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जानिये आखिर कब कब पहले भी कांग्रेस और शिवसेना आ चुके है एक साथ!


जानिये आखिर कब कब पहले भी कांग्रेस और शिवसेना आ चुके है एक साथ!
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कहते है राजनिती में कुछ भी पक्का नहीं होता, ना तो कोई किसी का हमेशा के लिए दुश्मन होता है और ना ही कोई किसी का हमेशा के लिए दोस्त होता है।महाराष्ट्र के मौजूदा हालात इस वाक्य पर बिल्कूल सही बैठते है। तीस सालों से हिंदुत्व के मुद्दे पर बीजेपी के साथ रही शिवसेना ने आखिरकार मुख्यमंत्री पद को लेकर हुए बवाल के बाद बीजेपी से अपना नाता तोड़ लिया। शिवसेना ने ना ही सिर्फ बीजेपी से अपना नाता तोड़ा बल्की बीजेपी पर धोखेबाजी का आरोप भी लगा दिया। पिछलें तीस सालों से दोनों ही पार्टियां राज्य में हिदुत्व के मुद्दे पर अपना परचम लहराती रही है। लेकिन सत्ता में बैठने को लेकर आज इन्ही दोनों पार्टियों ने एक दूसरे का दामन छोड़ दिया। 

कांग्रेस जहां सेक्युलरिजम की बात करती है तो वही शिवसेना हिंदुत्व की 

शिवसेना अब अपनो घोर दुश्मन रही कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की कवायद में लग गई है। कांग्रेस और शिवसेना को मौजूदा के समय में विपरित सोचवाली पार्टी माना जाता है। कांग्रेस जहां सेक्युलरिजम की बात करती है तो वही शिवसेना हिंदुत्व की छवि पर चुनाव लड़ती आ रहा है। लिहाजा कई लोगों को शिवसेना और कांग्रेस का ये नया मेल जम नहीं रहा है। लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है जब शिवसेना और कांग्रेस साथ आए है। इसके पहले भी कई बार ऐसे मौके आए है जहां शिवसेना और कांग्रेस पहले भी साथ आए है।  

प्रणब मुखर्जी का समर्थन

राष्ट्रपति पद के चुनाव में शिवसेना ने कांग्रेस के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया था, जबकि बीजेपी ने उनके ख़िलाफ़ पीए संगमा को एनडीए का उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारा था।शिवसेना के समर्थन का शुक्रिया अदा करने खुद प्रणब मुखर्जी शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे से मिलने उनके निवास पर पहुंचे थे। 

2007 में भी शिवसेना ने राष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेस की उम्मीदवार प्रतिभा पाटिल को समर्थन दिया था। उस चुनाव में तत्कालीन उपराष्ट्रपति और बीजेपी के वरिष्ठ नेता रहे भैरोसिंह शेखावत बीजेपी नीत एनडीए के उम्मीदवार थे।

शिव सेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने 1975 में इंदिरा गांधी सरकार के लगाए आपातकाल का और फिर 1977 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस का समर्थन किया था।1980 के लोकसभा चुनाव में भी ठाकरे का इंदिरा गांधी प्रेम बरकरार रहा और उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवारों के खिलाफ शिवसेना के प्रत्याशी नहीं उतारे।

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