मुंबई – बीएमसी चुनाव में मुंबईकरों के द्वारा बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने के कारण इस बार वोटिंग पर्सेंटेज 55 फीसदी से अधिक देखने को मिला। यह आंकड़ा और भी अधिक हो सकता था अगर वोटिंग से वंचित 12 लाख लोग भी वोट दे पाते। इस बार तकनीकी कारणों से करीब 12 लाख लोग अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पायें। इनमें वे लोग हैं जिनको पुनर्विकास योजना के तहत विस्थापित किया गया है।
इस बारे में सोसायटी ने मांग की है कि सोसायटी के सदस्यों के नाम मतदाता सूची में शामिल हैं कि नहीं इसकी जांच खुद सोसायटी कर उसकी रिपोर्ट बनाए और नामों को सूची में भी शामिल करवाएं। महाराष्ट्र सोसायटीज वेल्फेअर एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश प्रभु ने जल्द ही इस मांग को सहकारिता विभाग के पास भेजे जाने की सूचना दी।
राज्य सरकार ने छह महीने पहले एक जीआर निकाला था, उस जीआर के अनुसार सोसायटी के सदस्यों के नाम मतदाता सूची में है कि नहीं इसे जांचने की व्यवस्था खुद सोसायटी को ही करनी होगी। लेकिन इस जीआर के जानकारी के अभाव में यह स्कीम परवान नहीं चढ़ सकी थी। 10 फरवरी को सरकार ने एक और अधिसूचना निकाली जिसके अनुसार सदस्यों के नाम मतदाता सूची में है कि नहीं, नाम कौन से बूथ पर है, इस संबंध में अधिक जानकारी देने के लिए चुनाव के समय सभी सोसायटी एक मीटिंग आयोजन कर इसकी सूचना मतदाताओं को देंगी।
महेश प्रभु ने इस अधिसूचना को लेकर कहा कि अगर सरकार की तरफ से इस जीआर को एक महीना पहले निकाला गया होता तो 12 लाख लोग मतदान से वंचित नहीं होते। 10 तारीख को निकाले गये इस अधिसूचना से लोगों को तैयारी करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाया।
सभा का आयोजना नहीं करने के लिए सोसायटी के संदर्भ में सहकारिता विभाग क्या कार्रवाई करेगा, विस्थापित किये गये लोगों के नाम मतदाता सूची में शामिल करने के लिए क्या उपाय होने चाहिए सहित ने मुद्दों को लेकर जब मुंबई के रजिस्ट्रार आरिफ मोहम्मद से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने मीटिंग में होने की बात कह कर अपनी जान छुड़ाई।
प्रभु ने कहा कि जिस तरह सोसायटी को हर साल वार्षिक रिपोर्ट पेश करना पड़ता है उसी तरह मतदाता सूची में मतदाताओं के नाम शामिल हैं या नहीं इसे लेकर भी वार्षिक रिपोर्ट बनानी जरुरी होनी चाहिए।