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बाबा रामदेव के कुछ विवादित बयान, जिन पर दर्ज हो चुके हैं केस

एलोपैथिक डॉक्टरों और राजनैतिक पार्टियों से लेकर वे अमूमन कई मामलों में विवादित बयान देते ही रहे हैं और अकसर विवादों में बने रहते हैं।

बाबा रामदेव के कुछ विवादित बयान, जिन पर दर्ज हो चुके हैं केस
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योग गुरु बाबा रामदेव (yoga guru baba ramdev) एक बार फिर से अपने बयान के कारण विवादों (controversial statement) में घिर गए हैं। यह कोई पहली बार नहीं है जब वे अपने बयान के कारण घिरे हो, इसके पहले भी उनका विवादों के साथ चोली दामन का साथ रहा है। इस बार वे एलोपैथी वाले बयान को लेकर विवादों में हैं।

इससे पहले भी बाबा एलोपैथिक डॉक्टरों और राजनैतिक पार्टियों से लेकर अमूमन कई मामलों में विवादित बयान देते ही रहे हैं और अकसर विवादों में बने रहते हैं। आइए एक नजर डालते हैं उनके उन बयानों पर, जिसके लिए उनकी काफी फजीहत हुई।


एलोपैथी ‘मूर्खतापूर्ण विज्ञान’, बेकार, बकवास

बाबा रामदेव अक्सर आयुर्वेद को बढ़ावा देने के चक्कर में एलोपैथी की आलोचना करते रहते हैं।बाबा रामदेव ने तीन दिन पहले यह कह कर पूरे देश में बवाल खड़ा कर दिया कि एलोपैथी ‘मूर्खतापूर्ण विज्ञान’ है। यही नहीं बाबा रामदेव ने यहां तक कह डाला कि एलोपैथी दवाएं लेने के बाद लाखों की संख्या में मरीजों की मौत हुई है। एक योग शिविर में रामदेव ने डॉक्टर को टर...टर...कहते हुए उन पर तंज कसा। इसके पहले भी बाबा रामदेव ने जब कोरोना की दवा कोरोनिल को लांच किया तब भी बाबा रामदेव के निशाने पर एलोपैथ डॉक्टर ही थे।

योग से मधुमेह का इलाज;  कोई इंसुलिन की आवश्यकता नहीं है।

आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा और योग जैसी भारतीय चिकित्सा प्रणालियाँ कुछ लाभ प्रदान करती हैं तो कुछ रोगों के लिए एलोपैथिक उपचार के पूरक के रूप में पाई गई हैं। बाबा रामदेव का यह दावा करना कि मधुमेह के रोगी योग से इंसुलिन से छुटकारा पा सकते हैं। उनके इस दावे को बेहद खतरनाक सलाह केहते हुयेे कई डॉक्टरों ने खारिज कर दिया है।

डॉक्टरों का कहना था कि, भारत जैसे देश में, रामदेव जैसे संत पूजनीय हैं और उनकी राय मूल्यवान है। लेकिन, इंसुलिन के बिना मधुमेह के इलाज पर रामदेव की चिकित्सकीय राय को मान्य या परीक्षण नहीं किया गया है।  बड़े पैमाने पर परीक्षणों के बिना, इस तरह के व्यापक बयान देना गैर-जिम्मेदाराना है और अगर मधुमेह रोगियों और मधुमेह के बच्चों के माता-पिता इन निराधार दावों पर विश्वास करते हैं तो इसके गंभीर प्रभाव होने की संभावना है।

योग से 'समलैंगिकता' का इलाज

साल 2015 में वापस, सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने समान लिंग के वयस्कों के बीच आपसी सहमति से यौन संबंध बनाने को अपराध करार दिया था।  उस समय बाबा रामदेव ने समलैंगिकता को एक "बुरी लत" घोषित करार देते हूए इसे योग और आयुर्वेद द्वारा ठीक करने का भी दावा किया। यही नहीं कई पतंजलि सेंटरों ने भी समलैंगिकता को "ठीक" करने के लिए दवा और गोलियां भी बेचीं। रामदेव ने LGBTQIA समुदाय के लोगों को अपने योग आश्रम में आमंत्रित करते हुए दावा किया, "मैं उन्हें समलैंगिकता का इलाज करने की गारंटी देता हूं।"

'टोपी पहनने वाले भारत माता की जय नहीं बोलते'

रोहतक में आयोजित एक सद्भावना सम्मेलन में बाबा रामदेव ने यह कहकर बवाल मचा दिया की टोपी पहनने वाले लोग भारत माता की जय नहीं बोलते हैं। उन्होंने कहा उनके हाथ कानून से बंधे हैं नहीं तो ऐसे लाखों लोगों के सिर काटने की हिम्मत रखते हैं। रोहतक की सद्भावना रैली में रामदेव के इस बयान को लेकर देशभर में जबरदस्त रोष व्यक्त किया गया था। इस बयान के बाद बाबा रामदेव के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ।

राहुल गांधी पर आपत्तिजनक टिप्पणी

एक बार बाबा रामदेव ने राहुल गांधी पर व्यक्तिगत टिप्पणी कर दी थी। साल 2014 में बाबा रामदेव ने कहा, राहुल गांधी को लड़की नहीं मिल रही है इसीलिए शादी नहीं हो पा रही है। रामदेव ने अपने विवादित बयान में यह तक कह दिया कि राहुल गांधी हनीमून मनाने के लिए बाहर जाते हैं। बस फिर क्या था। कांग्रेसियों का खून खौल गया और कई जगह बाबा रामदेव के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया और विरोध प्रदर्शन समेत उनके पुतले फूंके जाने लगे।

शंकराचार्य की मूर्ति का करना पड़ा था माल्यार्पण

बाबा रामदेव ने एक बार आदि शंकराचार्य के दर्शन 'ब्रह्म सत्यम जगत मिथ्या' को चुनौती देते हुए उसे लोगों को निकम्मा और कामचोर बनाने के लिए ज़िम्मेदार बताया था। इसके बाद देशभर में साधुओं ने रामदेव के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किए और पुतले फूंके। बाद में उन्हें हरिद्वार में संतसभा में इसके लिए लिखित माफी मांगनी पड़ी और आर्यसमाजी होने के बावजूद शंकराचार्य की मूर्ति को माल्यार्पण करना पड़ा। तब जाकर ये विवाद शांत हुआ।

''मदर टेरेसा प्रशंसा की भूखी''

एक बार उन्होंने कांग्रेस सरकार और मदर टेरेसा की आलोचना करते हुए कहा था कि, "अब तक किसी संन्यासी को भारत रत्न क्यों नहीं मिला? जबकि मदर टेरेसा को यह पुरस्कार दिया है क्योंकि वे ईसाई थीं, लेकिन एक भी संतों को नहीं दिया गया क्योंकि वे हिंदू हैं।" महर्षि दयानंद सरस्वती और स्वामी विवेकानंद जैसे महान संन्यासियों की कतार में खुद को गिनाते हुए, बाबा रामदेव हिंदू संतों के काम को कम आंकने के कारण कांग्रेस सरकार से काफी नाराज थे।

'दो से अधिक बच्चे न हों'

बाबा रामदेव जनसंख्या नियंत्रण नीति को लेकर कहा था कि, "दो से अधिक बच्चे वाले लोगों के लिए मतदान का अधिकार नहीं होना चाहिए, चुनाव लड़ने का कोई अधिकार नहीं होना चाहिए। उन्हें सरकारी स्कूलों या सरकारी अस्पतालों में प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए। उन्हें कोई सरकारी नौकरी नहीं दी जानी चाहिए।"

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