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'बाबासाहब आंबेडकर का पुतला नहीं कोविड सेंटर बनाओ'


'बाबासाहब आंबेडकर का पुतला नहीं कोविड सेंटर बनाओ'
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दादर (dadar) के इंदु मिल (indu mill) में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर (dr. Baba saheb ambedkar) के नींव रखने का समारोह शुक्रवार को होना था, लेकिन इस समारोह को मुख्यमंत्री द्वारा अचानक रद्द कर दिया गया। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री ने ऐसा कोरोना महामारी (Coronavirus pandemic) के चलते किया। अब इस निर्णय से वंचित बहुजन आघाड़ी (vanchit bahujan aghadi) के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर (prakash ambedkar) नाराज हो गए। हालांकि उनका कहना है कि सरकार जितना पैसा इस स्मारक के लिए खर्च कर रही है, उसे उस पैसे से कोविड सेंटर (Covid center) का निर्माण करना चाहिए।

मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MMRDA) के द्वारा घोषणा किया गया था कि आंबेडकर प्रतिमा का नींव रखने का कार्यक्रम शुक्रवार 18 सितंबर 2020 को दोपहर 3 बजे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (uddhav thackeray) के हाथों सम्पन्न होगा।  हालांकि, कोरोना संक्रमण के कारण इस कार्यक्रम में केवल 16 गणमान्य अतिथियों को ही इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था। साथ ही इस कार्यक्रम में विपक्षी दल के नेता देवेंद्र फड़नवीस(devendra fadnavis), केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रामदास आठवले (ramdas atahwale), वंचित बहुजन गठबंधन के प्रमुख प्रकाश अंबेडकर सहित किसी भी मंत्री को आमंत्रित नहीं किया गया था। जिससे विवाद पैदा होने लगा। किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए आखिरकार इस कार्यक्रम को ही रद्द करना पड़ा।

तो वहीं दूसरी ओर, प्रकाश अंबेडकर ने एक बार फिर इस स्मारक को लेकर नाराजगी जताई है।उनका कहना है कि, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इंदु मिल्स के स्मारक स्थल को इंटरनेशनल स्कूल ऑफ स्टडीज को दान कर दिया था। लेकिन राजनीतिक लाभ के लिए प्रतिमा को वहीं खड़ा किया जा रहा है।  मुख्यमंत्री को इस जगह के बारे में वाजपेयी द्वारा लिखे गए पत्र का अध्ययन करना चाहिए और कांग्रेस और राकांपा की बात सुने बिना वहां प्रतिमा को स्थापित करने के बजाय बाबासाहेब के विचारों के अनुरूप एक अनुसंधान केंद्र स्थापित किया जाना चाहिए। अन्यथा, उसी लागत सेे कोविड सेंटर की स्थापना करनी चाहिए।

गौरतलब है कि, इंदु मिल में बनाया जाने वाला बाबा साहेब का स्मारक 450 फीट लंबा होगा।  इसमें डॉ. अंबेडकर की मूर्ति 350 फीट ऊंची होगी।  इससे पहले प्रतिमा की ऊंचाई 250 फीट तय की गई थी।  नए फैसले के कारण, स्मारक की कुल ऊंचाई जमीन से 450 फीट, मंच 100 फीट और 350 फीट की प्रतिमा होगी।  इसके परिणामस्वरूप, 709 करोड़ रुपये का पूर्व प्रस्तावित व्यय बढ़कर 1,089.95 करोड़ हो गया है।  इसे कैबिनेट ने मंजूरी भी मिल गयी है। स्मारक का कार्य शापूरजी पलानीजी कंपनी द्वारा किया जाएगा।

यह स्मारक में एक बौद्ध स्थापत्य शैली का गुंबद, संग्रहालय और प्रदर्शनी होगी। जिसमें 68% जगह खाली रहेंगी।  इस स्मारक के लिए 9 फरवरी 2018 को कार्य आदेश जारी किया गया था जिसके बाद इसके 3 वर्षों में पूरी होने की उम्मीद है।

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