राज्य ही नहीं, देश की राजनीति में अपना लोहा मनवानेवाले धुरंधर नेता राष्ट्रवादी कांग्रेस (एनसीपी) अध्यक्ष शरद पवार ने और एक बाज़ी खेली है। देश के राष्ट्रपतिपद का चुनाव निर्विरोध हो, यह इच्छा पवार ने जतायी है। सोलापुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विरोधी दल के नेताओं से बात करें, तो राष्ट्रपति का चुनाव निर्विरोध हो सकता है, यह कहते हुए बातों-बातों में उन्होंने प्रधानमंत्री को इस दिशा में कदम बढाने की राय दी। ‘राजनैतिक संजोग’ यह है कि, जब शरद पवार सोलापुर में राष्ट्रपति पद पर अपना मत व्यक्त कर रहे थे, लगभग उसी समय मुंबई में शिवसेना राज्यसभा सांसद, प्रवक्ता संजय राऊत ने “शरद पवार काबिल नेता हैं। वह काबिल राष्ट्रपति बन सकते हैं।" यह कहते हुए शरद पवार की राष्ट्रपति पद की दावेदारी को मजबूत करने की कोशिश की। अगर पवार के नाम पर आम सहमति बनती है तो, बीजेपी उनके नाम का समर्थन करें, यह राय भी राऊत ने बीजेपी को दे डाली है।
शरद पवार ने बार-बार यह दावा किया है कि, वह राष्ट्रपति पद की रेस में नहीं हैं। लेकिन अब पचास साल के राजनैतिक कौशल को इस्तेमाल करते हुए वह अपनी दावेदारी किसी न किसी रुप में सामने ला रहे हैं। लेफ्ट विचारों के नेताओं को एक धागे में पिरोने की कोशिश करनेवाले सीताराम येचुरी जैसे नेता विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रुप में शरद पवार का नाम आगे लाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। लेफ्ट को बिन मांगे शिवसेना की मदद मिलती दिख रही है। गौरतलब है कि, शिवसेना के पास महाराष्ट्र में सांसद और विधायकों की अच्छी संख्या है, जो राष्ट्रपति पद के लिए निर्णायक भी साबित हो सकती है। संजय राऊत ने शरद पवार का नाम आगे करते हुए आज भी पार्टी की पहली पसंद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघ चालक मोहन भागवत ही होने की बात राजनैतिक सूझबूझ के साथ दोहराई है।
एनडीए की नई दिल्ली में हुई बैठक में बीजेपी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को समर्थन देने की बात पर सभी घटक दलों में एकराय हो गई थी। ज़ाहीर है, शिवसेना भी इसमें अपवाद नहीं। लेकिन, यूपीए के शासनकाल का यह इतिहास भी भुलाया नहीं जा सकता, जब शिवसेना ने यूपीए के राष्ट्रपतिपद के उम्मीदवार प्रतिभाताई पाटिल और प्रणब मुखर्जी को अलग-अलग टर्म्स में समर्थन दिया था। एनडीए के विरोधी उम्मीदवार के समर्थन का अपना तर्क भी शिवसेना ने दिया था।
खैर, सौ बात की एक बात यह है कि, शरद पवार अखाड़े में उतर चुके हैं। पवार इससे पहले कई बार अपनी राजनैतिक उपयुक्तता को साबित कर चुके हैं। शिवसेना ने राष्ट्रपति चुनाव के बहाने अपना महत्त्व बढाने की कोशिश की हैं। पवार की एंट्री की वजह से यह ‘पॉवर’गेम और भी दिलचस्प हो गया है।