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राज्यपाल विवाद में सरकार ने झाड़ा अपना पल्ला, राजभवन सचिवालय पर ही फोड़ा ठीकरा

सरकार की तरफ से आगे कहा गया है कि, हमें आशा थी कि, राजभवन सचिवालय पहले इस बात की तस्दीक करेगा कि, विमान को गवर्नर के लिए मंजूरी मिली है कि नहीं, और मंजुरी मिले होने की पुष्टी के बाद ही राज्यपाल महोदय को हवाई अड्डे तक ले आएगा।

राज्यपाल विवाद में सरकार ने झाड़ा अपना पल्ला, राजभवन सचिवालय पर ही फोड़ा ठीकरा
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महाराष्ट्र (Maharashtra) में चल रहे गवर्नर विवाद में राज्य सरकार ने अपनी सफाई दी है। राज्य सरकार ने कहा कि, राजभवन सचिवालय को राज्यपाल की यात्रा के पहले ही यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए था कि, यात्रा के लिए विमान के उपयोग की अनुमति मिली है या नहीं। ऐसा न करने के कारण राज्यपाल (governor) जैसे प्रमुख व्यक्ति को परेशानी हुई है। इस संबंध में राज्य सरकार की कुछ भी गलती नहीं है।

बता दें कि, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Governor bhagat singh koshyari) उत्तराखंड (uttarakhand) में हुए प्राकृतिक आपदा का निरीक्षण करने के लिए वहां जाने वाले थे। उन्हें यात्रा के लिए सरकारी विमान का उपयोग करना था। लेकिन राज्यपाल को विमान से उतरना पड़ा क्योंकि उन्हें बताया गया कि उन्हें सरकारी विमान से यात्रा करने की अनुमति नहीं है। इसलिए राज्यपाल और उनके दल को एक निजी विमान से उत्तराखंड जाना पड़ा। इसके बाद बीजेपी (bjp) ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार ने ऐसा जानबूझकर कर किया है।

राज्य सरकार की तरफ से इस संबंध में एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई है। इसमें कहा गया है कि, राजभवन ने राज्य सरकार से अनुरोध किया था कि वह राज्यपाल को सरकारी विमान से यात्रा करने की अनुमति दे। नियमानुसार, सरकारी विमान की सेवा लेने से पहले CMO से अनुमति मांगी जाती है और मंजूरी मिलने के बाद ही विमान उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन CMO की तरफ से राजभवन की मांग पर विमान के उपयोग को मंजूरी नहीं देने का एक संदेश भेजा गया था।

सरकार की तरफ से आगे कहा गया है कि, हमें आशा थी कि, राजभवन सचिवालय पहले इस बात की तस्दीक करेगा कि, विमान को गवर्नर के लिए मंजूरी मिली है कि नहीं, और मंजुरी मिले होने की पुष्टी के बाद ही राज्यपाल महोदय को हवाई अड्डे तक ले आएगा। लेकिन राजभवन के संबंधित अधिकारियों ने इस बारे में कोई तस्दीक और पूछताछ नहीं की। राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद के व्यक्ति के साथ राजभवन सचिवालय का ऐसा व्यवहार उचित नहीं है। और अब आगे से ऐसा न हो इसलिए राजभवन के संबंधित अधिकारी को इसकी जवाबदारी लेनी होगी।

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