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बिहार के चुनावी रण में महाराष्ट्र के नेताओं की पैनी नजर

बिहार विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। इस चुनाव में महागठबंधन तथा राष्ट्रीय जनतांत्रिक मोर्चे के बीच मुख्य जंग होनी है। चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा की तिथि भी घोषित कर दी है।

बिहार के चुनावी रण में महाराष्ट्र के नेताओं की पैनी नजर
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बिहार विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। इस चुनाव में महागठबंधन तथा राष्ट्रीय जनतांत्रिक मोर्चे के बीच मुख्य जंग होनी है। चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा की तिथि भी घोषित कर दी है। पहले चरण में 16 जिलों के 71 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव होंगे। दूसरे चरण में कुल 17 जिलों के 94 विधानसभा क्षेत्रों में वोट पड़ेंगे और तीसरे चरण में 15 जिलों के 78 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होगा।

उन्होंने बताया कि पहले चरण के लिए एक अक्टूबर को अधिसूचना जारी होगी। मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि पहले चरण का 28 अक्टूबर, दूसरे चरण का तीन नवंबर और तीसरे चरण का मतदान सात नवंबर को होगा। वोटों की गिनती 10 नवंबर को होगी। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर महाराष्ट्र में भी अच्छी खास हलचल देखी जा रही है।

महाराष्ट्र से हालांकि कोरोना काल में बिहार तथा अन्य दूसरे प्रांत से आए लोगों का काफिला अपने- अपने गांव की ओर रवाना हो गया था लेकिन वर्तमान में जो लोग महाराष्ट्र से बिहार पहुंचे हुए हैं, वे अपने मताधिकार का प्रयोग करने के बाद ही मुंबई में फिर से अपने कामकाज शुरु करेंगे। कोरोना काल में देश भर में तालाबंदी की गई और सभी तरफ कामकाज प्रभावित हुआ है।

हालांकि अभी-भी पूरी तरह से तालाबंदी समाप्त नहीं हुई है, लेकिन धीरे-धीरे हालात सामान्य हो रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव के बारे में महाराष्ट्र में व्यापक तौर पर चर्चा हो रही है और राज्य विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता तथा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भजपा की ओर से बिहार चुनाव का प्रभारी बनाया गया है और देवेंद्र फडणवीस बिहार चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंकने की तैयारी कर रहे हैं।

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री के अलावा रिपब्लिकन पार्टी के अध्यक्ष तथा केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले, वंचित बहुजन आघाडी के अध्यक्ष  प्रकाश आंबेडकर जैसे नेता भी बिहार की राजनीतिक जंग पर बारिकी से नज़र रखे हुए हैं। बिहार के चुनावी जंग में सबसे ज्यादा सीटों पर राष्ट्रीय जनता दल के उम्मीदवार उतरेंगे। जहां शिवसेना ने बिहार के चुनावी मैदान में 50 से अधिक उम्मीदवारों को उतारने की तैयारी की है, वहीं दूसरी ओर रामदास आठवले ने 15 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारने का मन बनाया है। शिवसेना की ओर से चर्चाओं का दौर शुरु हो गया है और बिहार के शिवसेना पदाधिकारी शिवसेना प्रवक्ता तथा सांसद संजय राऊत से चर्चा भी की है।

कहा जा रहा है कि प्रकाश आंबेडकर ने प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चे को समर्थन देने की तैयारी दर्शायी है। कतिपय राजनीतिक जानकारों का दावा है कि देवेंद्र फडणवीस को बिहार का स्वतंत्र प्रभारी बनाने के पीछे की दो खास वजहें हैं, पहली वजह सुशांत सिंह राजपूत को न्याय दिलाने के लिए भाजपा की ओर से क्या-क्या किया गया, इस बात को अच्छी तरह से जनता के बीच पहुंचाना है और दूसरी वजह कोरोना के फैलाव को रोकने के लिए की गई तालाबंदी के दौरान बिहार के लोगों को किस तरह से भाजपा नेताओं के सहयोग से सकुशल घर पहुंचाया गया, यह भी बिहार की जनता को बताना है।

देवेंद्र फडणवीस की संगठन कुशलता का भरपूर उपयोग करने के लिए देवेंद्र फडणवीस के गले में बिहार चुनाव के स्वतंत्र प्रभारी की माला पहनायी गई है। यह अलग बात है कि भाजपा के कुछ नेता फडणवीस के उस फैसले से प्रसन्न नहीं हैं, जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के कई कद्दावर नेताओं को टिकट नहीं दी थी। देवेंद्र फडणवीस को देर सबेर इस बात का अंदाजा हो गया है कि उन्होंने अगर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सही तरीके से टिकट का वितरण किया होता तो आज देवेंद्र फडणवीस विधानसभा में विपक्ष के नेता न होकर राज्य के मुख्यमंत्री होते, लेकिन वैसा नहीं हो सका। 

पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की पार्टी ‘लोकजनशक्ति की कमान उनके पुत्र चिराग पासवान के पास है। चिराग पासवास ने पिछले दिनों ‘महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की पैरवी की थी। चिराग पासवान ने अपना तथा अपनी पार्टी का महत्त्व बढ़ाने के लिए महाराष्ट्र की ओर अपना ध्यान केंद्रित किया है, इसके लिए बिहार में सुशांत सिंह राजपूत को न्याय दिलाने की जोरदार जद्दोजहद जारी है।

बिहार में इन दिनों महाराष्ट्र सरकार तथा महाराष्ट्र पुलिस के खिलाफ जबर्दस्त आक्रोश देखा जा रहा है। बिहार के चुनाव में भूमिपुत्र के नाम पर भावनात्मक आवाहन करके विकास के मूल मुद्दे को अलग रखकर सुशांत सिंह राजपूत के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंकने का काम बिहार के साथ-साथ महाराष्ट्र में भी बखूबी चल रहा है।  बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों के लिए इस बार 7.79 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, इनमें से 38 सीटें अनुसूचित जाति के लिए और 2 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं।

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2015 में प्रदेश में 6.68 करोड़ मतदाता थे। करीब 56 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। शिवसेना का कहना है कि वह अपने विचारो से कभी मुकरती नहीं, जो शिवसेना की विचारधारा से सहमत होंगे, वे हमारे साथ कभी भी आ सकते हैं। बिहार के शिवसेना प्रमुख हौसलेंद्र शर्मा ने कहा है कि सन् 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने 88 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जबकि इस बार शिवेसना ने 50 से अधिक सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने का मन बनाया है।

बिहार शिवसेना प्रभारी हौसलेंद्र शर्मा का कहना है कि शिवेसना भूमिपुत्रों के विकास तथा प्रखर राष्ट्रवाद के मुद्दे पर चुनावी जंग में उतरेगी। बिहार विधानसभा चुनाव में राजग सबसे बड़े दल के रूप में सामने आए इसके लिए प्रयास तो किए ही जा रहे हैं, लेकिन भजपा तथा शिवसेना इन दोनों राजनीतिक दलों को बिहार में पिछली बार ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी, अगर ऐसा कहा जाए तो इसमें कुछ गलत नहीं होगा। 

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