मंगलवार को एक संयुक्त प्रसे कॉफ्रेंस को संबोधित करते हुए एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार तथा आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एवं तेलुगुदेशम पार्टी (तेदेपा) के नेता चंद्रबाबू नायडू ने चुनाव आयोग पर निशाना साधा। चुनाव आयोग पर प्रहार करते हुए चंद्रबाबू नायडू ने पूछा कि क्या प्रधानमंत्री के लिए आदर्श आचार संहिता अलग है और मुख्यमंत्रियों के अलग है? इसके साथ ही उन्होने कहा की 23 दलों ने मांग की है कि वीवीपीएटी की स्लीप का 50 प्रतिशत गिना जाना चाहिये।आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने इस मौके पर 'राष्ट्र बचाओ, लोकतंत्र बचाओ' का नारा भी दिया।
नायडू का
कहना है की सत्तारूढ़ पार्टी ईडी, आयकर विभाग और सीबीआई का दुरुपयोग कर
रही है। सरकार संस्थानों को कंट्रोल करने की कोशिश की जा रही है। एक
उदाहरण देते हुए नायडू ने कहा कि आंध्रप्रदेश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव
खत्म हो गए (11 अप्रैल को) और उनकी सरकार के शीर्ष अधिकारियों का तबादला
हो गया लेकिन खुफिया ब्यूरो लगातार ‘हर दिन’ प्रधानमंत्री को रिपोर्ट कर
रहा है।
विपक्षी पार्टियों पर निशाना
विपक्षी दलों को आयकर विभाग द्वारा निशाना बनाया जा रहा है। चुनाव आयोग के ईवीएम मशीनों के साथ छेड़छाड़ हो रही है। हम पिछले कई दिनों से ईवीएम मशीन के मामले का अध्ययन कर रहे हैं, ईवीएम मशीन में हेरफेर किया जा सकता है। 191 देशों में से, केवल 18 देशों ने ईवीएम प्रणाली का उपयोग किया है।
9 हजार करोड़ खर्च हुए
VVPAT के लिए 9 हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए
हैं। मतदान अधिकारी और मतदान केंद्र तकनीकी रूप से विकसित नहीं हैं। इसके
अलावा ईवीएम मशीन की ऑडिटिंग में कोई एक्सपर्ट नहीं है। 9 हजार करोड़ रुपए
लोगों के पैसे खर्च करके, वोट हासिल करने के बाद, 7 सेकंड के लिए सिर्फ नाम
दिखाई देता है। आखिर इतना समय क्यो लगता है , हमले जब इसके बारे में
ट्विटर पोल किया तो 22 प्रतिशत लोगों ने 7 सेकंड का समय लिखा जबकी । 55
प्रतिशत लोगों ने 4 सेकंड ही बताया।
50 प्रतिशत VVPAT स्लीप की हो जांच
नायडू ने चुनाव आयोग से मांग करते
हुए कहा की कम से कम 50 प्रतिशत ईवीएम मशीनों की पर्ची की जांच करनी
चाहिए। नायडू ने कहा कि अलग वीवीपैट स्लीव होने पर ईवीएम और वीवीपैट स्लिप
अलग होनी चाहिए। मुंबई देश की वित्तीय राजधानी है। यहां पर तकनीकी रूप से
दक्ष लोग रहते हैं। इसलिए, हमने मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने
का फैसला किय। मोदी सरकार के दौरान देश की अर्थव्यवस्था में ठहराव आया है।
कृषि क्षेत्र को नुकसान हुआ है। महाराष्ट्र के किसान भी आत्महत्या कर रहे
हैं।
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