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असीमा चटर्जी - जिसने तोड़ी समाज की जंजीरे और बनी देश की पहली रसायन विज्ञान में डॉक्टरेट हासिल करनेवाली महिला


असीमा चटर्जी - जिसने तोड़ी समाज की जंजीरे और बनी देश की पहली रसायन विज्ञान में डॉक्टरेट हासिल करनेवाली महिला
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जब भारत आजाद भी नहीं हुआ था, तब एक लड़की ने सामाजिक बाधाओं को तोड़कर रसायन विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की थी, और वह थी असीमा चटर्जी । कहते है महिलाएं अगर ठान ले तो वह किसी भी मामले में पुरुषों से पीछें नहीं, लेकिन 1920 में देश में लड़कियों को पढ़ने की बात तो दूर घर से निकलने में भी मनाही थी, तब उस दौर में असीमा ने अपनी मेहनत और लगन से रसायन विज्ञान में अध्ययन कर डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की।

रसायन विज्ञान में अध्ययन कर डॉक्टरेट की उपाधि पानेवाली हसीमा जब यह उपाधि पानेवाली देश की पहली महिला बनी। असीमा का जन्म 23 सितंबर 1917 को कलकत्ता में हुआ था। असीमा शुरु से ही पढ़ाई में काफी तेज थी, साल 1936 में ऑर्गेनिक रसायनशास्त्र विषय में असीमा ने ग्रेजुएशन किया। जिसके बाद उन्होने साल 1944 में डाक्टरेट की उपाधि हासिल की।

उन्होंने पौध के उत्पादो और जैविक रसायन विज्ञान पर काफी अनुसंधान किया। इन अनुसंधान का इस्तेमाल कर उन्होने जो औषधिया बनाई उनका इस्तेमाल मलेरियारोधी और कीमोथेरेपी दवाओं में किया जाने लगा।

विज्ञान के क्षेत्र में उनके अहम योगदान के कारण उन्हे इंडियन सांइस कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष बनाया गया, साथ ही भारत सरकार ने 1975 में उन्हें पद्भूभूषण से सम्मानित किया। फरवरी 1982 से मई 1990 तक उन्हें राज्य सभा के सदस्य के रूप में भारत के राष्ट्रपति द्वारा नामित किया गया । डॉक्टर असीमा का साल 2006 में 90 साल की उम्र में निधन हो गया।

आज उनकी 100वीं जन्मतिथी के मौके पर गुगल ने डुडल बनाकर उन्हे श्र्दांजली दी है।

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