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मुंबई की यह मस्जिद आखिर क्यों है चर्चा में


मुंबई की यह मस्जिद आखिर क्यों है चर्चा में
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हाल ही में हाईकोर्ट ने हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश को अनुमति प्रदान दी थी। लेकिन अब मुंबई में ही एक नई पहल करते हुए अंधेरी के यारी रोड में एक मस्जिद में शिया महिलाओं को उलेमा की भूमिका निभाने की अनुमति दी है। ऐसा करने वाली यह मस्जिद मुंबई की पहली मस्जिद बन गई है। इस मस्जिद में जुम्मे की नमाज अता करने वाले मौलाना मोहम्मद फयाज बाकरी की पत्नी कुरान के बारे में अन्य मुस्लिम महिलाओं को पढ़ाती हैं।

जुम्मे की नमाज भले ही अभी भी मौलाना द्वारा पढ़ी जाती हो लेकिन इस मस्जिद में महिलाएं उलेमा भी हैं, जो कुरान के बारे में लोगो को पढ़ाती हैं और समुदाय में महिलाओं को इस्लामी शिक्षाएं देती हैं।

मौलाना मोहम्मद फयाज बाकरी कहते हैं कि बिना महिलाओं के पढ़े बिना कोई भी धर्म आगे नहीं बढ़ सकता, क्योंकि अगर घर की महिला पढ़ती लिखती है तो एक परिवार आगे बढ़ता है, जब एक परिवार आगे बढ़ता है तो एक समाज आगे बढ़ता है और समाज के साथ साथ देश आगे बढ़ता है।

यही नहीं इस मस्जिद में पढ़ाने वाली महिलाएं कई विषयों पर महिलओं को पढ़ाती हैं, जैसे कुरान को कैसे पढ़ा जाए, बच्चों का पालन-पोषण कैसे हो, महिलाओं का विकास कैसे हो और कैसे एक बेहतर इंसान बनें। लेकिन पढ़ाने के साथ साथ वे मूल रूप से इस्लामी यकीन 'दीन' (धर्म के ज्ञान) और 'दुर्य' (विश्व) में संतुलन कैसे रखा जाए इस बात की भी ज्ञान देती है।

उज्मा कहती हैं कि मैं मस्जिद में कुरान पढ़ाती हूं। यहां कई छोटी बड़ी लड़कियां और महिलाएं आती हैं। साथ ही मैं उन्हें यह भी सिखाती हूँ कि नमाज कैसे अता करनी चाहिए और मुस्लिम महिला को इस्लाम के अनुसार किस तरह से रहना चाहिए इस बात की भी जानकारी देती हूँ।

बता दें कि महिलाओं को मस्जिद में महिलाओ को नमाज पढ़ने की अनुमति नहीं दी गई है।  साथ ही महिलाओं को मस्जिदों में पढ़ाने की भी अनुमति नहीं मिली है।


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