राजनीति में एक कहावत है, अगर राजनीती जिंदा रखनी है तो हर मुद्दे पर आपकी नजर होनी चाहिए और हर पूरे हुए मुद्दे का श्रेय लूटने भी आना चाहिए। श्रेय लूटने के चक्कर में तो कभी कभी राजनीतिक पार्टियाँ एक दुसरे के आमने सामने तक आ जाती हैं। ताजा मामले के अनुसार मुंबई में स्थित बिसलेरी कंपनी ने अपने प्रोडक्ट का नाम मराठी भाषा में क्या लिखा है मनसे और स्वाभिमान संगठन आमने सामने आ गए। मनसे का कहना है कि उसके मराठी राजनीति एजेंडे का असर है तो वहीँ कांग्रेस छोड़ अपनी नयी पार्टी बनाने वाले नारायण राणे के बेटे नितेश राणे का कहना है कि यह असर उनके द्वारा लिखे गये एक पत्र का है।
मनसे ने बताया अपना एजेंडा
अक्सर मनसे मराठी भाषा को लेकर राजनीति करती रहती है। मनसे के अध्यक्ष राज ठाकरे ने अभी हाल ही में मुंबई से सटे ठाणे में एक रैली की थी, जिसमें राज ठाकरे ने कहा था कि महाराष्ट्र में हर काम मराठी भाषा में होना चाहिए। मराठी भाषा में दुकानों के साइन बोर्ड भी होने चाहिए। इसी बीच पानी बेचने वाली फेमस कंपनी बिसलेरी ने अपने प्रोडक्ट के लेबल को मराठी भाषा में लिखना शुरू किया। इसे लेकर मनसे ने अपनी ख़ुशी जाहिर करते हुए इसे अपने मराठी मानुष राजनीति के एजेंडे का असर बताय।
स्वाभिमान संगठन के पत्र का असर
इसे देखते हुए अब इस श्रेयवादिता की लड़ाई में स्वाभिमान संगठन के प्रमुख और विधायक नितेश राणे भी कूद पड़े। नितेश राणे ने फेसबुक पर पोस्ट करते हुए कहा है कि सबसे पहले स्वाभिमान संगठन ने ही बिसलेरी कंपनी को मराठी भाषा में कंपनी के नामा और प्रोडक्ट के नाम लिखने को कहा था और इसके लिए पत्र भी लिखा गया था।
— nitesh rane (@NiteshNRane) November 22, 2017 ">
— nitesh rane (@NiteshNRane) November 22, 2017
अब यह श्रेयवादिता की लड़ाई किसके पक्ष में जायेगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन जिस तरह से बिना मुद्दों की यह लड़ाई हो रही है या फिर भाषागत मुद्दों को उपर उठाया जा रहा है इससे कतई संवैधानिक हितो की रक्षा नहीं होगी।