Advertisement

राज्य विधानसभा का शीतकालीन सत्र कल से, सरकार पर ज्यादा हावी हो पाएगा विपक्ष?


राज्य विधानसभा का शीतकालीन सत्र कल से, सरकार पर ज्यादा हावी हो पाएगा विपक्ष?
SHARES

महाराष्ट्र (Maharashtra)की महाविकास आघाडी सरकार (mva government) का दो दिवसीय शीतकालीन सत्र 14 तथा 15 दिसंबर को मुंबई में होगा। आमतौर पर राज्य विधानसभा का शीतकालीन सत्र राज्य की उपराजधानी नागपुर (Nagpur) में होता है, लेकिन इस वर्ष कोरोना महामारी (Corona pandemic) संकट के कारण शीतकालीन सत्र को नागपुर में आयोजित न करके उसे राजधानी मुंबई में ही आयोजित करने का निर्णय लिया गया। हालांकि पहले इस अधिवेशन की तारीख 7 दिसंबर रखी गई थी, लेकिन बाद में उसे एक सप्ताह के लिए बढ़ा दिया गया और 14 दिसंबर की तारिख तय की गई। पहले जब शीतकालीन अधिवेशन 7 दिसंबर से करने की बात कही जा रही थी, उस वक्त यह तय नहीं किया गया था कि यह अधिवेशन कितने दिनों तक चलेगा, लेकिन जब 14 दिसंबर से अधिवेशन कराने का प्रस्ताव सामने आया तो उसी वक्त यह तय कर लिया गया था कि अधिवेशन दो दिनों का ही होगा। बदली पस्थितियों में सरकार विपक्ष का सामना करने के मामले में ज्यादा सबल नज़र आ रही है। 

विधान परिषद् चुनाव में मिली जीत ने ठाकरे सरकार का आत्मविश्वास बढ़ा दिया है। शीतकालीन अधिवेशन में विपक्ष ने सरकार को घेरने की तैयारी तो की है, लेकिन उसकी आक्रमकता पिछली बार के शीतकालीन अधिवेशन की तुलना में कम होगी। कोरोना महामारी के मद्देनज़र शीतकालीन सत्र नागपुर की जगह मुंबई (mumbai) में ही कराए जाने की हर स्तर पर सराहना की जा रही है। पूरक मांगें रखकर तथा दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद पहले दिन का कामकाज समाप्त हो जाएगा, यानि अधिवेशन का पहले दिन किसी भी मुद्दे पर बातचीत होने के आसार नहीं के बराबर है और दूसरे दिन 15 दिसंबर को कुछ मुद्दों पर बहस होगी। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (uddhav thackeray) तथा विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता देवेंद्र फडणवीस (devendra fadnavis) बीच की जुगलबंदी में कौन उन्नीस साबित होता है और कौन बीस, यह तो अधिवेशन के दौरान ही देखने को मिलेगा, लेकिन अधिवेशन में जिन मुद्दों पर चर्चा होगी, उनमें जनहितों के मुद्दे कितने होंगे, यह देखने वाली बात होगी। 

सरकार के लिए इस शीतकालीन अधिवेशन के लिहाज से दो बातें राहत देने वाली रही हैं। सरकार की दृष्टि से पहली राहत यह रही है कि उसने विधानपरिषद् चुनाव में विपक्ष की हवा निकाल दी और सरकार के लिए सुकून की दूसरी बात यह है कि राज्य में कोरोना की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। महाविकास आघाडी सरकार ने 29 नवंबर को अपना एक वर्ष पूरा किया। बीते एक वर्ष में जहां एक ओर सरकार अपनी उपलब्धियां बताने में पीछे नहीं रही तो दूसरी ओर विपक्ष ने सरकार को घेरने का एक भी मौका नहीं छोड़ा। कहा जा रहा है कि राज्य की महाविकास आघाड़ी में शामिल शिवसेना (shiv sena), राकांपा (NCP) तथा कांग्रेस (Congress) के नेताओं के बीच एकता होने की वजह से विधान परिषद की चार सीटें जीतने में सरकार को सफलता प्राप्त हुई। विधाससभा के शीतकालीन अधिवेशन में भी कोरोना का कहर बरपा हुआ दिखायी दे रहा है। मार्च माह में जब कोरोना महामारी के मद्देनज़र तालाबंदी की गई थी, उस वक्त राज्य विधानसभा का बजट सत्र शुरु हुआ था, उसे बीच में ही रोकना पड़ा था। इतना ही नहीं वर्षाकालीन सत्र भी समय पर नहीं हो सका था। वर्षाकालीन सत्र सितंबर माह में हुआ और अब दिसंबर माह में शीतकालीन अधिवेशन होने जा रहा है।

 आमतौर पर राज्य विधानसभा का शीतकालीन अधिवेशन नागपुर में आयोजित किए जाने की परंपरा है, लेकिन कभी-कभी इस परंपरा को तोड़ा भी गया है। देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर में शीतकालीन अधिवेशन न करके वहां वर्षाकालीन अधिवेशन कराया था, लेकिन उस वक्त हालात ऐसे हो गए थे कि भारी वर्षा के कारण अधिवेशन स्थल समेत अध्यक्ष की आसंदी तक पानी भर गया था, उसके बाद से यह निर्णय लिया गया कि अब कभी नागपुर में वर्षाकालीन अधिवेशन नहीं होगा। उसके बाद एक बार फिर से पहली जैसी परंपरा का निर्वहन शुरु हुआ और शीलकालीन सत्र नागपुर में तथा अन्य सत्र मुंबई में होने लगे। लेकिन कोरोना महामारी के कारण राज्य की उद्धव ठाकरे सरकार ने इस बार फिर नागपुर में होने वाले शीतकालीन सत्र को मुंबई में कराने का फैसला किया है। जनसुरक्षा तथा कोरोना के फैलाव को रोकने के मद्देनज़र राज्य सरकार के इस फैसले की सर्वत्र सराहना हो रही है। 

शीतकालीन अधिवेशन में महिला तथा बच्चों पर होने वाले अत्याचार से संबंधित शक्ति कानून संबंधी विधेयक प्रस्तुत किया जाएगा, जिसके सर्वसम्मति से पास होने की पूरी उम्मीद व्यक्त की जा रही है। कोरोना काल में मुख्यमंत्री अपने घर में ही बैठे रहे, कुछ काम नहीं किया, अपने पर लगे इस आरोप पर मुंह खोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं घर पर जरूर था, लेकिन घर पर रहते हुए मैंने बहुत से विकास कार्यों को पूरा करवाया। औरंगाबाद शहर की 1680 करोड़ रूपए की जलापूर्ति योजना के साथ-साथ विभिन्न विकास कार्यों के भूमि पूजन के वक्त मुख्यमंत्री ने उक्त विचार व्यक्त किए। इस दौरान उद्धव ठाकरे ने यह भी खुलासा किया कि चुनाव नजदीक आने के कारण विभिन्न स्थानों पर चुनाव नहीं कराए जा रहे हैं। पिछले दिनों राज्य विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा था कि इतना धमकाने वाला मुख्यमंत्री आज तक मैंने कहीं नहीं देखा।

 देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सरकार का निर्माण हुए एक वर्ष बीत गया इस एक वर्ष में सरकार ने क्या काम किया। आने वाले वर्षों में सरकार क्या करने वाली है, इसकी कोई प्लानिंग सरकार के पास नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री तथा विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता देवेंद्र फडणवीस ने वर्तमान मुख्यमंत्री पर यह भी आरोप लगाया है कि कोरोना मरीज की मृत्यु के बाद उसके शरीर को रास्ते पर फेंकने, बाथरूम में रखने जैसी घटनाएं होने के बाद भी सरकार की ओर से लगातार यही कहा जाता रहा है कि सरकार ने कोरोना पर काबू पाने के लिए हरसंभव प्रयास किए हैं। अर्णव गोस्वामी तथा कंगना राणावत (kangana ranaut) के मामले में उच्च न्यायालय की ओर से जो निर्देश दिए गए, वह सरकार की प्रगति पुस्तिका है। 

जनता की समस्याओं की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट करना विपक्ष का काम है, इसलिए सरकार के विरोध में विपक्ष की ओर से आवाज लोकतांत्रिक व्यवस्था का ही एक हिस्सा है। विधान परिषद चुनाव में सरकार को मिली सफलता के बाद विपक्ष की ओर से अब किन-किन मुद्दों पर सरकार को शीतकालीन सत्र में घेरा जाएगा, इसी पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। 

किन-किन मुद्दों पर विपक्ष सरकार घरेगा और सरकार उसका क्या जवाब देगी, इसके लिए 14 दिसंबर से शुरु हो रहे राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र की सभी बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे हैं। दो दिन के इस अधिवेशन से क्या- कुछ बाहर आता है, यह जाना भी कम दिलचस्प नहीं होगा।

(Note: यह लेखक के अपने विचार हैं।)

संबंधित विषय
Advertisement
मुंबई लाइव की लेटेस्ट न्यूज़ को जानने के लिए अभी सब्सक्राइब करें