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MPSC exam in Maharashtra: आखिर टूट ही गया छात्रों के सब्र का बांध

राज्य सरकार की ओर से कोरोना (Covid19) के फैलाव का कारण बताकर रद्द किया गया तो परीक्षा में शामिल होने वाले विद्यार्थी कुछ इस तरह के बौखलाए कि उन्हें सड़कों पर उतरकर आंदोलन (protest) करना पड़ा।

MPSC exam in Maharashtra: आखिर टूट ही गया छात्रों के सब्र का बांध
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किसी अच्छे विद्यार्थी के लिए परीक्षा और उसकी तैयारी पहली प्राथमिकता होती है और जब एक ही परीक्षा बार-बार टाली जाती है तो उस परीक्षा में शामिल होने वाले विद्यार्थियों का बिफरना, नाराज होना स्वाभाविक ही है। कुछ ऐसी ही बात महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग की परीक्षा (MPSC exam) में शामिल होने वाले विद्यार्थियों के साथ भी हुई। 14 मार्च, 2021 को प्रस्तावित की गई परीक्षा को जब अचानक राज्य सरकार की ओर से कोरोना (Covid19) के फैलाव का कारण बताकर रद्द किया गया तो परीक्षा में शामिल होने वाले विद्यार्थी कुछ इस तरह के बौखलाए कि उन्हें सड़कों पर उतरकर आंदोलन (protest) करना पड़ा। कोरोना महामारी (Corona pandemic) के फैलाव का कारण बाताकर दो वर्ष में चार बार उक्त परीक्षा रद्द की गई। सबसे पहले इस परीक्षा की तिथि 5 अप्रैल, 2020 तय की गई थी, लेकिन कोरोना के तेजी से प्रसार के कारण उसे रद्द करके 26 अप्रैल, 2020 को आयोजित कराने का निर्णय लिया गया, जबकि संयुक्त पूर्व परीक्षा की तिथि 5 मई रखी गई।

कोरोना महामारी पर नियंत्रण न पाने के कारण परीक्षा 26 अप्रैल, 2020 को भी नहीं हो पाई और इस परीक्षा की नई तिथि 11 अक्टूबर, 2020 रखी गई, लेकिन इस तिथि को भी परीक्षा नहीं हो सकी और 14 मार्च, 2021 परीक्षा की नई तिथि रखी गई, लेकिन कोरोना महामारी के फैलाव का ही कारण बताकर जब 14 मार्च की परीक्षा रद्द कर दी गई तो इस परीक्षा में शामिल होने वाले प्रतियोगियों का माथा ठनका और विद्यार्थियों ने परीक्षा रद्द किए जाने का खुला विरोध किया और रास्तों पर उतर कर आंदोलन किया।

विद्यार्थियों ने राज्यव्यापी विरोध और इस मामले में विरोधी पक्ष की भूमिका को ध्यान में रखकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (uddhav thackeray) ने 21 मार्च, 2021 की नई तिथि इस परीक्षा के लिए दी है। विद्यार्थियों की परीक्षा रद्द करने के संदर्भ में दिखायी गई आक्रामता तो ध्यान में रखते हुए उम्मीद की जा रही है कि अब राज्य सरकार परीक्षा की कोई ओर नई तारीख देने का साहस नहीं बटोर पाएगी। महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग (Maharashtra public service commission) ने राज्य में दोबारा कोरोना के बढ़ते कहर को ध्यान में रखते हुए उक्त परीक्षा न लेने का निर्णय लिया है। मुंबई, ठाणे, पुणे, नागपुर, अमरावती, औरंगाबाद, अकोला और जलगांव में कोरोना के कारण गंभीर स्थिति बनी हुई है, ऐसी स्थिति में एमपीएससी (mpsc) की परीक्षा कराना यानि परीक्षार्थियों के लिए जोखिम बढ़ाना ही है। पिछले वर्ष से अब तक की कालावधि में यह परीक्षा चार बार रद्द हुई और हर बार परीक्षा रद्द होने का कारण कोरोना महामारी ही बताया गया है।

बार-बार परीक्षाएं रद्द होने का गुस्सा राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से परीक्षा में शामिल होने वाले विद्यार्थियों ने निकाला। परीक्षा की नई तिथि घोषित करके मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विद्यार्थियों का गुस्सा तो कम कर दिया है, लेकिन अगर सरकार ने 21 मार्च, 2021 की तिथि को आगे बढ़ाने के बारे में विचार भी किया तो उसके भयंकर परिणाम होंगे। कोरोना के कारण महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग ने 14 मार्च ,2021 की परीक्षा टाल दी है, जैसे ही इस बात की जानकारी पुणे के विद्यार्थियों को मिली, इन विद्यार्थियों ने सरकार के विरोध में नारेबाजी करते हुए आंदोलन किया। बार-बार परीक्षा की तिथि रद्द करने से नाराज विद्यार्थियों के प्रदर्शन का समर्थन करते हुए जहां मुंबई में एमपीएएससी कार्यालय के सामने महाराष्ट्र प्रदेश युवक कांग्रेस की ओर से आंदोलन किया गया, तो राज्य की उपराजधानी नागपुर में भी उक्त परीक्षा में सम्मिलित होने वालों ने आंदोलन किया।

नागपुर की तरह ही अमरावती में भी विद्यार्थी इस मुद्दे को लेकर रास्तों पर उतरे। अमरावती में तो पुलिस ने आंदोलन कर रहे विद्यार्थियों पर हल्का लाठीचार्ज भी किया। अमरावती के पंचवटी चौक में आंदोलन करने वालों पर पुलिस की ओर से किए गए हल्के लाठी चार्ज का विरोध भी किया गया है, इसके अलावा इस मुद्दे को लेकर विदर्भ क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले वर्धा तथा गडचिरोली में भी विद्यार्थियों ने उग्र प्रदर्शन किया। विदर्भ के अलावा मराठवाडा क्षेत्र के औरंगाबाद, लातूर में विद्यार्थियों ने ठीया आंदोलन किया।

औरंगाबाद के औरंगपुरा स्थित महात्मा फुले के पुतले के पास विद्यार्थियों ने ठीया आंदोलन किया तो लातूर में बार्शी रोड स्थित ईदगाह मैदान के सामने युवकों ने चक्का जाम आंदोलन किया। आंदोलन कर रहे विद्थार्थियों का कहना था कि जब दसवीं, बारहवीं, विश्वविद्यालय स्तर की परीक्षाएं ली जा रही हैं तो फिर लोकसेवा आयोग की परीक्षा को बार-बार क्यों रद्द किया जा रहा है। मराठवाडा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले नांदेड, बीड, उस्मानाबाद, परभणी में भी विद्यार्थी सड़कों पर उतरे तथा अपना विरोध प्रदर्शित किया। पुलिस ने संतप्त विद्यार्थियों के साथ आंदोलन में सहयोग कर रहे भाजपा विधायक गोपीचंद परलकर समेत 9 लोगों को गिरफ्तार किया, लेकिन बाद में पुलिस ने विधायक परलकर समेत अन्य गिरफ्तार किए गए लोगों को रिहा कर दिया। आरक्षण तथा न्यायालयीन प्रक्रिया में फंसी परीक्षाओं को छोड़कर अन्य परीक्षाओं के परिणाम तो महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग की ओर से घोषित किए जाए, जिससे चुने गए प्रतियोगियों की नियक्ति की समस्या का समाधान होगा।

प्रतियोगी परीक्षा में सफल हुए 3671 स्थापत्य आभियांत्रिक, 2127 पुलिस उपनिरीक्षक की नियुक्तियां अधर में पड़ी हैं। एमपीएससी ने राज्य सेवा 2019 परीक्षा के तहत 420 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे। इस परीक्षा के लिए 10 दिसंबर, 2018 को विज्ञापन प्रकाशित किया गया था, जबकि पूर्व परीक्षा 17 फरवरी, 2019 तो मुख्य परीक्षा 13-15 जुलाई 2019 को आयोजित की गई। इस परीक्षा का परिणाम 19 जून, 2020 को घोषित किया गया। 420 में से 4193 उम्मीदवारों ने परीक्षा उत्तीर्ण की। 420 पदों के लिए विज्ञापन प्रकाशित करने से लेकर परीक्षाफल घोषित होने तक की प्रक्रिया में डेढ़ वर्ष का समय व्यतीत हो गया। सरकारी नियम के अनुसार तीन माह में ही नियुक्ति देने का अनिवार्य है, लेकिन दो वर्ष बीत जाने के बाद भी नियुक्ति नही होने से रोष उपजा है। राज्य सरकार ने मराठा आरक्षण का कारण सामने रखकर उक्त पदों पर नियुक्ति को टाला है। संयुक्त परीक्षा (ब) गट  2019 में आयोजित की गई और इस परीक्षा का परिणाम मार्च 2020 में आया, लेकिन अभी तक (मार्च 2021) तक अंतिम परिणाम सामने नहीं आया है, इसमें पुलिस उपनिरीक्षक पद के लिए 469 सीटों के लिए परीक्षा आयोजित की गई।

मुख्य परीक्षा का परिणाम मार्च 2020 में घोषित किया गया, बावजूद इसके 15 माह बीत जाने पर भी उत्तीर्ण हुए परीक्षार्थियों में से किसी को भी शारीरिक परीक्षा के लिए बुलाया नहीं गया। सर्वोच्च न्यायालय के 9 सितंबर, 2020 के निर्णय के अनुसार एसईबीसी के आरक्षण को स्थगित किया गया है। न्यायालय के इस निर्णय से 413 में से 48 विद्यार्थियों को, जिन्हें एसईबीसी के आरक्षण का लाभ देते हुए उत्तीर्ण किया गया था, उनकी नियुक्ति पर रोक लगा दी गई। 48 विद्यार्थियों के कारण शेष बचे 365 प्रतियोगियों की नियुक्ति को बिना किसी के लटका कर रखा गया है। सहायक मोटर वाहन निरीक्षक (आरटीओ) के 250 पदों के लिए पूर्व परीक्षा हुए एक वर्ष बीत जाने के बाद भी परीक्षा परिणाम लंबित है। 2018 में 387 उम्मीदवारों का चयन किया गया था, लेकिन अभी-भी इन उम्मीदवारों का प्रशिक्षण शुरु नहीं हुआ है।

स्थापत्य आभियांत्रिकी की 24 नवंबर, 2019 को 1161 पदों के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी. इस परीक्षा का रिजल्ट जुलाई, 2020 को घोषित किया गया, लेकिन उत्तीर्ण प्रतियोगियों का साक्षात्कार अभी तक नहीं हुआ है। 9 दिसंबर, 2020 को पांच न्यायाधीशो की खंडपीठ ने स्पष्ट किया था कि मराठा आरक्षण कानून के अंतर्गत आने वाली नियुक्तियों को छोड़कर शेष नियुक्तियों पर किसी भी प्रकार की रोक नहीं है, बावजूद इसके नियुक्तियां क्यों नहीं की जा रही हैं, यही सवाल सर्वत्र उठाया जा रहा है. एसईबीसी के अतिरिक्त अन्य नियुक्तियों का रास्ता साफ होने के बावजूद अधर में लटकी नियुक्तियां क्यों नहीं हो रही हैं, यही सवाल सभी लोग उठा रहे हैं।

राज्य सरकार ने विद्यार्थियों की उग्रता को देखते हुए आगामी 21 मार्च को राज्य सेवा पूर्व परीक्षा, 27 मार्च को आभियांत्रिक परीक्षा तथा 11 अप्रैल को महाराष्ट्र दुय्यम सेवा अराजपत्रित गट (ब) की संयुक्त पूर्व परीक्षा का नया टाइमटेबल जारी किया गया है. विद्यार्थियों के अक्रोश से राज्य सरकार ने अफरा- तफरी में प्रतियोगी परीक्षाओं की समय सारिणी तो जारी कर दी है, लेकिन जब तक परीक्षाएं हो नहीं जातीं तब तक परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों के मन में इस बात का भय तो बना ही रहेगा कि कहीं परीक्षाएं फिर से रद्द न हो जाएं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, यह उनके विचार हैं।) 

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