पालघर
लोकसभा सीट से बलिराम जाधव को बहुजन विकास अघाड़ी ने उम्मीदवारी दी है।
बलिराम जाधव को बहुजन विकास आघाड़ी का वरिष्ठ नेता माना जाता है। 2009 में
हुए पालघर लोकसभा चुनावों में, बलिराम जाधव पहली बार सांसद चुने गए थे।
लेकिन 2014 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने सांसद
चिंतामन वांगा की मृत्यु के बाद खाली हुए पालघर उपचुनाव में भी आवेदन भरा।
हालांकी उप चुनाव में भी वह कुछ ही हजार वोटों से हार गए थे।
पहली जीत
2009 के संसदीय चुनाव में, बलिराम जाधव ने 2, 23, 234 वोट से अपनी जीत
दर्ज की थी। उनके खिलाफ भाजपा के चिंतामन वांगा को 2 लाख 10 हजार 834
वोट मिले। जाधव ने वांगा को केवल 12 हजार 360 मतों से हराया था। 2014 में हार
2014 के लोकसभा चुनाव में, बलिराम जाधव बड़े अंतर से हार गए थे। भाजपा
के चिंतामन वांगा ने उन्हें 2, 3,9, 63 9 मतों से हराया था। पालघर जिले में
लंबित प्रश्न और मोदी लहर के कारण बलिराम जाधव का हार का सामना करना पड़ा
था। 2018 में चिंतामन वांगा की मृत्यु के बाद हुए उपचुनाव में बलिराम
जाधव ने फिर से एक बार अपना नामांकन भरा लेकिन इस बार भी वह हार गए।
उन्हें 2 लाख 22 हजार 837 वोट मिले। हालांकी इस उपचुनाव में शिवसेना और
बीजेपी अलग अलग चुनाव लड़े थे। कांग्रेस और सीपीआई के अलग अलग चुनाव लड़ने
के वजह से भी उनके वोटों में गिरावट हुई।
आपराधिक मामले
बलिराम जाधव के नाम पर केवल 60 लाख 2 हजार 11 रुपये हैं। उनकी पत्नी के
नाम पर उनके पास 9 लाख 48 हजार 705 रुपये है। उनके नाम पर 1 करोड़ 4 लाख
तो वही उनकी पत्नी के नाम पर 29.96 लाख की संपत्ति दर्ज है। इसके अलावा,
हलफनामे से पता चला कि उनके खिलाफ कुछ आपराधिक मामले भी दर्ज है।
विशेष काम बलिराम जाधव को बहुजन विकास आघड़ी का कद्दावर नेता नमाना
जाता है। इलाके में उनकी अच्छी खासी पकड़ है। महिलाओं और बच्चों के लिए
उन्होने काफी काम किया है। इसके साथ ही ग्रामपंचायत में 17 साल सरपंच,
कृषी उत्पन्न बाजार समिती के सभापति और वसई कला क्रीडा महोत्सव के भी कई
पदों पर वह रहे है।
पालघर लोकसभा सीट से बलिराम जाधव को बहुजन विकास अघाड़ी ने उम्मीदवारी दी है। बलिराम जाधव को बहुजन विकास आघाड़ी का वरिष्ठ नेता माना जाता है। 2009 में हुए पालघर लोकसभा चुनावों में, बलिराम जाधव पहली बार सांसद चुने गए थे। लेकिन 2014 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने सांसद चिंतामन वांगा की मृत्यु के बाद खाली हुए पालघर उपचुनाव में भी आवेदन भरा। हालांकी उप चुनाव में भी वह कुछ ही हजार वोटों से हार गए थे।
पहली जीत
2009 के संसदीय चुनाव में, बलिराम जाधव ने 2, 23, 234 वोट से अपनी जीत दर्ज की थी। उनके खिलाफ भाजपा के चिंतामन वांगा को 2 लाख 10 हजार 834 वोट मिले। जाधव ने वांगा को केवल 12 हजार 360 मतों से हराया था।
2014 में हार
2014 के लोकसभा चुनाव में, बलिराम जाधव बड़े अंतर से हार गए थे। भाजपा के चिंतामन वांगा ने उन्हें 2, 3,9, 63 9 मतों से हराया था। पालघर जिले में लंबित प्रश्न और मोदी लहर के कारण बलिराम जाधव का हार का सामना करना पड़ा था। 2018 में चिंतामन वांगा की मृत्यु के बाद हुए उपचुनाव में बलिराम जाधव ने फिर से एक बार अपना नामांकन भरा लेकिन इस बार भी वह हार गए। उन्हें 2 लाख 22 हजार 837 वोट मिले। हालांकी इस उपचुनाव में शिवसेना और बीजेपी अलग अलग चुनाव लड़े थे। कांग्रेस और सीपीआई के अलग अलग चुनाव लड़ने के वजह से भी उनके वोटों में गिरावट हुई।
आपराधिक मामले
बलिराम जाधव के नाम पर केवल 60 लाख 2 हजार 11 रुपये हैं। उनकी पत्नी के नाम पर उनके पास 9 लाख 48 हजार 705 रुपये है। उनके नाम पर 1 करोड़ 4 लाख तो वही उनकी पत्नी के नाम पर 29.96 लाख की संपत्ति दर्ज है। इसके अलावा, हलफनामे से पता चला कि उनके खिलाफ कुछ आपराधिक मामले भी दर्ज है।
विशेष काम
बलिराम जाधव को बहुजन विकास आघड़ी का कद्दावर नेता नमाना जाता है। इलाके में उनकी अच्छी खासी पकड़ है। महिलाओं और बच्चों के लिए उन्होने काफी काम किया है। इसके साथ ही ग्रामपंचायत में 17 साल सरपंच, कृषी उत्पन्न बाजार समिती के सभापति और वसई कला क्रीडा महोत्सव के भी कई पदों पर वह रहे है।