कांग्रेस में अध्यक्ष (president of congress) पद को लेकर जारी गतिरोध भले ही अब शांत हो गया है, लेकिन अभी भी पार्टी के कई बड़े नेता असंतुष्ट बताए जाते हैं। इसी बीच मोदी मंत्रिमंडल में सामाजिक न्याय राज्य मंत्री और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) के अध्यक्ष रामदास आठवले ( Ramdas athawale) एक अजीब बयान देकर चर्चा में आ गए हैं।
उन्होंने कहा, कांग्रेस (Congress) के नेता इस बात से नाराज हैं कि उन्हें पार्टी अध्यक्ष के लिए कोई आशाजनक चेहरा नहीं मिल रहा है। इसीलिये NCP अध्यक्ष शरद पवार (sharad pawar) को ही कांग्रेस का अध्यक्ष बना देना चाहिए। इसके लिए आठवले ने कांग्रेस को एक फार्मूला भी सुझाया है।
रामदास आठवले का कहना है कि, वर्तमान में राहुल गांधी (rahul gandhi) और सोनिया गांधी (sonia gandhi) कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षता स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। कांग्रेस को मेरा सुझाव एनसीपी (NCP) का कांग्रेस में विलय करना और शरद पवार (sharad pawar) को कांग्रेस का अध्यक्ष बना देना चाहिए, इस संबंध में निर्णय पवार और कांग्रेस को लेना चाहिए।
काँग्रेस पक्षाचे अध्यक्षपद स्वीकारण्यास सध्या राहुल आणि सोनिया गांधीही तयार नाहीत. माझी काँग्रेसला सूचना आहे की राष्ट्रवादी काँग्रेस पक्ष काँग्रेस मध्ये विलीन करून शरद पवार यांना काँग्रेस चे अध्यक्ष करावे.याबाबतचा निर्णय पवार आणि काँग्रेस यांनीघ्यावा.@PawarSpeaks@RahulGandhi
— Dr.Ramdas Athawale (@RamdasAthawale) September 5, 2020
गौरतलब है कि, पिछले लोकसभा (2019) चुनावों में हार की जिम्मेदारी स्वीकार करने के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद सोनिया गांधी (sonia gandhi) अंतरिम अध्यक्ष (interim president) चुनी गई थीं। तब से ही कांग्रेस एक पूर्णकालिक अध्यक्ष की प्रतीक्षा कर रही हैं।
इसके अलावा अभी हाल ही में दिल्ली में हुई CWC की बैठक में कांग्रेस के पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों सहित 23 वरिष्ठ नेताओं ने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी के विकास के लिए नेतृत्व सहित सभी स्तरों पर बड़े बदलाव की मांग की थी। पत्र में पार्टी को पूर्णकालिक, हमेशा काम करने और हमेशा उपलब्ध रहने वाले को ही अध्यक्ष चुनने का आह्वान किया गया। इस पत्र को लेकर काफी बवाल भी हुआ था।
यही नहीं कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण (prithviraj chavhan) ने यह विचार व्यक्त किया था कि पार्टी विपक्ष की भूमिका ठीक से नहीं निभा सकती क्योंकि उसके पास पूर्णकालिक नेतृत्व नहीं है।