दिया है की राज्य में बीजेपी की सरकार को रोकने के लिए वो कोशिश करेंगे। हालांकी अभी तक उन्होने य साफ नहीं किया है की वह शिवसेना को समर्थन देगें या नहीं?
कांग्रेस सांसद हुसैन दलवई ने कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर शिवसेना को समर्थन देने को सलाह दी है। सोनिया गांधी को लिखे हुए पत्र में हुसैन दलवई ने कहा कि " प्रतिभा पाटिल और प्रणव मुखर्जी के राष्ट्रपति पद के चुनाव दौरान शिवसेना ने कांग्रेस का समर्थन किया था, आज समय आ गया है कि भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर रखने के लिए शिवसेना को सर्मथन किया जाए