महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (devendra fadnavis) की महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट 'जलयुक्त शिवार योजना' (jalyukat shivar scheme) विवादों में आ गई है। इस योजना में वित्तीय अनियमितित की बात सामने आ रही है। इस योजना की लागत 10 करोड़ बताई जाती है, लेकिन आरोप है कि इस योजना में बड़े पैमाने पर पैसों को लेकर हेरफेर किया गया है। इसके बाद राज्य मंत्रिमंडल की बैठक ने भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच का आदेश दिया। तदनुसार, योजना की जांच एसआईटी (SIT) के माध्यम से कराई जाएगी।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस (Devendra fadnavis) ने महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में किसानों को राहत प्रदान करने के लिए राज्य भर में जलयुक्त शिवार यानी तालाब बनाने की योजना चालू की थी। हालाँकि, CAG ने कुछ दिन पहले इस योजना पर सवाल उठाया है। रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस पार्टी ने भाजपा और देवेंद्र फड़णवीस पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने इस योजना में करप्शन (curruption) होने की बात कहते हुए इसे 'जलयुक्त शिवार' नहीं बल्कि 'झोलयुक्त शिवार' कहा है।
और CAG ने भी तत्कालीन फडणवीस सरकार की इस योजना को लेकर वित्तीय अनियमितिता की बात कही है।
इस बारे में महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव और प्रवक्ता सचिन प्रदेश सावंत (sachin sawant) ने मांग की है कि, जलयुक्त शिवार योजना में हुए भ्रष्टाचार की न्यायिक जांच हो और 'मी लाभार्थी' में खर्च किए गए बिज्ञापन के पैसों को बीजेपी से ही वसूल करने की मांग की। साथ ही सावंत ने यह भी कहा कि, जलयुक्त शिवार में हुए 10 हजार करोड़ के करप्शन की जिम्मेदारी लेते हुए फडणवीस को नैतिक रूप से अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।