आरक्षण मुद्दे पर अब एमएनएस अध्यक्ष राज ठाकरे भी कूद पड़े हैं। उन्होंने कहा कि आरक्षण जाति के आधार पर नहीं बल्कि आर्थिक आधार पर देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जातिगत आरक्षण देने पर समाज में द्वेष और समजुइक विषमता पैदा होती है। राज ठाकरे शुक्रवार को पुणे में एक सभा को सम्बोधित करते हुए ये बातें कहीं।
आरक्षण क्यों?
राज ठाकरे ने एमएनएस कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि फिलहाल देश की राजनीति में आरक्षण को लेकर गंदी राजनीति की जा रही है। सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियां में, सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षा के लिए आरक्षण की मांग की जा रही है। लेकिन अब कुछ सरकारी विभागों के साथ शिक्षा का भी निजीकरण किया गया है।
युवा स्थिति को समझें
उन्होंने सवाल उठाया कि निजी क्षेत्र में बड़ी संख्या में नौकरी के अवसर उपलब्ध हैं, इसलिए हम आरक्षण और इसके लिए लड़ रहे हैं क्यों? इसके पीछे राजनीतिक दल केवल लोगों की भावनाओं के साथ खेल रहे हैं। उन्हें केवल वोट चाहिए।युवाओं को चाहिए कि वे स्थिति समझें।
स्थानीय को दो नौकरी
राज ठाकरे ने दूसरे राज्यों से आए हुए लोगों पर निशाना साधते हुए कहा कि प्राइवेट नौकरी में परप्रांतियों को नौकरी दी जाती है जबकि हमारे मराठी भाई बहन बेरोजगार रह जाते हैं। राज्य के प्रायवेट और सरकारी नौकरी में 80 से 90 फीसदी नौकरी स्थानीय लोगन को देना चाहिए। साथ ही स्कूलों में एडमिशन के लिए भी स्थानीय लोगों को भी प्राथमिकता देनी चाहिए। अगर ऐसा होता है तो लोगों को आरक्षण का जरूरत ही नहीं होगी।
आपको बता दें कि आरक्षण को लेकर ही मराठा समाज पिछले 5 दिनों से हिंसक आंदोलन कर रहा है। इस आंदोलन की चपेट में मुंबई सहित महाराष्ट्र के कई जिले आये हैं।