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मुंबई सभी की है, केवल मराठी का राग अलापना गलत : रामदास आठवले

रामदास आठवले ने यह भी कहा कि अगर मुंबई से गैर मराठी बोलने वालों को बाहर निकालने के लिए दादागिरी का इस्तेमाल किया जाता है, तो दादागिरी का जवाब दादागिरी के साथ दिया जाएगा।

मुंबई सभी की है, केवल मराठी का राग अलापना गलत : रामदास आठवले
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केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री और RPI अध्यक्ष रामदास आठवले (ramdas athawale) ने क्षेत्रवाद और प्रांतवाद के खिलाफ बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि, मुंबई (mumbai) में सभी भाषा के लोग रहते हैं। यह देश की आर्थिक राजधानी (financial capital) है। यहां केवल मराठी भाषा बोलने की जिद करना न केवल गलत है बल्कि संविधान विरोधी भी है। इसलिए, मैं शोभा देशपांडे (shobha deshpande) और शिवसेना (Shivsena) के रुख का विरोध करता हूं।

एक समाचार चैनल से बात करते हुए, रामदास आठवले ने कहा, “मुंबई भारत की वित्तीय राजधानी है। और यहां दक्षिण भारत और उत्तर भारत के नागरिक बड़ी संख्या में रहने के लिए आते हैं। इसलिए मुंबई में मराठी के अलावा गुजराती, पंजाबी, हिंदी और दक्षिणी भाषा भी बोली जाती है। मुंबई में हर किसी को केवल मराठी में ही बात करनी चाहिए, इस तरह की  जिद अनुचित है और असंवैधानिक भी है।

रामदास आठवले ने कहा कि किसी को अपनी भाषा बोलने का अधिकार है।

उन्होंने आगे कहा, 'मुंबई, हर किसी का शहर है।यह शहर बहुतों को संभाल रहा है। फिल्म उद्योग (film industry) से संबंधित कई उद्योग चल रहे हैं। मुंबई में टाटा, बिड़ला, अंबानी, बजाज, गोदरेज जैसे उद्यमियों को बहुत कुछ दिया है। शिवसेना के पास उत्तर भारतीय / दक्षिण भारतीय विंग हैं। उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि उन्हें केवल BMC में सत्ता मिली है जहां उन्हें सभी वोट करते हैं। यदि दुकानों पर केवल मराठी भाषा मे ही साइन बोर्ड होंगे तो दूसरों को पता नहीं चलेगा कि दुकान किस चीज की है? इसलिए, शिवसेना को निश्चित रूप से मराठी के लिए पहल करनी चाहिए, लेकिन अन्य भाषाओं के लिए कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। शोभा देशपांडे और शिवसेना की भूमिका गलत है।'

रामदास आठवले ने यह भी कहा कि अगर मुंबई से गैर मराठी बोलने वालों को बाहर निकालने के लिए दादागिरी का इस्तेमाल किया जाता है, तो दादागिरी का जवाब दादागिरी के साथ दिया जाएगा।

आपको बता दें कि, कोलाबा (Colaba) इलाके में महावीर ज्वैलर्स के मालिक द्वारा मराठी में बात करने से मना करने के बाद राइटर शोभा देशपांडे पूरी रात उनकी दुकान के सामने आंदोलन में बैठ गईं।

जब यह बात मनसे को पता चली तो, मनसे (MNS) के महासचिव संदीप देशपांडे (sandeep deshpande) अन्य कार्यकर्ताओं के साथ वहां पहुंच गए।

वहां पर मनसे कार्यकर्ताओं ने दुकानदार के साथ मारपीटा की। आखिरकार महावीर ज्वैलर्स के मालिक शंकर लाल जैन ने जब शोभा देशपांडे से माफी मांगी तब कहीं जाकर मामला शांत हुआ।

शिवसेना ने भी इस संबंध में आक्रामक रुख अपनाया था।

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