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छह महीने बाद जगा शिक्षा विभाग, ब्लू व्हेल गेम पर सलाहकार समिति बनाने को कहा


छह महीने बाद जगा शिक्षा विभाग, ब्लू व्हेल गेम पर सलाहकार समिति बनाने को कहा
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मुंबई के अँधेरी इलाके में 31 जुलाई 2017 को एक 14 वर्षीय बच्चे ने बिल्डींग की छत से कूद कर आत्महत्या कर ली थी। इस बच्चे की मौत के मद्देनजर कहा गया कि बच्चे ने ब्लू व्हेल गेम खेलने के कारण ही अपनी जान दी, इसके बाद तो भारत के कई शहरों में बच्चों के सुसाइड करने की ख़बरें आने लगी और इन सबकी मौत का कारण ब्लू व्हेल गेम को बताया गया। 

इससे सीख लेते हुए उस समय महाराष्ट्र के सीएमओ ने इस पर चिंता जताते हुए यह आदेश दिया था कि इस बारे में सभी स्कूलों में बच्चों और उनके पैरेंट्स के बीच जागरूकता फैलाई जाए। लेकिन धन्य हो सरकारी तंत्र, शिक्षा विभाग ने अब जाकर यानि छह महीने बाद सभी स्कूलों और कॉलेजों में इस बारे में नोटिफिकेशन देकर इस बाबत कदम उठाने को कहा है।



छात्रों की सुरक्षा को लेकर जताई गयी थी चिंता  

छह महीने पहले यानी अगस्त 2017 में कई विधायकों, स्थानीय प्रतिनिधियों और सांसदों ने सीएमओ में पत्र भेज कर ब्लू व्हेल गेम को रोकने के उचित कदम उठाने का निवेदन किया था। उसके तीन महीने बाद यानी नवंबर 2017 में संबंधित अधिकारियो ने शिक्षा विभाग को इस बारे में शिक्षक सलाहकार कमिटी बनाने का आदेश दिया गया था। इसके बाद अब जाकर सीएमओ ने शिक्षा मंडल से इस बारे में रिपोर्ट पेश करने को कहा है।


लचर रवैया फिर आया सामने 

सरकारी तंत्र के ढीले लचर प्रबंधन को को नहीं जनता, लेकिन महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी लचरता अच्छी बात नहीं। एक तरफ तो स्कूलों को डिजिटल होने की बात की जाती है तो वहीं दुसरी तरफ ब्लू व्हेल गेम जैसे घातक गेम भी इस डिजिटलाइजेशन का एक भाग है इसीलिए इस पर तत्काल कदम उठाने की जरुरत थी। लेकिन लचर प्रबंधन से एक बार फिर प्रशासन की कमजोरियां सामने आ गयीं।


इस प्रक्रिया को पहले और जल्दी होना जरुरी था, लेकिन शासन के ढुलमुल रवैये के चलते यह नहीं हो पाया। इस पर दखल देकर इस बारे में रिपोर्ट स्कूलों से मंगवा कर उन पर कार्रवाई करने की जरूरत है।

उदय नरे, प्रिंसिपल , हंसराज मोरारजी पब्लिक स्कुल

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