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एक दुश्मन जो दोस्तों से प्यारा है !


एक दुश्मन जो दोस्तों से प्यारा है !
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मुंबई - राजनीति में हमेशा के लिए ना कोई दोस्त होता है और नाही दुश्मन। हाल ही में संपन्न हुए बीएमसी चुनाव के बाद यह कहावत सिद्ध होती नजर आ रही है। अब पुराने दोस्त दुश्मन और पुराने दुश्मन दोस्त बनने शुरु हो गए हैं। पुराने दुश्मन दोस्ती के लिए हांथ भी बढ़ाने लगे हैं। बीएमसी में सरकार बनाने के लिए बीजेपी का साथ देने की अपेक्षा शिवसेना के नेता कांग्रेस के साथ गठबंधन करने का मन बना रहे हैं। पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुरुदास कामत ने कहा है कि अगर कांग्रेस शिवसेना को समर्थन देती है तो यह जनता के साथ विश्वासघात होगा। वहीं मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद से राजीनामा देने के बाद नोटिस पिरीयड पर काम कर रहे संजय निरूपम ने कहा है कि शिवसेना द्वारा समर्थन की मांग हमारे पास आई है, पर हमने इससे इंकार कर दिया है।

विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से मिली खबरों के मुताबिक शिवसेना को समर्थन देने के लिए कांग्रेस के दो नेता सकारात्मक हैं। ये दो नेता है नारायण राणे और भाई जगताप। नारायण राणे का शिवसेना को समर्थन किसी तरह का उनका शिवसेना के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर नहीं है बल्कि सत्ता की लालसा है। जिसके चलते नारायण राणे समर्थन के मुद्दे को राज्य और केंद्र के वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के गले उतारने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। नारायण राणे का मानना है कि बीजेपी की अपेक्षा शिवसेना को समर्थन देना उचित है।

इस मुद्दे पर नारायण राणे के पुत्र कांग्रेस विधायक नितेश राणे ने भी ट्विटरास्त्र छोड़ा है, जिसमें उन्होंने शिवसेना को समर्थन देने की ओर इशारा किया है। उन्होंने ट्वीट में लिखा है कि कपटी मित्र की अपेक्षा दिलदार शत्रु ज्यादा अच्छा, शिवसेना मन बदले, मुंबई जरूर बदलेगा।

अपने ट्वीट में नितेश राणे ने शिवसेना को दिलदार शत्रू माना है और कांग्रेस के प्रचार की टैगलाइन का समिश्रण किया है। नितेश ने अपने अगले ट्वीट में लिखा है कि दशकों पहले शिवसेना के समर्थन से कांग्रेस के मुरली देवरा महापौर बने थे। नितेश राणे के इन ट्वीट से स्पष्ट है कि राणे परिवार शिवसेना के स्वागत के लिए तैयार है।

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