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International women's day: मां दुर्गा का रुप है नारी, इसलिए नारी शक्ति का नमन जरुरी

भारतीय कंपनियों ने स्त्री-पुरुष के बीच समानता की नीति अपनाने में बहुत अच्छी नीति अपनायी है। लगभग 55 फीसदी भारतीय कंपनियां अपनी श्रम शक्ति में स्त्री शक्ति को पुरुष से कम नहीं माना है।

International women's day: मां दुर्गा का रुप है नारी, इसलिए नारी शक्ति का नमन जरुरी
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आज के दौर में महिला तथा पुरुष दोनों को समानता का दर्जा प्राप्त है। हर क्षेत्र में सफलता का परचम लहराने वाली भारतीय महिलाओं को नेतृत्व क्षमता में विश्व में तीसरा स्थान प्राप्त है। भारतीय (india) कंपनियों के 39 प्रतिशत वरिष्ठ स्तर पर मुख्य कार्यकारी पद पर महिलाओं का राज है। ग्रेट थॉर्नटन नामक एक संस्था की ओर से किए गए सर्वेक्षण से इस बात का खुलासा हुआ है कि फिलिपिन्स की महिलाएं नेतृत्व में विश्व में सबसे आगे हैं। कभी घर के चूल्हे तक ही कैद रही भारतीय महिलाएं आज उद्योग क्षेत्र में अच्छा नाम काम रही हैं। व्यवसाय क्षेत्र में महिलाएं 2021 नामक रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर उच्चाधिकार पद पर महिला नेतृत्व का औसत 31 प्रतिशत है। भारत में रोजगार के अवसर महिलाओं को औसतन ठीकठाक ही है। 

भारतीय उद्योग तथा व्यवसाय में महिलाओं की सहभागिता इसलिए बढ़ी है, क्योंकि पिछले दो दशकों में नारी शिक्षा का प्रतिशत बहुत ज्यादा बढ़ी है। वरिष्ठ पद पर आसीन होने का प्रमाण भी भारत में बहुत बढ़ा है। मीड-मार्केट व्यवसाय में सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) महिलाओं की संख्या विश्व स्तर पर 26 प्रतिशत होने की स्थिति में अगर भारत की दृष्टि से देखा जाए तो यह 47 प्रतिशत है। ग्रेट थार्नटन में भारत की हिस्सेदार पल्लवी बाखरू का कहना है कि 2020 में महिलाओं ने घर का कामकाज संभालते हुए व्यवसाय क्षेत्र में भी अच्छा नाम कमाया है। भारतीय कंपनियों ने स्त्री-पुरुष के बीच समानता की नीति अपनाने में बहुत अच्छी नीति अपनायी है। लगभग 55 फीसदी भारतीय कंपनियां अपनी श्रम शक्ति में स्त्री शक्ति को पुरुष से कम नहीं माना है। 

भारत की 251 कंपनियों में नारी शक्तियों की श्रम शक्ति का सर्वेक्षण ग्रेट थॉर्नटन के अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय की श्रम शक्ति रिपोर्ट से जो बात सामने आयी है, उससे यह साफ होता है कि श्रम के मामले में महिलाएं पुरुषों के मुकाबले कहीं भी पीछे नहीं हैं। यहां यह भी बताना बहुत ज्यादा जरूरी है कि गृह कर्ज तथा वाहन कर्ज लेने के मामले में भी महिलाएं पुरुषों के मुकाबले आगे हैं। कर्ज देने वाली संस्था क्रिफ हॉयमार्क की रिपोर्ट बताती है कि दिसंबर, 2020 के अंत तक 20.6 लाख करोड़ रूपए का गृह कर्ज बाजार से महिलाओं ने लिया। इतना ही नहीं इस रिपोर्ट से यह भी खुलासा हुआ है कि 4.58 लाख करोड़ रूपए का वाहन कर्ज महिलाओं ने लिया हैं। रिपोर्ट इस बात का खुलासा होता हुआ है कि भारतीय महिलाएं व्यक्तिगत कर्ज और वाहन कर्ज की तुलना में गृह कर्ज ज्यादा लिया है। 

दिसंबर 2020 में महिलाओं द्वारा लिए गृह कर्ज का औसत दर 16.69 लाख रुपए था, जबकि इसी दौरान पुरुषों की ओर से लिए गए कर्ज की औसत दर 14.71 लाख रुपए था। इसी तरह दिसंबर 2019 में महिलाओं द्वार लिए गए गृह कर्ज की औसत दर16.38 लाख रूपए था, जबकि पुरुषों की ओर से लिए गए गह कर्ज की औसत दर 14.54 लाख रुपए था। इन आकड़ों से स्पष्ट होता है कि महिलाओं की ओर से लिया गया गृह कर्ज पुरुषों की तुलना में 13 प्रतिशत ज्यादा है। रिपोर्ट यह भी बाताती है कि कर्ज लेने के मामले में दक्षिण भारतीय महिलाओं की संख्या पश्चिम तता उत्तर की तुलना में अधिक है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि दिसंबर 2020 देश के पांच बड़े राज्यों के व्यक्तिगत कर्ज की बकाया धनराशि महिलाओं के खातों में 10 प्रतिशत बढ़ी है।  

स्वयं को अबला के दायरे से बिल्कुल रखकर, अनेक परेशानियों को मात देकर कोरोना महामारी के संकट काल में भी 27 महिलाओं के एक साथ आकर उस्मानाबाद  में स्वावलंबी महिला नागरी सहकारी पतसंस्था का निर्माण किया। लॉकडाउन में पतसंस्था में खाता खोलने के लिए जिन महिलाओं को 710 रूपए भरना संभव नहीं था। सदस्यों की संख्या भी कम पड़ती थी. उन्होंनें अपनी जिद्द को न छोड़ते हुए गांव के हर घर में जाकर महिलाओं को बचत तथा तथा निवेश के महत्त्व को समझा कर 1600 महिलाओं संस्था से जोड़ा। 

'ग्रास रूट डेव्हलपमेंट फेलोशिप' कार्यक्रम महाराष्ट्र तथा राजस्थान जारी है। इस कार्यक्रम के माध्यम से तैयार हुई 1200 से ज्यादा महिला कार्यकर्ता बस्ती-बस्ती में जाकर, गांव- गांव में विकास के मुद्दों पर से जुड़े कार्यों को सुचारू रूप से कर रही हैं, इसके माध्यम से एकल महिला संगठन के माध्यम से पहले चरण में 27 महिलाओं का समावेश किया गया था। वर्तमान में मराठवाडा की 19 हजार महिलाओं के सहयोग से कभी लगाया गया यह पौधा अब तेज गति से बढ़ रहा है।  ग्रामपंचायतों के चुनाव में विजय का परचम लहराने वाली महिलाओं की तरह ही पतसंस्था का बीज रोपने वाली इन महिलाओं का राज्य के हर तरफ से अभिनंदन किया जा रहा है। मराठवाडा संभाग की 9 तहसीलों में कार्यरत19 हजार महिलाओं ने रोजगार की समस्या का समाधान करने के लिए महिलाएं उद्योग शुरु करें, इसके लिए लगने वाली पूंजी की जरूरत हैं, लेकिन बहुत सी महिलाओं को बहुत से कारणों को से बैंक से लोन नहीं लेने की स्थिति में उक्त महिलाओं के समक्ष स्वयं की क्रेडिट सोसाइटी में शुरु करने का प्रस्ताव संस्था के विभागीय समन्वयक राम शेलके ने रखा। 

क्रेडिट सोसाइटी शुरु करने के लिए कम से कम 1500 सदस्य होना जरूरी है। लॉकडाउन में लोगों के हाथ में काम न होने की स्थिति में 710 रुपए जमा करके सदस्य बनना भी किसी चुनौती से कम नहीं था, फिर भी महिलाओं ने सभी नियमों का पालन करते हुए घर-घर जाकर अपनी संस्था से 1632 महिलाओं को जोड़ा और उसके बाद वे आगे के काम लगीं और केवल उस्मानाबाद तक ही सीमित न रहकर उक्त महिलाओं ने अपने काम से प्रेरणा लेकर अन्य स्थानों पर भी घरेलु उद्योग पर आधारित काम को शुरु किया। महिलाएं सक्षम हों, वे आत्मनिर्भर हों, अपने पैरों पर खड़ी हो, इसके लिए उक्त क्रेडिट संस्था के माध्यम से राज्य के जिलों में इस अभियान को हाथ में लेने की मुहिम भी शुरु हो गई है।

 कुल मिलाकर यह कहा जाए कि आज की नारी पहले की तुलना में बहुत सबल, बहुत मजबूत तथा महत्वाकांक्षी हो चुकी है, अगर उन्हें पुरुषों की तरह ही हर क्षेत्र में अपना जौहर दिखाने का अवसर मिले तो वे यह संदेश देने में कत्तई पीछे नहीं रहेंगी कि हम भी किसी से कम नहीं हैं।

 महिला हैं तो क्या हुआ, हम भी पुरुषों की तरह बहुत कुछ करने का दमखम रखते हैं। न महिलाओं ने खुद को पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चलने की बात सिर्फ की ही उसे साकार करते दिखा भी दिया है। विश्व नारी दिवस के मौके पर महिलाओं के इस, जज्बे को नमन करते हुए विश्व महिला दिवस पर मातृशक्ति का नमन करना भी जरूरी है और यह भी जानना है कि हर नारी आदिशक्ति जगदंबे का ही रूप है, इसलिए हर नारी का आदर करना मॉ दुर्गा का नमन करने जैसा ही है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं) 

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