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महाराष्ट्र के गवर्नर ने बताया कि, आखिर वे किसानों से क्यों नहीं मिले

विरोध मार्च के बाद, किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिलने और उन्हें ज्ञापन सौपनें के लिए राजभवन गया था, लेकिन यह मुलाकात नहीं हो सकी थी।

महाराष्ट्र के गवर्नर ने बताया कि, आखिर वे किसानों से क्यों नहीं मिले
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सोमवार को मुंबई के आजाद मैदान में हुए किसान आंदोलन (farmer protest) के बाद किसानों ने महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी (Governor bhagat singh koshyari) को ज्ञापन सौपनें का निर्णय किया था, लेकिन ऐसा किसान नहीं कर सके। क्योंकि गवर्नर उस समय गोवा में थे। इस बात को लेकर महाविकास आघाड़ी (mahavikas aghadi) के कई नेताओं ने गवर्नर की खूब आलोचना की थी। इस बात को लेकर गवर्नर ने अब खुलासा किया है कि, वे आखिर किसानों से क्यों नही मिल पाए?

केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठन लगभग दो महीने से दिल्ली सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस आंदोलन को अपना समर्थन देने के लिए संयुक्त शेतकरी-कामगार मोर्चा के नेतृत्व में महाराष्ट्र के हजारों किसान, सोमवार को मुंबई के आजाद मैदान (azad maidan) में एकत्र हुए थे। इस विरोध मार्च के बाद, किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिलने और उन्हें ज्ञापन सौपनें के लिए राजभवन गया था, लेकिन यह मुलाकात नहीं हो सकी थी।

इस बारे में राजभवन ने अपने एक बयान में कहा कि, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पास गोवा (goa) के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार है। चूंकि वह 25 जनवरी को गोवा विधानसभा के पहले सत्र को संबोधित करेंगे, इसलिए राज्यपाल उस दिन किसानों के प्रतिनिधिमंडल से नहीं मिल पाएंगे।

संयुक्ता शेट्टी मोर्चा के धनंजय शिंदे को 22 जनवरी को टेलीफोन पर और 24 जनवरी को एक लिखित पत्र में संयोजक प्रकाश रेड्डी द्वारा राज्यपाल की अनुपलब्धता के बारे में बताया गया था। हालांकि शिंदे ने व्हाट्सएप संदेश को प्राप्त करना स्वीकार भी किया था।  साथ ही, 24 जनवरी को प्रकाश रेड्डी द्वारा एक लिखित पत्र प्राप्त किया गया था। इसलिए यह खबर गलत है कि राज्यपाल ने प्रतिनिधिमंडल से नहीं मिले, नहीं मिलने के बारे में पहले से ही अवगत करा दिया गया था।

राज्यपाल के प्रधान सचिव संतोष कुमार प्रतिनिधिमंडल से मिलकर 25 जनवरी की शाम 5 बजे उनका ज्ञापन स्वीकार करेंगे, इस बारे में धनंजय शिंदे को पहले सूचित किया गया था।

बता दें कि, कल NCP चीफ शरद पवार (sharad pawar) ने राज्यपाल को कहा था कि, इतिहास में ऐसा राज्यपाल महाराष्ट्र को नहीं मिला है। राज्यपाल गोवा के लिए रवाना हुए। राज्यपाल के पास कंगना रनौत (kangana ranaut) से मिलने का समय है, लेकिन किसानों से मिलने का समय नहीं है। यह राज्यपाल की नैतिक जिम्मेदारी थी।

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