Advertisement

बिहार चुनाव में शिवसेना की नीतियों को लेकर क्या कहा बिहार शिवसेना प्रमुख कौशलेंद्र शर्मा ने, पढ़ें पूरा इंटरव्यूह

आखिर इसका क्या कारण है कि यूपी औऱ बिहार से लाखों की संख्या में लोग अपने गांवों को घरवालों को छोड़कर मुंबई-दिल्ली शहरों की तरफ पलायन कर जाते हैं। यह सवाल योगी जी से और नीतीश जी से पूछना चाहिए।

बिहार चुनाव में शिवसेना की नीतियों को लेकर क्या कहा बिहार शिवसेना प्रमुख कौशलेंद्र शर्मा ने, पढ़ें पूरा इंटरव्यूह
SHARES

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (maharashtra chief minister uddhav thackeray) की पार्टी शिवसेना (shivsena) भी बिहार चुनाव (bihar electionमें पूरे जोर शोर के साथ कूद पड़ी है। जानकारों के अनुसार शिवसेेना के मैदान में आने से सबसे अधिक असर बीजेपी (BJP) को पड़ सकता है क्योंकि इससे हिंदू वोट बंटने के आसार बढ़ गए है। 

बिहार के शिवसेना प्रमुख कौशलेंद्र शर्मा (Bihar shivsena chief kaushlendra sharma) ने बताया कि, इस बार पार्टी 23 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार रही है। पिछली बार जिन सीटों पर हमने अच्छा प्रदर्शन किया था उन्हीं सीटों पर ही प्रत्याशी खड़े किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, हमें आशा ही नहीं विश्वास भी है कि, हमें इस बार जनता का आशीर्वाद जरूर मिलेगा।

आपको बता दें कि 2015 में हुए विधानसभा चुनाव (assembly election) में शिवसेना ने 88 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे, जबकि 2019 के लोकसभा (parliament) सीट पर 15 सीटों पर प्रत्याशियों को उतारा गया था।

मुंबई लाइव (mumbai live) ने बिहार चुनाव को लेकर अनेक मुद्दों पर कौशलेंद्र शर्मा (kaushlendra sharma) से बात की। आइए पढ़ते हैं कुछ मुख्य अंश:

मुख्य मुद्दा रोजगार

कौशलेंद्र शर्मा ने कहा कि, इस बार बिहार में मुख्य मुद्दा रोजगार (employment) का है। हम भी इसी मुद्दे पर लड़ रहे हैं। बिहार में शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार सहित कई बुनियादी सुविधाओं की कमी है। उन्हें हम जनता के सामने रखेंगे, और अब तक की सभी पिछली सरकार से उनका हिसाब मांगेंगे।

सुशांत सिंह राजपूत का मुद्दा

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड (sushant singh rajput sucide case) का मुद्दा शिवसेना को बिहार चुनाव में प्रभावित कर सकता है, क्योंकि महाराष्ट्र सरकार पर जांच को ठीक से नहीं कराने के आरोप लगते रहे हैं? इस सवाल पर शर्मा ने कहा कि, सुशांत का मुद्दा शिवसेना को जरा भी प्रभावित नहीं करेगा, क्योंकि इस मुद्दे को वही लोग उठा रहे हैं जो BJP जे छद्म राष्ट्रवाद के चंगुल में फंसे हुए हैं। बिहार की जनता जागरूक है, और वे अपने मूलभूत सुविधा के लिए लड़ रही है। 

10 लाख या 19 लाख रोजगार के वादे

बिहार में इस समय रोजगार का मुद्दा छाया हुआ है। महागठबंधन (mahagathbandhan) के तेजस्वी यादव (tejasvi yadav) 10 लाख रोजगार के तो NDA भी 19 लाख रोजगार देने का वादा कर चुका है, कहाँ से आएगी नोकरी? इस बात पर कौशलेंद्र जी का कहना है कि, BJP रोजगार के खोखले वादे कर रही है। बिहार प्राकृतिक साधनों से भरपूर है, यहां किसानों के लिए पर्याप्त अवसर हैं, अगर किसानों की सभी जरूरतों को पूरा कर लिया जाता है तो खेती में ही 80 फीसदी रोजगार पैदा हो सकते हैं। अगर किसान पिछड़ा है तो उसकी मुख्य वजह किसानों की अनदेखी करना है। किसानों की फसलें बाहर नहीं जा पातीं। दुर्भाग्य की बात है कि, प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर होने के बाद भी हमें बाहर से चीजें आयात करनी पड़ती है।

प्रवासी मजदूरों को लेकर सवाल योगी और नीतीश से करना चाहिए...

प्रवासी मजदूरों (migrant worker) को लेकर बिहार शिवसेना की क्या नीति है? इस सवाल पर शर्मा ने कहा कि, बिहारी होना कोई पाप नहीं है, कोई गुनाह नहीं है। आखिर इसका क्या कारण है कि यूपी औऱ बिहार से लाखों की संख्या में लोग अपने गांवों को घरवालों को छोड़कर मुंबई-दिल्ली शहरों की तरफ पलायन कर जाते हैं। यह सवाल योगी जी से और नीतीश जी से पूछना चाहिए। आखिर क्यों, दूसरे राज्यों में यूपी, बिहार वाले मार खाते हैं, मैंने जिन्हें वोट दिया है उसी से सवाल भी पूछ रहा हूं। हम लोगों के बीच इस मुद्दे को लेकर जा रहे हैं और कह रहे हैं कि, बिहार में सबसे पहले प्रवासी मजदूरों के लिए कुछ करना चाहिए, ताकि उन्हें पेट भरने के लिए कहीं और आना जाना न पड़े। हम उनके लिए लड़ रहे हैं, संघर्ष निरंतर जारी रहेगा।

महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों की पिटाई

शिवसेना सबको साथ लेकर चलने वाली पार्टी है। पहले उस पार्टी की विचारधारा को समझना होगा। उदाहरण के लिए, अगर कोई बिहार में आकर मराठी, तमिल, तेलुुुगु भाषा बोलेगा तो, यह बिहार के अपमान वाली बात होगी। उसी तरह से महाराष्ट्र या मुंबई में मराठी जरूरी है। हर राज्य में उसकी मातृभाषा का सम्मान होना चाहिए। यही विचार हमारे पूजनीय बालासाहेब ठाकरे (balasaheb thackeray) भी थे। और कोई भी राज्य हो वहां के संसाधनों पर पहला हक उसी राज्य में रहने वाले लोगों का होना चाहिए। बिहार में भी पहले किसी भी काम में यहां के भूमिपुत्रों का हक होना चाहिए, उसी तरह से अन्य राज्य में भी।

किसी से भी गठबंधन नहीं

चुनाव से पहले या चुनाव के बाद किसी भी पार्टी से गठबंधन (alliance) होने के सवाल पर बिहार शिवसेना प्रमुख ने कहा, हम किसी के भरोसे चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, अपने बलबूते पर हम खड़े हैं और लोगों के बीच अपनी उपस्थिति अवश्य दर्ज कराएंगे। हम न हारने आए हैं और न किसी को हराने। हमारे उम्मीदवार हर पार्टी के खिलाफ खड़े होंगे। हमारा गठबंधन सिर्फ और सिर्फ जनता के साथ होगा। 10 नवंबर को जो परिणाम आएगा उसे हम सहर्ष स्वीकार कर लेंगे। हमने जो वादा किया है उसे जरुर पूरा करेंगे।

संबंधित विषय
Advertisement
मुंबई लाइव की लेटेस्ट न्यूज़ को जानने के लिए अभी सब्सक्राइब करें